Monday, January 20, 2025
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एमपॉक्स को लेकर केंद्र ने जारी किया अलर्ट, एयरपोर्ट्स-बॉर्डर पर खास निगरानी, जानिए 10 बड़े अपडेट्स

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नई दिल्ली: दुनिया के कई देशों में एमपॉक्स वायरस तेजी से फैल रहा है। एमपॉक्स वायरस को ही मंकीपॉक्स वायरस के नाम से जाना जाता है। इस वायरस के खतरे को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने पहले ही ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी थी। इस बीच भारत सरकार भी अलर्ट मोड पर आ गई है।भारत सरकार ने एयरपोर्ट, समुद्री बंदरगाहों और बांग्लादेश-पाकिस्तान बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया है। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर अधिकारियों को सतर्क रहने को कहा गया है। साथ ही सरकार ने अस्पतालों को मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड तैयार करने को कहा गया है।

दुनियाभर में मंकीपॉक्स फैल रहा है। 2022 में एमपॉक्स का वैश्विक प्रकोप देखने को मिला था। भारत समेत कई देश इससे प्रभावित हुए। तब से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 116 देशों में एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें होने की सूचना दी है। भारत में कुल 30 मामले पाए गए, जिनमें से आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया।

10 पॉइंट में सरकार की तैयारियों के बारे में जानिए

  1. एमपॉक्स के मरीजों का अलग से इलाज करने के लिए दिल्ली में तीन सरकारी अस्पतालों को प्रमुख सुविधाओं के रूप में चुना गया है। इन तीन अस्पतालों में राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल के नाम शामिल हैं।
  2. केंद्र ने सभी राज्यों से एमपॉक्स मामलों से निपटने के लिए अस्पतालों को तैयार रखने को कहा है। सूत्रों ने कहा कि इन अस्पतालों को नोडल केंद्र के रूप में नामित किया जाना चाहिए और इसकी जानकारी जनता को दी जानी चाहिए।
  3. स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि परीक्षण प्रयोगशालाओं का नेटवर्क बीमारी के शीघ्र इलाज के लिए तैयार है। वर्तमान में, देश में 32 लैब एमपॉक्स परीक्षण के लिए रखी गई हैं।
  4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने जल्द पता लगाने के लिए बढ़ी निगरानी के बीच एमपॉक्स के लिए देश की तैयारियों की समीक्षा के लिए रविवार को एक बैठक की अध्यक्षता की।
  5. अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल देश से एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि आकलन के अनुसार, निरंतर संचरण के साथ इसके फैलना का खतरा कम है।
  6. डब्ल्यूएचओ के एक पूर्व बयान में कहा गया है कि 2022 से 116 देशों में एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें हुई हैं।
  7. 2022 के बाद से भारत में कम से कम 30 एमपॉक्स के मामले सामने आए हैं। एमपॉक्स का आखिरी मामला इसी साल मार्च में सामने आया था।
  8. अब तक, अफ्रीका के बाहर, मंकीपॉक्स वायरस के क्लेड 1बी स्ट्रेन से प्रेरित संक्रमण केवल स्वीडन में पाया गया है। अलग-अलग, पाकिस्तान (3) और फिलीपींस (1) ने एमपॉक्स के प्रयोगशाला-पुष्टि मामलों की सूचना दी है। हालांकि वैरिएंट अज्ञात बना हुआ है।
  9. अशोका विश्वविद्यालय के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के बायोसाइंसेज एंड हेल्थ रिसर्च के डीन डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि 2022 का प्रकोप क्लेड 2 के कारण हुआ था, जो कम विषैला है और संक्रमण मुख्य रूप से उन पुरुषों में देखा गया था, जिन्होंने अन्य लोगों के साथ यौन संबंध बनाए थे।
  10. एमपॉक्स की पहचान पहली बार 1950 के दशक में अनुसंधान प्रयोगशालाओं में बंदरों में की गई थी, इंसान में इसका पहला मामला 1970 में ही पता चला था।

जीनोमिक निगरानी पर फोकस करना जरूरी: एक्सपर्ट

भारत को एमपॉक्स वायरस को समझने के लिए जीनोमिक निगरानी पर फोकस करना चाहिए और इसके प्रसार को रोकने के तरीके विकसित करने चाहिए। विशेषज्ञों ने सोमवार को ये बात कही। घातक एमपॉक्स वायरस का प्रकोप फिर से देखने को मिल रहा है, खास तौर पर अफ्रीका में, जहां अब तक करीब 14 देश संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 4 देशों में पहली बार संक्रमण की सूचना मिली है। इस साल अब तक दर्ज मामलों की संख्या पिछले साल की कुल संख्या से अधिक हो गई है। अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें सामने आ चुकी हैं। इसके चलते अफ्रीका सीडीसी और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस रोग को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। प्रसिद्ध जीवविज्ञानी विनोद स्कारिया ने बताया, ‘हमें आनुवंशिक महामारी विज्ञान, प्रसार और वायरस के विकास को समझने के लिए वायरस की जीनोमिक निगरानी पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।’

अशोक उपाध्याय

लेखक के बारे में

अशोक उपाध्याय

“नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में सीनियर ड‍िज‍िटल कंटेंट प्रोड्यूसर। जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया एंड मैनेजमेंट, नोएडा से 2013 में पासआउट। पत्रकारिता में 10 साल का अनुभव है। साल 2013 में एनबीटी अखबार से पत्रकारिता के सफर की शुरुआत की थी। राजनीति, क्राइम समेत कई बीटों पर काम करने का अनुभव है। अमर उजाला देहरादून में भी सेंट्रल डेस्क पर काम किया। साल 2020 में डिजिटल मीडिया की दुनिया में कदम रखा। मीडिया के बदलते स्वरूप के साथ खुद को बदलने का प्रयास जारी है।”… और पढ़ें

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