यह तस्वीर गोंडा में दुर्घटना के बाद की है। इसी दुर्घटना पर ज्वाइंट रिपोर्ट सामने आई है।
गोंडा में 18 जुलाई को चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त हो गईथी। इससे जुड़ी पहली ज्वाइंट रिपोर्ट सामने आई है। इसमें इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही सामने आ रही, जबकि इसी रिपोर्ट में असहमति जताते हुए इसे टोटली इंमप्रापर ब्रेकींग वजह बताया गया
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रिपोर्ट में 36 प्वाइंट में घटना से जुड़ी जानकारी दी गई है। इसे छह अधिकारियों की टीम ने बनाया है, जिसमें से पांच ने घटना का कारण इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही मानी, जबकि एक ने इसे गलत ढंग से ब्रेक लगाने की वजह मानी है।
रिपोर्ट में कहा गया सेक्शन पर ट्रेन को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाने का काशन देना था। काशन में देरी के कारण चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट को घटना का अंदेशा ही नहीं हुआ। इसके चलते ट्रेन 86 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त हुई। मामले में आज उत्तर पूर्वी परिमंडल के रेल संरक्षा आयुक्त प्रणजीव सक्सेना डीआरएम कार्ययलय में बयान दर्ज करेंगे।
इंजन निकलने के बाद उतरा पहिया
रेलवे के ज्वाइंट रिपोर्ट में कहा गया कि पटरी के तीन मीटर तक फैलाव के कारण पहिया उतरा। इंजन निकलने के बाद यह स्थिति बनी। लोको पायलट को झटका लगा तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दी। इसपर ट्रेन 400 मीटर दूर जाकर रूकी, लेकिन तब तक 19 बोगियां पटरी से उतर गई।
इस दौरान 350 मीटर की दूरी तक ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गए। रिपोर्ट में ट्राफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीवे मनकापुर पीके सिंह सहित छह अधीक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए।
638 किलोमीटर पर लगा था ट्रेन में झटका
ट्रेन के लोको पायलट त्रिभुवन नरायन और सहायक लोको पायलट राज ने बताया कि मोतीगंज स्टेशन से दोपहर 2:28 बजे ट्रेन 25 किमी प्रतिघंटे की निकली। किलोमीटर संख्या 638/12पर उसे जोर का झटका लगा। खड़खड़ की आवाज आने के साथ बीपी प्रेशर कम होने लगा।
लगभग 80 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ रही ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल कर पेंटो डाउन किया। पीछे देखा तो ट्रेन की बोगियां उतर चुकी थी। फ्लैश लाइट जलाकर सहायक लोको पायलट राज को बगल की लाइन के लाइन की सुरक्षा के लिए भेज दिया।
सही से नहीं बंधा था रेल ट्रैक
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि रेल ट्रैक सही से बंधा नहीं था। दोपहर 1:30 बजे ट्रैक पर गड़बड़ी पकड़ी गई। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को ट्रेन के दाेपहर 2:28 बजे गुजरने के बाद 2:30 बजे 30 किमी. प्रति घंटे की गति के काशन का मेमो प्राप्त कराया।
पटरी की आइएमआर से गड़बड़ी मिलने के बाद काशन आर्डर मिलने तक साइट पर सुरक्षा करना चाहिए था, जो कि नहीं किया गया। इस कारण ट्रेन बेपटरी हुई,जिसकी गलती इंजीनियरिंग विभाग की है। वहीं, चार दिन पहले भी पटरी में गड़बड़ी की सूचना कीमैन ने दी थी, लेकिन इसे समय रहते दूर नहीं किया गया।
तीन मीटर से बड़ा टुकड़ा हो गया गायब
ट्रेन के बेपटरी होने पर करीब 3.07 मीटर का पटरी का टुकड़ा गायब मिला। डाउन ट्रैक के दाहिनी ओर पटरी फैली हुई मिली। इसका कारण वेल्डिंग पर दबाव होना बातया गया। इंजन के बाद में जनरेटर पावर कार बेपटरी था। इसकी डिस्क व्हील और सेकेंड्री डैंपर क्षतिग्रस्त मिला। ट्राली गिट्टियों में धंसी थी।
दोपहर डेढ़ बजे गडबड़ी मिली थी। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को दोपहर ढाई बजे 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार का मेमो दिया गया, लेकिन समय पर साइट का प्रोटेक्शन नहीं करने के कारण गड़बड़ी की स्थिति बनी। स्पीडोमीटर के अनुसार हादसे के समय गाड़ी 86 किलोमीटर प्रतिघंटे की रप्तार में थी।
संयुक्त रिपोर्ट पर जताई असहमति
एसएसई पीके सिंह ने कहा कि संयुक्त रिपोर्ट में सभी लोगों द्वारा बिना सभी तथ्यों को देखे एक मत होकर खिलाफ रिपोर्ट बनाई गई है, जो कि बिल्कुल गलत है। संयुक्त रिपोर्ट से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। पीके सिंह ने 11 बिन्दुओं के आधार पर असहमति जताई है।
इसमें स्पीड मापने के पैमाने, मैकेनिकल की ओर से कोई मेजरमेंट नहीं देने और कार्मशियल की तरफ से पार्सल लोड की जानकारी देने पर सवाल उठाया गया। इसमें उन्होंने कहा कि यह टोटली इंमप्रापर ब्रेकींग के कारण हुआ है। इसके साथ ही व्हील मेजरमेंट के बिना पहियों में बताई गई गड़बड़ी पर सवाल खड़ा किया गया है।