Monday, February 24, 2025
Monday, February 24, 2025
Home देश क्या मराठवाडा में बाला साहेब की विरासत बचाने में कामयाब होंगे एकनाथ शिंदे?

क्या मराठवाडा में बाला साहेब की विरासत बचाने में कामयाब होंगे एकनाथ शिंदे?

by
0 comment

मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लोकसभा चुनाव में सात सीटों पर जीत हासिल करने के बाद विधानसभा चुनाव में 80 से ज्यादा सीटों पर जोर देने की योजना बनाई है. इसके तहत, वे महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में करीब 60 से ज्यादा सार्वजनिक सभाएं आयोजित करेंगे. खास बात यह है कि इनमें से 20-25 सभाएं मराठवाडा क्षेत्र में होंगी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एकनाथ शिंदे ने मराठवाडा पर इतना जोर क्यों दिया है? मराठवाडा शिवसेना की पारंपरिक राजनीति का गढ़ रहा है. बाला साहेब ठाकरे की अगुवाई में शिवसेना ने मराठवाडा में अपनी मजबूत पहचान बनाई थी. इस क्षेत्र में विधानसभा की करीब 46 सीटें हैं.

1990 के दशक में जब बाला साहेब की हिंदुत्व आधारित राजनीति ने जोर पकड़ा, तब मराठवाडा में कांग्रेस के खिलाफ शिवसेना को मजबूत समर्थन मिला. इस क्षेत्र में मोरेश्वर सावे, चंद्रकांत खैरे, संजय शिरसाट जैसे नेताओं ने शिवसेना के लिए काम किया और पार्टी ने लगातार वहां अपनी पकड़ बनाई. नब्बे के दशक में बाला साहेब ठाकरे के हिंदुत्व के डर से कई लोग मराठवाडा में कांग्रेस के विकल्प के तौर पर शिवसेना को प्राथमिकता देते थे. इससे मराठवाडा में शिवसेना की जड़ें गहरी हो गईं. लोगों ने भी शिवसेना को नाराज नहीं किया. हर चुनाव में मराठवाडा में शिवसेना को सफलता मिलती रही.

एकनाथ शिंदे भी शिवसेना के उसी हिंदुत्व के प्रतीक के रूप में उभरे हैं और मराठवाडा में उनकी उपस्थिति पार्टी को मजबूत करने के लिए अहम मानी जा रही है. इसके अलावा, शिंदे का मराठवाडा पर ध्यान केंद्रित करना आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता की दौड़ में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए भी जरूरी है, खासकर तब जब शिवसेना का ध्रुवीकरण और पार्टी का नेतृत्व बदला है.

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, शिंदे का मराठवाडा पर जोर इसलिए भी है क्योंकि यह क्षेत्र शिवसेना के लिए एक परंपरागत मतदाता आधार रहा है और यहां उनका मजबूत राजनीतिक नेटवर्क है. वे इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत कर आगामी चुनावों में विपक्ष के मुकाबले अधिक प्रभावी साबित होने की कोशिश करेंगे.

शिवसेना में फूट: मराठवाडा के शिवसेना विधायक शिंदे के समर्थन में
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी सरकार के गिरने के बाद, शिवसेना में बड़ी फूट पड़ी है और अब मराठवाडा के पांच शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे के समर्थन में खड़े हैं. संभाजीनगर (औरंगाबाद) जिले के ये विधायक शिंदे के साथ आकर उन्हें मजबूती दे रहे हैं. इस घटनाक्रम के बाद यह साफ हो गया है कि एकनाथ शिंदे का मराठवाडा पर विशेष ध्यान है और अब इस क्षेत्र में उनकी राजनीति का दायरा और मजबूत हो सकता है.

