Saturday, January 11, 2025
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Home इम्तिहान ‘बच्चों’ का और रिजल्ट के लिए परेशान ‘गार्जियन’, बिहार में ‘खेला’ का झमेला!

इम्तिहान ‘बच्चों’ का और रिजल्ट के लिए परेशान ‘गार्जियन’, बिहार में ‘खेला’ का झमेला!

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पटना: बिहार उपचुनाव के नतीजे कैसे आते हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। जिन प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, वे तो नतीजों के लेकर उत्सुक हैं ही, बिहार के लोग भी नतीजे जानने को लेकर बेचैन हैं। पहली बार चुनावी मैदान में उतरी प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी तो परिवारवाद के मोह से मुक्त है। पर, जेडीयू, भाजपा, हम (से) और आरजेडी ने परिवारवाद का ही सहारा लिया है। इसलिए माना जा रहा है कि उम्मीदवारों से अधिक उनके सियासी संरक्षकों की साख ही दांव पर लगी है।

रामगढ़ में जगदानंद की साख की परीक्षा

रामगढ़ सीट आरजेडी की रही है। यहां से आरजेडी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे और सांसद सुधाकर सिंह के भाई अजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। सुधाकर सिंह के सांसद निर्वाचित होने से यह सीट खाली हुई है। ऐसे में अजीत सिंह से अधिक जगदानंद सिंह और सुधाकर सिंह की सियासी साख दांव पर लगी है।

इमामगंज में जीतन राम मांझी की परीक्षा

इमामगंज सीट जीतन राम मांझी के सांसद निर्वाचित होने से रिक्त हुई है। मांझी अब केंद्र में मंत्री भी बन चुके हैं। अपनी जगह मांझी ने बहू दीपा मांझी को उम्मीदवार बनाया है। दीपा के पति संतोष सुमन विधायक हैं। यानी दीपा से अधिक जीतन राम मांझी और उनके विधायक बेटे संतोष सुमन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

बेलागंज में सुरेंद्र यादव की साख दांव पर

बेलागंज सीट बीच के दो साल के अंतराल को छोड़ दें तो 1990 से ही आरजेडी नेता सुरेंद्र यादव के कब्जे में रही है। सुरेंद्र यादव के सांसद चुने जाने के बाद इस सीट पर चुनाव हो रहा है। आरजेडी ने सुरेंद्र यादव की सियासी साख को देखते हुए उन्हें बेटे विश्वनाथ को उम्मीदवार बनाया है। एनडीए में सीट बंटवारे के बाद बेलागंज जेडीयू के कोटे में गया है। जेडीयू ने अपनी पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी पर दांव खेला है। दोनों उम्मीदवार दबंग सियासी घराने से ताल्लुक रखते हैं। इसलिए उम्मीदवारों से अधिक उनके सियासी संरक्षकों के रसूख की यहां परीक्षा होनी है।

तरारी में सुनील पांडेय की ताकत का टेस्ट

भोजपुर जिले की तरारी सीट सीपीआई (एमएल) की रही है। सुदामा प्रसाद यहां से विधायक होते थे। अब वे सांसद बन गए हैं। माले ने राजू यादव को उम्मीदवार बनाया है। दूसरी ओर भाजपा ने अपने कोटे की इस सीट पर पूर्व विधायक सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत को टिकट दिया है। सुनील पांडेय की लोकप्रियता का आलम यह रहा है कि पिछले छह चुनावों में चार बार यह सीट उनके ही परिवार में रही है। इसलिए परिणाम जानने की जितनी उत्सुकता सुनील पांडेय के परिवार को होगी, उससे कम आम जन को भी नहीं है।

क्या PK का 2025 का सपना पूरा होगा

प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पहली बार उपचुनाव के जरिए चुनावी मैदान में उतरी है। उन्होंने परिवारवादी राजनीति से परहेज किया है। अच्छे उम्मीदवार भी उतारे हैं। प्रचार के दौरान जन सुराज चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाते भी दिखी है। 2025 में बिहार में छा जाने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर को जनता का समर्थन मिलता है या नहीं, इसकी भी परख उपचुनाव में होनी है।

उपचुनाव में PK ने सबकी चिंता बढ़ाई

बिहार में तीसरा मजबूत प्लेयर बनने के लिए प्रशांत किशोर ने जिस तरह का माहौल बनाया है, उससे सभी चिंतित हैं। इस चिंता की झलक तब शिद्दत से महसूस की गई, जब आरजेडी ने अपने एम-वाई समीकरण को नए सिरे से परिमार्जित किया। शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और बेटे ओसामा शहाब को आरजेडी ने प्रेमपूर्वक न सिर्फ अपनाया, बल्कि ओसामा को चुनाव प्रचार के काम में भी लगाया। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद तमाम एहतियात बरतने वाले आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को चुनाव प्रचार के लिए उतरना पड़ा।

तो नतीजे बनेंगे 2025 के लिए ट्रेंड सेटर!

जनता जातिवादी और परिवारवादी राजनीति की पक्षधर है या प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक धारा के साथ चलने का मन बना चुकी है, इसका पता भी इस चुनाव में चलना है। प्रशांत किशोर अगर उपचुनाव में बेहतर परफार्म नहीं करते हैं तो यह उनके सियासी भविष्य पर भी सवाल खड़ा कर सकता है। उपचुनाव के नतीजों का सरकार की सेहत पर तो कोई असर नहीं पड़ने वाला, लेकिन इससे सियासत के ट्रेंड का जरूर पता चलना है। परिवारवादी, जातीयता और पैसे की जीत होती है या जनता वैसा फैसला सुनाती है, जिसके लिए प्रशांत किशोर पदयात्रा से अलख जगाते फिर रहे हैं।

ऋषिकेश नारायण सिंह

लेखक के बारे में

ऋषिकेश नारायण सिंह

नवभारत टाइम्स डिजिटल के बिहार-झारखंड प्रभारी। पत्रकारिता में जनमत टीवी, आईबीएन 7, ईटीवी बिहार-झारखंड, न्यूज18 बिहार-झारखंड से होते हुए टाइम्स इंटरनेट तक 17 साल का सफर। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से शुरुआत के बाद अब बिहार कर्मस्थल। देश, विदेश, अपराध और राजनीति की खबरों में गहरी रुचि। डिजिटल पत्रकारिता की हर विधा को सीखने की लगन।… और पढ़ें

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