Wednesday, February 26, 2025
Wednesday, February 26, 2025
Home देश कैसे 1930 के दशक में ही गांधी अमेरिका समेत दुनिया के समाचारों में स्टार बन गए

कैसे 1930 के दशक में ही गांधी अमेरिका समेत दुनिया के समाचारों में स्टार बन गए

by
0 comment

हाइलाइट्स

30 के दशक में दुनियाभर का मीडिया तवज्जो देने लगा था नमक आंदोलन पर उनकी न्यूजरील खूब देखी गई विदेशी पत्रकार उन्हें हमेशा घेरे रहते थे, उन पर खूब किताबें लिखी जा रहीं थीं

दुनिया उस गांधी को कब से जानती थी. अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी शख्सियत 30 और 40 के दशक में अक्सर कहा करती थी कि आने वाली पीढ़ियां शायद विश्वास कर पाएं कि इस दुनिया में गांधीजी सरीखा हाड़मांस का इंसान भी रहा करता था. लेव टॉलस्टॉय से लेकर दुनिया की सभी शख्सियतें उनकी मुरीद होने लगी थीं. 1930 और 1931 में “टाइम” मैगजीन ने गांधीजी की तस्वीर को कवर पर छापते हुए उन पर खास लेख लिखे. इनमें से एक में उन्हें संत कहा गया और दूसरे में “मैन आफ द ईयर”. गांधीजी पर पहली जीवनी  1909 में एक अंग्रेज पादरी द्वारा लिखे जाने के बाद लंदन में किताब के रूप में प्रकाशित हुई.

दरअसल गांधीजी को आजादी से पहले जितना भारत के लोग जानते थे. उससे कम विदेशों में नहीं जानते थे. 1908 में जब उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया तो उनकी चर्चाएं होने लगी थीं. 1920 में भारत लौटने के बाद उन्होंने जो किया, उसके बाद तो वह किसी के लिए अपरिचित नहीं रह गए.  गांधीजी के निधन के बाद दिल्ली में जब उनकी अंतिम यात्रा निकली, तो दुनियाभर के जितने नेता उसमें शामिल हुए, वैसा शायद दुनिया फिर कभी नहीं देखा गया.

30 का दशक आते-आते गांधीजी खबरों की दुनिया में विश्व भर में चर्चित शख्सियत बन चुके थे. 1920 में अपने असहयोग आंदोलन के बाद वह पहली बार अमेरिकी चेतना और विश्व परिदृश्य पर उभरे. ये ऐसा दौर भी था जब ब्रिटिश मीडिया आमतौर पर नकारात्मक तरीके से उन्हें चित्रित करता था.

1930 में गांधी की ऐतिहासिक दांडी यात्रा ने उन्हें अमेरिका और पश्चिमी मीडिया का हीरो बना दिया. न्यूयॉर्क टाइम्स समेत अमेरिकी अखबार उन्हें नायक बताने लगे. अमेरिकी जनमानस आजादी की इस लड़ाई में भारत के साथ लगने लगा. उनका अहिंसक तरीका उन्हें लोकप्रिय बना रहा था.

20 सितंबर 1931 का बर्लिंगटन हॉक आई अखबार का अंक, जिसमें गांधीजी को लेकर ये खबर प्रकाशित हुई थी. ये अखबार अमेरिका का सबसे पुराने और बड़े अखबारों में गिना जाता है. (फाइल फोटो)

जब टाइम मैगजीन ने उन्हें ‘संत गांधी’ लिखा
1930 में नमक सत्याग्रह के बाद “टाइम” पत्रिका ने पहली बार गांधीजी अपने कवर पर “संत गांधी” शीर्षक से छापा. फिर वर्ष 1931 में उन्हें “टाइम” के कवर पर छाप कर “मैन ऑफ द ईयर” लिखा गया. वे पश्चिमी दुनिया विशेष रूप से अमेरिका में सुर्खियों पा रहे थे.

इसके बाद दुनियाभर के विदेशी पत्रकार खासतौर पर गांधीजी से मिलने और उनकी सभाओं, आंदोलन की रिपोर्टिंग करने भारत आने लगे. उस जमाने में वॉल स्ट्रीट जर्नल, शिकागो ट्रिब्यून, शिकागो डेली न्यूज़, वाशिंगटन पोस्ट, नेशन, टाइम के संवाददाता भारत में आ रहे थे.