मराठवाडा में शिंदे का बढ़ता प्रभाव
शिवसेना के मराठवाडा के विधायक एकनाथ शिंदे के साथ खड़े होने से यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्रीय नेताओं का शिंदे के लिए विश्वास बढ़ा है. शिंदे का मराठवाडा में अधिक फोकस होना, विशेष रूप से इस वक्त जब शिवसेना के अंदर विवाद बढ़ रहे हैं, राजनीति के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. मराठवाडा में अगर शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना मजबूत होती है तो उनकी ताकत महाविकास अघाड़ी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है.

जरांगे आंदोलन और मराठा आरक्षण का प्रभाव
इस बीच, मराठा आरक्षण आंदोलन ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है. आंदोलन के केंद्र में मनोज जरांगे का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. उन्होंने राज्य सरकार से आरक्षण की मांग करते हुए आक्रामक रुख अपनाया, जिसके परिणामस्वरूप लोकसभा चुनाव में महायुती (बीजेपी-शिवसेना) को नुकसान उठाना पड़ा. खासकर जालना जिले के आंतरवाली सराटी गांव में शुरू हुए इस आंदोलन ने सत्ता पक्ष को कठघरे में खड़ा किया और उनके खिलाफ जनाक्रोश को जन्म दिया.

मनोज जरांगे का यह आंदोलन आगामी विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, और मराठवाडा में इस आंदोलन के प्रभाव से महायुती को और नुकसान हो सकता है. चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि जरांगे की वजह से मराठवाडा में महायुती की स्थिति कमजोर हो सकती है क्योंकि आंदोलन में जुड़ी मांगें और आंदोलकों का गुस्सा बीजेपी और एकनाथ शिंदे के खिलाफ था.

बीजेपी ने भी पहचाना खतरा, मराठवाडा में शिंदे को ज्यादा सीटें
मनोज जरांगे, जो मराठा आरक्षण आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं, हालांकि देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी पर निशाना साधते रहे हैं, लेकिन उन्होंने एकनाथ शिंदे पर कभी भी व्यक्तिगत हमले नहीं किए. बल्कि, जरांगे यह भी मानते हैं कि शिंदे ही आरक्षण देने का समाधान निकाल सकते हैं. जरांगे का यह बयान शिंदे के लिए एक अप्रत्यक्ष समर्थन के रूप में देखा जा सकता है, और यही वजह है कि मराठवाडा में शिंदे के उम्मीदवारों को ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं है. इसके अलावा, बीजेपी ने भी यह स्थिति समझते हुए मराठवाडा में सीटों के बंटवारे में शिवसेना को अधिक सीटें देने का निर्णय लिया. मराठवाडा में बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिवसेना 16 सीटों पर अपनी किस्मत आजमाएगी.

हिंदू मत का ध्रुवीकरण करने की कोशिश
इसलिए राज्य भर में होने वाली 60 बैठकों में से करीब 20 से 25 बैठकें मुख्यमंत्री शिंदे मराठवाडा में करेंगे. इस दौरान वे इस आरोप को और धार देंगे कि उद्धव ठाकरे ने हिंदू धर्म छोड़ दिया है. साथ ही शिंदे यह कहकर हिंदू जनमत का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करते नजर आएंगे कि कांग्रेस पार्टी मुस्लिम महिलाओं का पक्ष ले रही है. इस माध्यम से शिवसेना पार्टी के अधिक से अधिक विधायकों को जिताने के लिए मुख्यमंत्री शिंदे मराठवाडा पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहे हैं.

Tags: Devendra Fadnavis, Eknath Shinde, Maharashtra election 2024, Shiv sena

FIRST PUBLISHED :

November 9, 2024, 23:23 IST

You may also like

Leave a Comment

About Us

Welcome to janashakti.news/hi, your trusted source for breaking news, insightful analysis, and captivating stories from around the globe. Whether you’re seeking updates on politics, technology, sports, entertainment, or beyond, we deliver timely and reliable coverage to keep you informed and engaged.

@2024 – All Right Reserved – janashakti.news/hi

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.