लखनऊः आंध्र प्रदेश के तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के प्रसाद (लड्डू) तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु चर्बी मिलाए जाने के मामले उत्तर प्रदेश के संत आक्रोशित हैं। काशी विद्वत् परिषद से लेकर राम मंदिर के पुजारी तक ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। संतों ने कहा कि यह सनातन धर्म को मानने वालों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि यह अक्षम्य अपराध है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने धर्म को बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
अयोध्या के राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, ‘यदि लड्डू में पशु चर्बी मिलाई गई थी, तो यह अक्षम्य है। इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।’ राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अगर लड्डू में पशु चर्बी मिलाई गई थी, तो यह अक्षम्य है। इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। दास ने कहा कि वैष्णव संत और भक्त लहसुन और प्याज का भी उपयोग नहीं करते हैं। ऐसे में प्रसाद में चर्बी का उपयोग बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह हिंदू आस्था का मजाक है। एक बड़ी एजेंसी को इसकी जांच करनी चाहिए और दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। दास ने यह भी पुष्टि की कि इस साल जनवरी में राम मंदिर के अभिषेक समारोह के दौरान तिरुपति मंदिर से 300 किलोग्राम प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया था।
काशी विद्वत परिषद ने जताई नाराजगी
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने भी प्रसाद में मिलावट पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके हिंदू समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू खुद तथ्यों के साथ इस बात को बता रहे हैं कि प्रसाद में चर्बी मिलाई गई है। यह बहुत ही दुखद है। ऐसा करके हिंदू समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है। यह निंदनीय व अक्षम्य कृत्य है। इससे पूरे देश का हिंदू समाज उद्वेलित है। इस मामले में संलिप्त आरोपियों के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वहां के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि हिंदू समाज इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
आस्था का मजाक
द्विवेदी ने आगे कहा कि ऐसा दुस्साहस करने वाले लोगों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि पूरी दुनिया के सामने यह नजीर बने कि अगर कोई हिंदू धर्म की आस्था का मजाक बनाने की कोशिश करता है, तो उसका कैसा हश्र किया जाता है। वृंदावन बांके बिहारी मंदिर के सेवाधिकारी आशीष गोस्वामी ने कहा कि यह अक्षम्य अपराध है। अपने धर्म को बचाना हम लोगों की पहली जिम्मेदारी है। जैसा कि न्यूज के माध्यम से जानकारी मिल रही है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी का होना पाया गया है तो मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारे श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन में बिहारी जी को जो भोग बनता है, उसमें शुद्धता और पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है।
गोस्वामी ने कहा कि मेरा मानना है कि मिलावट अक्षम्य अपराध है। अपने धर्म को बचाना हम लोगों के लिए बहुत जरूरी है। हम अपने सनातन धर्म के लिए, अपनी हिंदू संस्कृति के लिए और अपने मंदिरों की शुद्धता व पवित्रता को बनाए रखने के लिए इन चीजों का विशेष ध्यान रखें, ताकि भगवान का प्रसाद शुद्ध व पवित्र बन सके। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्माचार्य या कोई भी पुजारी या पंडित नहीं चाहेगा कि, भगवान की सेवा पूजा में कोई त्रुटि हो, लेकिन अगर कहीं से भी कोई शिकायत आती है, तो वह जांच का विषय है, उसको दूर करने की जरूरत है। मैं शासन-प्रशासन व मंदिरों के प्रबंधन से निवेदन करता हूं कि भगवान की सेवा पूजा के लिए जो प्रसाद बन रहा है, उसकी शुद्धता व पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाए। हमारी आस्था और भगवान हमारे लिए सबसे पहले हैं। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है।
अखाड़ों ने बताया षड्यंत्र
प्रयागराज के पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महंत दुर्गादास ने कहा कि हमें पूर्ण विश्वास है कि मंदिर प्रबंधन यह करतूत नहीं कर सकता। मामले में षड्यंत्र की बू आ रही है। इसकी जांच होनी चाहिए। महंत अद्वैधतानंदजी ने कहा, तिरुपति बालाजी का मंदिर हमारे सनातन की धुरी है। दक्षिणी परंपरा में जो कर्मकांड, पूजा की विधि है, वह बहुत सशक्त है। वहां ऐसा नहीं होना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)