शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। गाजीपुर के मोहम्मदाबाद तहसील में मौजूद शहीद स्मारक इस बात को पूरी तरह सच साबित करता है। जहां जंगे आजादी के दौरान 18 अगस्त 1942 को वतन के दिवानों ने हंसते-हंसते अपनी जान
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पूरे देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा गूंजा
देश की आजादी के लिए कुर्बान होने वालों की कोई कमी नहीं है। ऐसे ही 8 वीर सपूत गाजीपुर के लोगों के जेहन में आज भी बसे हैं। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू होते ही पूरे देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा गूंजने लगा। गाजीपुर भी इस नारे से अछूता नहीं रहा।
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दीवानों का जत्था मुहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा फहराने पहुंचा
9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के साथ ही आजादी के दीवानों की बेचैनी बढ़ गई। करो या मरो का नारा देश भर में अपना रंग दिखाने लगा। जिसका गहरा असर गाजीपुर के नौजवानों पर पड़ा। वीर शहीद शिवपूजन राय के नेतृत्व में 18 अगस्त 1942 के दिन बड़ी संख्या में दीवानों का जत्था मुहम्मदाबाद तहसील कार्यालय पर तिरंगा फहराने के लिए पहुंच गया।
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ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने के हौसले
मोहम्दाबाद तहसील की यह इमारत उन दिनों अंग्रेजों के कब्जे में थी। इस इमारत पर तिरंगा फहराने और इस इमारत में बंद अंग्रेजों के खजाने पर कब्जा करने के लिए सैकड़ों वीर देश भक्ति गीतों को गाते हुए निकल पड़े। देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने के हौसले और जज्बे के साथ क्षेत्र के वीर सपूतों की आंखों में जहां आजादी का सपना नाच रहा था।
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आसपास के गांवों के 8 सपूत शहीद
वहीं अंग्रेज अफसरों की गोलियां उन पर लगातार बरस रही थीं। सरफरोशी की तमन्ना दिल में लिए ये सपूत आगे बढ़ते रहे। गोलियां खाकर गिरते रहे, लेकिन तिरंगे को गिरने नहीं दिया। आसपास के गांवों के 8 सपूत शहीद हो गए। लेकिन तहसील कार्यालय पर तिरंगा लहराने लगा। यह दिन गाजीपुर के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया। तब से लेकर आज तक यहां के लोग इन सपूतों को याद कर उन्हें सलाम करते है। इनके द्वारा तहसील पर फहराये गए उस तिरंगे को अपनी बहुमूल्य धरोहर की तरह संजोये हुए है। आज भी उस समय अंग्रेजों द्वारा चलाई गयी, गोलियों के निशान तिरंगे पर साफ नजर आते है।
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पूर्वांचल में आजाद भारत के नारे की गूंज
इन्हीं 8 वीर सपूतों की शहादत के बाद जो चिंगारी भड़की, वह पूरे पूर्वांचल में आजाद भारत के नारे के साथ गूंजी। इन शहीदों से प्रेरणा लेकर ही बलिया को आजाद कराया गया। इन 8 शहीदों की कुर्बानी गाजीपुर के लोगों को देशभक्ति की सच्ची प्रेरणा दे रही है।