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गंगा यमुना सरस्वती नहीं राजस्थान में है ‘घोड़ा पछाड़ नदी’, बड़ा रोचक है इतिहास

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गंगा यमुना सरस्वती नहीं राजस्थान में है ‘घोड़ा पछाड़ नदी’, बड़ा रोचक है इसका इतिहास, जानें क्यों पड़ा ये नाम?

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गंगा यमुना सरस्वती नहीं राजस्थान में है ‘घोड़ा पछाड़ नदी’, बड़ा रोचक है इसका इतिहास, जानें क्यों पड़ा ये नाम?

गंगा यमुना सरस्वती नहीं राजस्थान में है ‘घोड़ा पछाड़ नदी’, बड़ा रोचक है इसका इतिहास, जानें क्यों पड़ा ये नाम?

बूंदी की घोड़ा पछाड़ नदी मांगली नदी की सहायक नदी है.
बूंदी की घोड़ा पछाड़ नदी मांगली नदी की सहायक नदी है.

बूंदी. आपने गंगा, यमुना, सरस्वती और चंबल समेत हजारों छोटी-बड़ी नदियों के नाम सुने होंगे. लेकिन हम आपको आज एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहा है जिसका नाम सुनकर ही आप चौंक सकते हैं. यह नदी राजस्थान के बूंदी जिले के नमाना इलाके से होकर निकलती है. नदी का नाम ‘घोड़ा पछाड़ नदी’. यह बारहमासी नदी है. लेकिन इसका इतिहास बड़ा रोचक है. घोड़ा पछाड़ नदी मांगली नदी की सहायक नदी है. यह राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया के पठारी क्षेत्र से शुरू होकर नमाना के चट्टानी क्षेत्र से गुजरती है.

जानकारों के अनुसार बूंदी जिले के चट्टानी क्षेत्र से होकर निकलने वाली घोड़ा पछाड़ नदी के नाम के पीछे कई तरह की किवदंतियां हैं. इलाके के इतिहास के जानकार ओमप्रकाश कुक्की के अनुसार बिजौलिया के पठारी क्षेत्र से शुरू होने वाली घोड़ा पछाड़ नदी चट्टानी क्षेत्र से होकर निकलने के कारण इसमें प्रवाहित होने वाला पानी तेज गति से बहता है. नदी बारहमासी होने के कारण इसमें हमेशा बहती रहती है.

नदी के पैंदे में काई जम जाने के कारण जबर्दस्त फिसलन हो जाती है
इसके कारण नदी की पैंदे में स्थित चट्टानो पर कांजी यानी काई के जम जाने से जबर्दस्त फिसलन हो जाती है. इतिहासकार बताते हैं 13वीं सदी में बूंदी रियासत पर आक्रमण करने के लिए मांडू सुल्तान की सेना घोड़ों पर सवार होकर आई थी. लेकिन वे घोड़े इस नदी की सतह पर जमी काई की वहज से आगे नहीं बढ़ पाए. काई की फिसलन की वजह से नदी के पानी में गिर गए. पानी के तेज बहाव से सेना घोड़ों समेत बह गई.

नदी के पानी का प्रवाह घोड़े की गति की भांति तेज रहता है
उसके बाद इसका नाम घोड़ा पछाड़ नदी यानी घोड़ों को भी पछाड़ देने वाली नदी पड़ गया. वहीं इतिहासकार राजकुमार दाधीच नदी के पानी की गति घोड़े की भांति तेज होने के कारण इसका नाम घोड़ा पछाड़ पड़ना बताते हैं. उनके मुताबिक चट्टानी क्षेत्र से निकलने के कारण नदी के पानी का प्रवाह भी घोड़े की गति की भांति तेज रहता है. यह नदी साथेली गांव के पास तालेड़ा नदी में मिल जाती है.

कई नदियों से होती हुई अंत में चंबल नदी में मिल जाती है
उसके बाद तालेड़ा नदी आगे चल कर सगावदा गांव के पास मांगली नदी में मिल जाती है. फिर वह कुरेल नदी में तब्दील हो जाती है. यह नदी आगे चल कर भैसखेड़ा गांव के पास मेज नदी में विलीन हो जाती है। मेज नदी उससे आगे पाली गांव के पास चंबल नदी में मिल जाती है. बहरहाल नदी और इसके इतिहास को लेकर तरह-तरह की कहानियां सामने आती हैं. लेकिन नदी का यह नाम हर किसी को चौंका देता है. नदी बहुत बड़ी नहीं है. यह बेहद सीमित इलाके में बहती है. लेकिन इस इलाके में इस नदी की चर्चा अक्सर होती रहती है.

Tags: Ajab Gajab news, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

August 3, 2024, 11:05 IST

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