वाराणसी में कांवेंट स्कूलों को टक्कर देने वाले परिषदीय विद्यालयों में बढ़ती छात्र संख्या से सीटें हाउसफुल हो गई है। छात्रों को लेकर अभिभावक स्कूलों पर दस्तक दे रहे हैं तो वहीं स्कूल की प्रवेश सूची वेटिंग में है। ऐसा आलम शहर से लेकर देहात तक कई परिषदीय
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हालांकि अब इन स्कूलों ने परिसर में ब्लैक बोर्ड पर एडमिशन क्लोज्ड भी लिख दिया गया है। वहीं कुछ स्कूलों में प्रवेश रजिस्टर में चंद कॉलम ही बचे हैं। इन स्कूलों के शिक्षकों ने परिषदीय विद्यालयों को लेकर आम राय को भी बदला है तो वहीं पढ़ाई के बल पर अभिभावकों को एडमिशन करवाने के लिए आकर्षित भी किया है।
जनपद के आठ ब्लाकों में करीब 1014 प्राथमिक और 354 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, सबसे पहले बात करते हैं शहर के कंपोजिट विद्यालय महेशपुर की। जहां स्कूल के सभी कक्षाओं में अब सीटें फुल हो गई हैं। सत्र 2024-25 के लिए अब तक 412 छात्र-छात्राओं के दाखिले हुए हैं। मानक के अनुसार, स्कूल में आठ ही सीटें बची हैं।
दाखिले का दबाव ज्यादा है, इसलिए प्रिंसिपल ने स्कूल परिसर में ब्लैक बोर्ड पर एडमिशन क्लोज्ड लिख दिया है। कंपोजिट विद्यालय महेशपुर में पिछले दो-तीन वर्षों से छात्र-छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसके पीछे पढ़ाई का स्तर, अनुशासन, शिक्षकों की समय पर उपस्थिति और अभिभावकों के साथ शिक्षकों के संवाद को प्रमुख वजह माना जा रहा है। पिछले वर्ष विद्यालय में बच्चों की संख्या 390 के आसपास थी, हालांकि सीटिंग प्लान में भी महज 420 बच्चों को बैठाया जा सकता है। इस बार स्कूल में एडमीशन ने पिछले रिकार्ड तोड़ दिए।
एक शिक्षक पर 35 विद्यार्थियों का मानक
कंपोजिट विद्यालय महेशपुर की प्रधानाध्यापक शैल कुमारी ने बताया कि परिषदीय विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक पढ़ाई होती है। एक शिक्षक पर 35 विद्यार्थियों को दाखिला देने का मानक है। इस हिसाब से 12 शिक्षकों वाले विद्यालय में 420 विद्यार्थियों का दाखिला होना चाहिए, लेकिन क्लासरूम का आकार छोटा है।
इस कारण बच्चों के बैठने के लिए जगह नहीं है। प्रधानाध्यापक के मुताबिक, 35 विद्यार्थियों की क्षमता वाले कमरे में 50 से 60 विद्यार्थी बैठाए जा रहे हैं। कक्षा एक में 50 प्रवेश हो गए हैं और लगातार प्रवेश को लेकर अभिभावक आ रहे हैं। महेशपुर विद्यालय में आठ कमरे हैं। अतिरिक्त कक्षा कक्ष नहीं है। कक्षाओं को दो सेक्शन में भी नहीं बांट पा रहे हैं।
अनुशासन ही प्राथमिकता, पढ़ाई पर फोकस
प्रधानाचार्य ने बताया कि स्कूल में अनुशासन ही प्राथमिकता है, इसके साथ ही पढ़ाई पर पूरा फोकस किया जाता है। सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को सुबह की प्रार्थना में जरूर शामिल होने का निर्देश है, जिसका सख्ती से पालन कराया जाता है। अध्यापक समय पर इसकी मॉनीटरिंग की जाती है। बच्चों की क्लास और होमवर्क के संबंध में अभिभावकों से समय-समय पर संवाद किया जाता है।
जिले में घटी छात्र संख्या
वाराणसी में वर्ष 2023 की तुलना में इस बार परिषदीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं की संख्या पिछले सत्र के मुकाबले 28 हजार कम हो गई है। पिछली बार जहां दो लाख के आसपास विद्यार्थी थे, वहीं इस बार 1.72 लाख ही रह गए। नामांकन बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रत्येक स्कूल को कक्षा एक में कम से कम 10 नए बच्चों का प्रवेश लेने का लक्ष्य दिया गया गया था।
बीएसए बोले- अभिभावकों का झुकाव सुखद
बीएसए डॉ. अरविंद पाठक ने बताया कि गर्मी में बच्चों को कंपोजिट विद्यालय महेशपुर में पर्याप्त प्रवेश हो चुका है। सरकारी स्कूल विद्यालय की तरफ बच्चों और अभिभावकों का झुकाव सुखद है। 31 जुलाई तक प्रवेश की समीक्षा की जाएगी, अन्य स्कूलों को भी छात्र संख्या का बेहतर परिणाम दिखाने के लिए प्रेरित किया गया है