गोरखपुर में बाढ़ की तबाही रुकने का नाम नहीं ले रही। लगभग 2 हफ्ते से लोग बाढ़ कि मुसीबत से जूझ रहे हैं। नेपाल से छोड़े गए पानी की वजह से राप्ती नदी पिछले 5 दिनों से खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। इसकी वजह से कछार क्षेत्र में रहने वाले लोगों में बाढ़
.
राप्ती नदी के बढ़े हुए जलस्तर से अब तक लगभग 55 से ऊपर गांव बाढ़ कि चपेट में आ चुके हैं। इनमें से कई गांव ऐसे भी हैं जो बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब चुके हैं। लगभग 30 हजार कि आबादी बाढ़ से प्रभावित हैं। 8400 हेक्टेयर से अधिक फसलें चौपट हो गई है। पानी से घिरे गांवों का संपर्क मुख्य मार्गों से कट गया है। लिहाजा, 100 नावें लगाकर राहत-बचाव कार्य किया जा रहा है। NDRF, SDRF के साथ ही PAC को निगरानी में लगाया गया है।
आइये देखें बाढ़ कि तस्वीरें
अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही राप्ती
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, कल गुरुवार को शाम 4 बजे राप्ती नदी के जलस्तर में गिरावट देखने को मिली। लेकिन, नदी अभी भी खतरे के निशान से लगभग 1 मीटर ऊपर यानी 75.93 मीटर पर बह रही थी। राप्ती के बढ़े हुए जलस्तर से भटपुरवा, केवटान, कोइलीखास, पिडहनी, मरकडी, खोहियापट्टी, हिंगुहार, लखनौरी, लखनौरा, मोहन पौहरिया, मछरगांवा, सूबेदारनगर माझा, बिहुआ उर्फ अगलगौवा, मंझरियां, बड़गों आदि गांव डूब चुके हैं।
बाढ़ प्रभावी छेत्र में सभी बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री के साथ ही राशन किट वितरण किया जा रहा है। वहीं, बाढ़ के बाद जल जनित बीमारियों से निपटने के लिए मेडिकल की टीम गांव गांव जाकर सबकी जांच पड़ताल कर मेडिकल कीट उपलब्ध कराएगी।
ग्रामीणों का हुआ काफी नुकसान
बाढ़ के कारण लोगों का काफी नुकसान हुआ है। गांवों में पानी भरने से तमाम फसल खराब हो गई है। घरों में पानी भरने से लोगो के घरों का सामान और राशन खराब हुआ है। वहीं कुछ लोगों का घर भी गिर गया है। लोगों की माने तो काफी नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई कोई नही कर सकता है।