जब अमेरिकी पत्रकार ने एक हफ्ते गांधीजी के साथ गुजारा
ये वही दौर था जब जाने माने अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर दो महीने के लिए भारत आए. पूरा एक हफ्ता उन्होंने आश्रम में गांधीजी के साथ गुजारा. वह उन्हें रोज एक घंटे देते थे. साथ में खाने और घूमते समय बात करने का अलग मौका. फिर उन्होंने एक किताब लिखी, “सेवन डेज विद गांधीजी”. जिसमें उन्होंने गांधजी की जिंदगी, पसंद-नापसंद के बारे में लिखा.

अमेरिकी पत्रकार और लेखक लुई फिशर ने 1942 में गांधी के आश्रम में उनके साथ एक हफ्ता गुजारा. बाद में उन्होंने गांधीजी पर तीन किताबें लिखीं. जिसमें गांधीजी पर लिखी उनकी जीवनी उन मूवी का आधार बनी, जो सर रिचर्ड एटनबरो ने बनाई थी. (फाइल फोटो)

ये फिशर ही थे जिन्होंने 1950 में गांधीजी पर वो जीवनी “द लाइफ ऑफ महात्मा गांधी” लिखी, जो पूरी दुनिया में हिट है. इसी को पढ़कर सर रिचर्ड एटनबरो इतने प्रभावित हुए कि उनके आंखों के सामने भविष्य की एक मूवी नाचने लगी. बाद में उन्होंने गांधीजी पर सुपरहिट मूवी बनाई, जो दुनियाभर में खूब देखी गई, सराही गई.

हर हफ्ते दुनिया में कहीं गांधी पर एक किताब छपती है
भारत की आजादी तक दुनिया में गांधीजी पर ना जाने कितनी ही भाषाओं में किताबें और जीवनियां छप चुकी थीं. रामचंद्र गुहा ने कहीं लिखा, ये तय मान लीजिए कि जितनी किताबें अब गांधीजी पर दुनियाभर में लिखी गई हैं, उतनी किसी और पर नहीं. तकरीबन हर हफ्ते ही उन पर लिखी कोई ना कोई किताब दुनिया में कहीं ना कहीं प्रकाशित हो रही होती है.

गांधीजी जब 1931 में गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने लंदन पहुंचे तो कई विदेशी फिल्म निर्माता लगातार उनकी न्यूज रील बना रहे थे, जिसे दुनियाभर में दिखाया जा रहा था. (courtesy british pathe)

नमक आंदोलन पर गांधीजी की न्यूज रील 
नमक आंदोलन के दौरान गांधीजी पर जो न्यूज रील बनी, वो तब हर देश में खासकर यूरोपीय देशों में देखी गई थी. यही वजह थी कि जब 1931 में गांधीजी दूसरे गोलमेल सम्मेलेन में हिस्सा लेने इंग्लैंड गए तो विदेशी निर्माताओं ने विशेष रूप से गांधी के महत्व को ध्यान में रखते हुए कई वृत्तचित्र और न्यूज़रील बनाए गए थे.

विदेशी पत्रकार और गांधी
नमक आंदोलन के दौरान तो आलम ये था कि ब्रितानी सरकार कोशिश करती थी कि विदेशी पत्रकारों को इसे कवर करने से रोका जाए लेकिन उसके बावजूद खबरें कवर हो ही जाती थीं. वेब मिलर एकमात्र विदेशी संवाददाता थे जिन्होंने धरसाना नमक कारखाने में गांधीजी के प्रदर्शन को कवर किया था. तब ब्रितानी सरकार ने उन्हें गांधी से दूर रखने की पूरी कोशिश की. उनके केबल को बाहर जाने से रोक दिया. लेकिन वह अपने कुछ संदेशों को दूसरे चैनल के ज़रिए चुपके से बाहर भेजने में कामयाब रहे. धरासना की कहानी दुनिया भर में यूनाइटेड प्रेस द्वारा संचालित 1,350 अख़बारों में छपी और अहिंसक प्रतिरोध के मार्ग को विश्व प्रसिद्ध बना दिया.

ब्रिटिश सरकार की अनिच्छा और गैरसहयोगी रुख के बाद भी एपी के अनुभवी संवाददाता जेए मिल्स ने गांधी के साथ एक खास रिश्ता बनाया. उन्होंने गांधी के बारे में विस्तृत फीचर और विस्तृत रेखाचित्रों की एक श्रृंखला लिखी, जिसमें इस पूरे घटनाक्रम और इसके मुख्य नायक को दर्शाया गया, जिन्हें पूरे अमेरिका और यूरोप के अखबारों ने सिंडिकेट किया.

दिवंगत अमेरिकी पत्रकार और लेखक विलियम शायर को नाज़ीवाद और थर्ड रीच के बारे में उनके खुलासे के लिए सबसे ज़्यादा याद किया जाता है. जब उन्हें 1930 में “मैककॉर्मिक” द्वारा भारत भेजा गया, तब वह 27 वर्षीय संवाददाता थे. वह गांधीजी के साथ जल्दी ही तालमेल बिठाने में सफल रहे. उन विदेशी संवाददाताओं में एक बन गए जिन पर गांधी भरोसा करते थे.

