केंद्रीय मंत्री ने उद्घाटन के लिए मांगे पैसे! कहा- मैं सांसद के साथ-साथ…, जानें क्या कहता है नियम
/
/
/
केंद्रीय मंत्री ने उद्घाटन के लिए मांगे पैसे! कहा- मैं सांसद के साथ-साथ…, जानें क्या कहता है नियम
केंद्रीय मंत्री ने उद्घाटन के लिए मांगे पैसे! कहा- मैं सांसद के साथ-साथ…, जानें क्या कहता है नियम
केरल से आने वाले सुरेश गोपी अभिनेता से राजनेता बने और त्रिशूर सीट जीतकर लोकसभा पहुंचे. बीजेपी के लिए यह ऐतिहासिक कामयाबी थी, क्योंकि पहली बार केरल का कोई शख्स बीजेपी के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचा था. बीजेपी ने उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी और केंद्रीय पर्यटन और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री बनाया. लेकिन सुरेश गोपी को अभिनय से अभी भी बेहद लगाव है. इसलिए जीतते ही उन्होंने ऐलान कर दिया कि फिल्मों में एक्टिंंग करना जारी रखेंगे. ये भी कहा, जो भी वे कमाएंगे, उसका एक हिस्सा लोगों और समाज की भलाई के लिए खर्च करेंगे. इस वजह से लोग उनकी खूब तारीफ करते हैं. लेकिन बीते दिनों उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया, जिसे लेकर सवाल उठने लगे.
सुरेश गोपी ने एक कार्यक्रम में कहा कि वो फिल्म इंडस्ट्री के अन्य एक्टर की तरह कार्यक्रमों में जाएंगे और उद्घाटन कार्यक्रमों के लिए पैसे भी लेंगे. उन्होंने कहा, जब भी मैं किसी कार्यक्रम में जाता हूं, तो ये मत सोचिए कि मैं सांसद के रूप में इसका उद्घाटन करूंगा. मैं एक अभिनेता के रूप में आऊंगा. अन्य लोगों की तरह ही मैं इसके लिए सैलरी लूंगा, जिस तरह से मेरे अन्य साथी लेते हैं.’ हालांकि, सुरेश गोपी ने यह भी साफ कर दिया कि जो भी पैसा इससे मिलेगा, वो पूरा उनके ट्रस्ट में जाएगा और लोगों की भलाई पर खर्च किया जाएगा.
क्यों उठ रहे सवाल?
आमतौर पर कोई सांसद या मंत्री किसी कार्यक्रम का उद्घाटन करते हैं तो पैसों की डिमांड नहीं होती. लेकिन सुरेश गोपी तो एक मशहूर अभिनेता भी हैं. तो क्या वे भी ऐसा नहीं कर सकते? क्या कोई सांसद दूसरी कमाई कर सकता है? इसके लिए संविधान में क्या नियम है? इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में कुछ प्रावधान किए गए हैं, जो सांसदों-विधायकों के आचरण को नियंत्रित करते हैं.
आखिर लाभ का पद है क्या ?
- संविधान के अनुच्छेद 102 में बताया गया है कि किसी सांसद को किस काम की वजह से अयोग्य ठहराया जा सकता है. वहीं, अनुच्छेद 191 में बताया गया है कि विधायकों को किस काम के लिए अयोग्य माना जाएगा.
- संविधान के अनुच्छेद 102 (1A) में कहा गया है कि कोई सांसद अथवा विधायक, ऐसे किसी पद पर नहीं रह सकता जहां वेतन या भत्ते समेत अन्य कोई लाभ मिलते हों. सांसदों और विधायकों को लाभ के अन्य पद लेने से रोकने के लिए संविधान के अनुच्छेद 191 (1A) और जनप्रतिनिधि कानून की धारा 9A के तहत प्रावधान हैं.
- संविधान या जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में ‘पद’ शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन अदालतों ने समय-समय पर अपने फैसलों में इसकी व्याख्या कुछ ‘कर्तव्यों वाले पद’ के रूप में की है, जो सार्वजनिक चरित्र के हैं. सांसद या विधायक किसी ऐसे पद पर नहीं रह सकता, जहां अलग से सैलरी, अलाउंस और दूसरे फायदे मिलते हों. हालांकि, ऐसे मामले में सदस्यता जाएगी या नहीं, इस पर आखिरी फैसला राष्ट्रपति को लेना होता है.
- सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में ऐसे ही एक मामले में जया बच्चन को राज्यसभा से अयोग्य ठहराए जाने को सही माना था. जया राज्यसभा सांसद थीं. इसके साथ ही वह उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम की चेयरमैन भी थीं, जिसे ‘लाभ का पद’ करार दिया गया. कोर्ट ने तब कहा था, “यह तय करने के लिए कि कोई व्यक्ति लाभ का पद धारण कर रहा है या नहीं, प्रासंगिक यह है कि क्या वह पद लाभ या आर्थिक फायदा देने में सक्षम है, न कि यह कि क्या व्यक्ति ने वास्तव में आर्थिक लाभ प्राप्त किया है”
- गृह मंत्रालय द्वारा मंत्रियों के लिए बकायदा आचार संहिता जारी की जाती है. इसके अनुसार, एक मंत्री को “मंत्री के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले जिस भी व्यवसाय में उसकी रुचि थी, उसके संचालन और प्रबंधन से सभी संबंध विच्छेद कर लेने चाहिए, सिवाय इसके कि वह स्वयं स्वामित्व से अलग हो जाए. मंत्रियों को किसी भी व्यवसाय को शुरू करने या उसमें शामिल होने से बचना है.”
Tags: BJP, Bjp government, Centre Government
FIRST PUBLISHED :
July 8, 2024, 05:32 IST