Tuesday, February 25, 2025
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Home किन्नरों को जोड़ा, दिखायी धर्म की राह, 5.50 लाख नागाओं का सबसे बड़ा जूना अखाड़ा

किन्नरों को जोड़ा, दिखायी धर्म की राह, 5.50 लाख नागाओं का सबसे बड़ा जूना अखाड़ा

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संजय पांडेय, प्रयागराज: जूना अखाड़ा समाज सुधार को लेकर काफी काम करता है। अखाड़े ने उच्चतम न्यायालय की ओर से थर्ड जेंडर के रूप में किन्नरों को मान्यता दिए जाने के बाद उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के मकसद से किन्नर अखाड़ा को अपने अखाड़े में न सिर्फ जगह दी, बल्कि उन्हें अपने साथ धर्म ध्वजा लगाने और अमृत स्नान (शाही स्नान) करने का भी मौका दिया।

श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के साथ अग्नि और आह्वान अखाड़ा भी जुड़े हुए हैं। दोनों अखाड़े अपनी छावनी प्रवेश शोभा यात्रा (पेशवाई) जूना के साथ निकालते हैं और अमृत स्नान (शाही स्नान) भी उसी के साथ करते हैं।

महाकुंभ में पांच हजार से अधिक नागा होंगे शामिल

शस्त्र विद्या में निपुण सनातन धर्म की सबसे बड़ी सेना खड़ी करने वाले पंच दशनाम जूना अखाड़े में इस महाकुंभ में पांच हजार से अधिक नए नागा संन्यासी शामिल होंगे। इनमें से करीब एक हजार को शामिल भी किया जा चुका है। वैष्णव और शिव संन्यासी संप्रदाय के 13 अखाड़ों में करीब 5.50 लाख नागाओं के जत्थे वाला जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है।

आठवीं शताब्दी में गठित भैरव अखाड़े को ही बाद में पंच दशनाम जूना अखाड़े के रूप में मान्यता दी गई। जूना अखाड़े के संन्यासी अपना ईष्टदेव भगवान शिव को और गुरु दत्तात्रेय को मानते हैं। शिव संन्यासी संप्रदाय के तहत ही दशनामी परंपरा का पालन इस अखाड़े के संन्यासी करते हैं। जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि बताते हैं कि संन्यास ग्रहण कराने के बाद गुरुओं की ओर से इस अखाड़े की दशनामी परंपरा में गिरि, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम को लेकर 10 नाम दिए जाते हैं।

मढ़ियों का है खास स्थान

अखाड़े के प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि बताते हैं कि जूना अखाड़े की आंतरिक संरचना बहुत दिलचस्प है। इस अखाड़े के भीतर संन्यासियों के 52 परिवारों के बीच सभी बड़े सदस्यों की एक कमेटी नियंत्रक की तरह काम करती है। इस सबसे बड़े संत समूह के संचालन में जूना अखाड़े की चार मढ़ियां भी खास होती हैं। तीन मढ़ी, चार मढ़ी, 13 मढ़ी और 14 मढ़ी वाली इन चारों मढ़ियों में महंत से लेकर अष्टकौशल महंत और कोतवाल, कोठारी के पद पर चुन कर लाए गए संतों का ही गद्दी पर पट्टाभिषेक किया जाता है।

निजाम और अहमद शाह अब्दाली को नागाओं ने किया था परास्त

कुंभ में अमृत स्नान की खास झलक बनने वाले जूना अखाड़े के संन्यासी शस्त्र विद्या में निपुण होने के साथ ही तलवार, भाला, फरसा जैसे शस्त्रों से लैस रहते हैं। मुगल काल में जब बार-बार मंदिरों और मठों को नष्ट करने की कोशिश हुई थी, तब मुगलों के साथ युद्ध में कई हजार नागाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी।

अहमद शाह अब्दाली ने जब मथुरा-वृंदावन के बाद गोकुल पर आक्रमण किया, तब नागाओं ने मुगल सेना का मुकाबला कर गोकुल की रक्षा की थी। इसी तरह जूनागढ़ के निजाम के साथ भी नागाओं ने भीषण युद्ध किया था, जिसमें निजाम को हार का सामना करना पड़ा था।

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