Monday, January 20, 2025
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Home गिद्धों की कमी से देश में हर साल मरेंगे हजारों इंसान! यह स्टडी रिपोर्ट पढ़कर सोच में पड़ जाएंगे

गिद्धों की कमी से देश में हर साल मरेंगे हजारों इंसान! यह स्टडी रिपोर्ट पढ़कर सोच में पड़ जाएंगे

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नई दिल्ली: गिद्धों की संख्या यदि भारत में कम हो रही है तो क्या इसका असर मानव जीवन पर पड़ सकता है? जवाब हां में है लेकिन एक स्टडी में जो नतीजे सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं। इस स्टडी से पता चला है कि गिद्धों की संख्या में भारी गिरावट सालाना हजारों लोगों की मौत का कारण बन सकता है। यह संख्या एक लाख से भी अधिक हो सकती है। अर्थशास्त्री ईयाल जी. फ्रैंक और अनंत सुदर्शन के शोध के अनुसार गिद्धों के लगभग खत्म होने से भारत में लोगों की मौतों की संख्या बढ़ी है। 90 के दशक के बाद जितनी तेजी से गिद्ध विलुप्त हुए हैं उतनी तेजी से भारत में शायद कोई दूसरा जीव गायब हुआ हो।

कैसे कम हुई गिद्धों की संख्या
शोधकर्ताओं ने बताया कि 1990 के दशक के मध्य में भारत में गिद्धों की संख्या में बहुत तेजी से गिरावट आई। कुछ प्रजातियों के गिद्ध तो 99.9% तक कम हो गए। जब गिद्धों की इस कमी के कारण का पता लगाया गया तो पता चला कि इसका कारण दर्दनिवारक दवा Diclofenac है। यह दवा गिद्धों के लिए बहुत खतरनाक साबित हुई। पशुओं को दर्द में यह दवा दी गई और मरे हुए जानवरों को खाने से गिद्ध भी मर गए।

गिद्ध के न होने से कई खतरे
भारतीय गिद्ध एक बड़ा शिकारी पक्षी है। इसके पंखों का फैलाव करीब 1.96 से 2.38 मीटर तक होता है और शरीर की लंबाई 75 से 85 सेंटीमीटर तक होती है। इनकी चोंच घुमावदार होती है जो मरे हुए जानवरों का मांस फाड़ने के काम आती है। भारतीय गिद्ध मरे हुए जानवरों को खाते हैं। ये पर्यावरण के लिए बहुत जरूरी हैं क्योंकि ये मरे हुए जानवरों को साफ करते हैं, जिससे बीमारियां नहीं फैलतीं।

संख्या कम होने से बढ़े ऐसे मामले
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि जिन इलाकों में गिद्ध कम हुए हैं वहां आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ गई है और उनमें रेबीज का भी ज्यादा खतरा पाया गया है। पहले गिद्ध जो मरे हुए जानवरों को खाते थे, अब वो कुत्ते खाते हैं। इससे रेबीज फैलने के खतरा और भी बढ़ा है। भारतीय गिद्ध मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में पाए जाते हैं, जिनमें भारत, पाकिस्तान और नेपाल शामिल हैं। ये कुछ इलाकों में दक्षिण-पूर्व एशिया में भी पाए जाते हैं।

कभी करोड़ों में थी गिद्धों की संख्या
ये गिद्ध खुले मैदानों, घास के मैदानों और सूखे इलाकों में रहना पसंद करते हैं। ये अक्सर झुंड में रहते हैं और ऊंची चट्टानों या खंडहरों पर घोंसला बनाते हैं। इनका प्रजनन का समय अलग-अलग होता है लेकिन आमतौर पर नवंबर से मार्च के बीच होता है। पहले भारत में हर जगह गिद्ध दिखाई देते थे और इनकी संख्या 5 करोड़ से भी ज्यादा हो सकती थी लेकिन आज इनकी संख्या लगभग समाप्त हो गई है।

पंकज सिंह

लेखक के बारे में

पंकज सिंह

नवभारत टाइम्स डिजिटल में असिस्टेंट न्यूज एडिटर। पत्रकारिता में आज समाज, ईटीवी भारत, आज तक के बाद अब टाइम्स इंटरनेट के साथ सफर जारी है। पत्रकारिता में 16 साल का अनुभव। राजनीति की खबरों के साथ ही खेल की खबरों में रुचि। लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ सीखने की कोशिश जारी है।… और पढ़ें

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