Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां खासकर बीजेपी और कांग्रेस की एक-एक सीट और एक-एक वोट पर नजर है. दोनों पार्टियां उसी के हिसाब से रणनीति बनाने में भी जुट गई है. खासकर यूपी-बिहार के प्रवासी वोटरों को लेकर भी नई रणनीति बनाई जा रही है. आपको बता दें कि यूपी-बिहार के मीडिल क्लास के लोग जहां हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद और चंडीगढ़ जैसे शहरों की बड़ी सोसाइटी और अपार्टमेंट्स में रहने लगे हैं. वहीं, सोनीपत, पानीपत, जिंद, झज्जर, रेवाड़ी और कुरुक्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में मजदूर क्लास के लोग खेतों और कारखानों में काम करते-करते अब यहीं के हो गए हैं. ये लोग सब्जी बेचते हैं, ऑफिस और फैक्टरियों के सामने चाय का ठेला लगाते हैं, बड़े-बड़े अपार्टमेंट्स में प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन और गार्ड का काम करते हैं. ऐसे वोटरों पर अब हरियाणा के सभी पार्टियों की नजर है.
अगर बात गुरुग्राम जिले की चार विधानसभा सीटों की करें तो यहां की गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना और पटौदी विधानसभा सीटों पर यूपी-बिहार के प्रवासी वोटरों का मत निर्णायक साबित होने वाला है. लेकिन, इन प्रवासी मजदूरों का हाल जानने से पहले यह जान लीजिए कि हरियाणा में जातिगत वोटरों की संख्या कितनी है. यहां जाट वोट 22 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 21 प्रतिशत, पंजाबी समुदाय के 8 प्रतिशत, ब्राह्मण 7.5 प्रतिशत, यादव 5.14 प्रतिशत, वैश्य करीब 5 प्रतिशत, राजपूत करीब 3.4 प्रतिशत, गुर्जर तकरीबन 3.35 प्रतिशत, मेव और मुस्लिम तकरीबन 3.8 प्रतिशत हैं. वहीं, यूपी-बिहार के तकरीबन 15 से 16 लाख प्रवासी वोटर हरियाणा के गुड़गांव (गुरुग्राम), फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत, झज्जर, रेवाड़ी और कुरुक्षेत्र जैसे शहरों में हैं.
हरियाणा ने ऐसे बदल दी यूपी-बिहार के प्रवासियों की किस्मत
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के संसदीय सीट रायबरेली के छतोह के रहने वाले 21 साल के कुलदीप लॉकडाउन के बाद से ही गुरुग्राम आ गए. कुलदीप सरोज जाति से आते हैं. न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कुलदीप ने प्रवासी मजदूरों की कहानी बताते-बताते भावुक हो गए. कुलदीप तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. यूपी बोर्ड से 10वीं पास कर गुरुग्राम के पालम विहार आरडब्ल्यूए सी-1 ब्लॉक में माली का काम करते हैं. खास बात यह है कि कुलदीप दलित समुदाय से आते हैं.
कुलदीप कहते हैं, ‘मैं हरियाणा का वोटर नहीं हूं. लेकिन, मेरे साथ रहने वाले कई लोग अब यहां के वोटर हो गए हैं. सारे लोग पहले यहां मजदूरी करने आए थे. अब यहीं घर बना लिया. जिसने काम पर लगवाया, वह भी रायबरेली का ही रहने वाला है. मेरी ही जाति का है. गांव में क्या करते? कहां नौकरी है? जब अभी नौकरी नहीं है तो आने वाले 5-10 सालों में तो स्थिति और खराब होती. 10 साल में अगर 10 लाख रुपया कमा कर जमा करना ठीक है या 10 साल पढ़ाई कर बर्बाद करना ठीक रहता? अगर नौकरी मिलती तो गुड़गांव आते ही क्यों? क्यों 30 साल तक नौकरी के लिए भटकता रहूं? अभी तीन लोग एक कमरे में रहते हैं. कमरे का किराया 3500 रुपया है. मेरी सैलरी 12000 है और इसमें लगभग 6000 रुपया खर्च हो जाता है. हर महीने घर 4-5 हजार रुपया बचा लेते हैं. किसी महीना कम भी हो जाता है. 8 घंटे की ड्यूटी करते हैं.’
बैठते थे कभी जमीन पर अब कुर्सी पर बैठकर पा रहे हैं इज्जत
बिहार के जमुई जिले के रहने वाले जय प्रकाश गुड़गांव के सेक्टर 56 में आरडब्ल्यूए सोसाइटियों में प्लंबर का काम करते हैं. जय प्रकाश महादलित वर्ग से आते हैं. जय प्रकाश 16-17 सालों से गुरुग्राम में रह रहे हैं. जय प्रकाश ने न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में बताया, ’20-21 साल की उम्र में गुड़गांव आ गया था. कुछ दिनों तक एक जूता बनाने वाली फैक्ट्री में काम किया. फिर एक दिन अपने दोस्त के पास टीकली गांव मिलने चला गया. पहुंचने पर देखा कि वह जमीन खरीद कर मकान बना रहा है. मैंने बातचीत में पूछा दोस्त क्या काम करते हो? उसने जवाब दिया कि अपार्टमेंट में पानी का नल जाम हो जाता है उसे ठीक करते हैं. मैंने भी नौकरी छोड़ दी और यही काम शुरू कर दिया. आज मेरा भी टीकली में एक घर हो गया.’
जय प्रकाश कहते हैं, ‘मेरे 3 बच्चे हैं. छोटा बेटा अभी पढ़ रहा है. बड़ी बेटी की गुड़गांव में ही शादी कर दिया हूं. एक बेटा आईटीआई कर नौकरी कर रहा है. आप बताइए मैं बिहार में रहकर ये कर सकता था? लालू यादव, तेजस्वी यादव या चिराग पासवान ने क्या किया? मोदी जी अच्छा काम कर रहे हैं. देखिए, नसीब खराब भी हो जाए तो भी महीने में 60-70 कहीं नहीं जाता है. 8-10 आरडब्ल्यूए का काम करते हैं. रोजाना 5 से 10 कॉल हैंडल करते हैं. दिन में अगर घर से निकलते हैं तो 2-3 हजार कहीं नहीं जाता. बताइए क्या बिहार में कमा सकता था? क्या चिराग पासवान देंगे नौकरी? सब अपनी कुर्सी के बचाने में लगा है.’
हरियाणा विधानसभा चुनाव में चर्चा के दौरान कुलदीप और जय प्रकाश के साथ-साथ आजाद, सन्नी और रणवीर से भी न्यूज 18 ने बाती की. सभी लोग यूपी-बिहार से हैं. खास बात यह है कि सभी एससी के कोटे में आते हैं. ऐसे में अगर आरक्षण का लाभ इन लोगों को मिला होता तो शायद ये हरियाणा नहीं आते. ये लोग भी राहुल गांधी, अखिलेश यादव और चिराग पासवान के दलित आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा देने के फैसले पर विरोध करने पर हैरानी जताते हुए कहते हैं, ‘ये लोग बताएं ने इन लोगों ने 75 सालों में कुछ दिया होता तो हरियाणा आने की नौबत आती?. क्या यह जवाब SC-ST में कोटे के अंदर कोटा का विरोध करने वालों को आंखें खोल दे.
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FIRST PUBLISHED :
August 30, 2024, 17:09 IST