अलग और अहिंसा के पुजारी
इन विदेशी पत्रकारों के जरिए गांधीजी दुनियाभर में एक ऐसे नेता बन रहे थे, जो दूसरों से अलग और अहिंसा के पुजारी थे. जिनकी एक आवाज पर जनता पीछे आकर खड़ी हो जाती थी. रिचर्ड एटनबरो की गांधी (1982) में विंस वॉकर का किरदार इन वास्तविक जीवन के पत्रकारों पर आधारित एक मिश्रित किरदार था.

फिल्मों में गांधीजी
फिल्म गांधी, 1982 में रिलीज हुई. 1983 में 55वें अकादमी पुरस्कार में ‘गांधी’ ने आठ ऑस्कर जीते. 1953 में गांधी अमेरिकी फीचर डॉक्यूमेंट्री ‘महात्मा गांधी: 20वीं सदी के पैगंबर’ का विषय थे.1937 में एके चेट्टियार ने डॉक्यूमेंट्री पर काम शुरू किया था. 1963 में ब्रिटिश-अमेरिकी थ्रिलर-ड्रामा फिल्म ‘नाइन ऑवर्स टू रामा’ रिलीज हुई थी. इसे मार्क रॉबसन ने निर्देशित किया था. ये कहानी महात्मा गांधी की हत्या करने की नाथूराम गोडसे की योजना की “काल्पनिक कथा” पर आधारित है.1968 में गांधीजी के जीवन पर ‘महात्मा: गांधी का जीवन, 1869-1948’ नामक एक वृत्तचित्र बनाया गया था जिसका निर्देशन विट्ठलभाई झावेरी ने किया.

एटनबरो 1962 से गांधी पर फिल्म बनाना चाह रहे थे
हालांकि रिचर्ड एटनबरो ने 1982 गांधी फिल्म बनाई. लेकिन वह 1962 से इसके लिए कोशिश कर रहे थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू से मिले. लेकिन 1964 में नेहरू की मृत्यु के बाद ये प्रोजेक्ट लटक गया। फिर इंदिरा गांधी से 70 के दशक के आखिर में इस प्रोजेक्ट के लिए मदद ली.
इससे पहले 1952 में, गेब्रियल पास्कल ने भारत के तत्काल प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ गांधी के जीवन पर एक फ़िल्म बनाने के लिए एक समझौता किया था लेकिन तैयारी पूरी होने से पहले ही 1954 में पास्कल की मृत्यु हो गई.

दुनियाभर में प्रतिमाएं
– आध्यात्मिक रिट्रीट के संस्थापक परमहंस योगानंद द्वारा 1950 में लेक श्राइन , कैलिफोर्निया, अमेरिका के अंदर एक गांधी विश्व शांति स्मारक बनाया गया
– यूरोप में महात्मा गांधी की सबसे पुरानी मूर्तियों में से एक ब्रुसेल्स हाउस में मोलेनबीक कम्यून के पार्क मैरी जोसी में स्थित है. ये 1969 में गांधीजी की 100वीं जयंती के अवसर पर स्थापित की गई.
– 17 मई, 1968 को लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर में ” महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन प्रधानमंत्री हेरोल्ड विल्सन ने किया.
– 1948 में महात्मा गांधी की राख का एक हिस्सा युगांडा में नील नदी सहित दुनिया की कई महान नदियों में बिखेरने के लिए विभाजित किया गया. इसके पास 1997 में उनकी एक प्रतिमा स्थापित की गई.
– 15 मई, 1988 को कनाडा के ओंटारियो के प्रीमियर डेविड पीटरसन द्वारा वॉयस ऑफ वेदाज़ मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया गया
दुनियाभर में गांधीजी की 100 से ज्यादा प्रतिमाएं हैं जबकि तकरीबन हर देश में उनके नाम पर सड़क का नाम रखा हुआ है.

Tags: Mahatma gandhi, Mahatma Gandhi news, Mahatma Gandhi Statue

FIRST PUBLISHED :

May 30, 2024, 14:45 IST

You may also like

Leave a Comment

About Us

Welcome to janashakti.news/hi, your trusted source for breaking news, insightful analysis, and captivating stories from around the globe. Whether you’re seeking updates on politics, technology, sports, entertainment, or beyond, we deliver timely and reliable coverage to keep you informed and engaged.

@2024 – All Right Reserved – janashakti.news/hi

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.