श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति और हिंदी परिवार का मासिक साझा कार्यक्रम ’श्रोता संवाद’ मुख्यतः पर्यावरण पर आधारित रहा। इसमें कुछ अन्य विषयों की रचनाएं भी पढ़ीं गईं। कार्यक्रम के आरंभ में सरस्वती वंदना वाणी जोशी के द्वारा प्रस्तुत की गई।
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आरंभ में पर्यावरणविद् डाॅ. ओ.पी. जोशी की सद्यः प्रकाशित कृति ’बहुआयामी पेड़’ की समीक्षा शिक्षाविद् सुरेखा सिसोदिया ने प्रस्तुत की। पुस्तक का सारांश बताते हुए उन्होंने कहा कि ’कृति अपने शीर्षक को अपने आप में समेटे हुए है। लेखक परमात्मा से प्रार्थना करता है कि इस धरती को थोड़ा और सुंदर बनाओ। पृथ्वी पर और हमारे पौराणिक इतिहास में वृक्षों का हमेशा महत्व रहा है। मनुष्य से ज्यादा धरती पर प्रकृति का अधिकार है।’ लेखक डाॅ. ओ.पी. जोशी ने संक्षिप्त में बहुआयामी पेड़ कृति के संदर्भ में महत्वपूर्ण बातें प्रस्तुत कीं। शैली भागवत ने अपनी गजल में कहा ’वह जो सावन का मतलब नहीं जानता, बात कैसे करूं उससे बरसात की…’ बहुत पसंद की गई। किशोर यादव ने पर्यावरण के अस्तित्व पर कविता पढ़ी तो विनीता चैहान ने एक बेजान दरख्त की पीड़ा अपनी कविता में प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यप्रेमी
धरती पर हरियाली लाओ का नारा
नयन राठी ने धरती पर हरियाली लाओ का नारा दिया। तो कृष्णा जोशी ने कहा ’प्रकृति से सुंदर नहीं है कुछ सुंदर इस धरा पर।’ डाॅ. अरुणा सराफ ने अपनी देशभक्तिपूर्ण कविता में भाव व्यक्त करते हुए कहा – भारत माता के चरणों में खून बहाया जिसने भी, भूल नहीं सकते हम उनको। जयंत तिकोटकर ने राह की मुसीबतों से प्यार करते चलो सुनाया। वरिष्ठ कवि सदाशिव कौतुक ने पर्यावरण और समाज की बिगड़ती हुई स्थिति पर कहा कि – तय तो यही था कि धरती पर पुष्प खिलेंगे पर..। हास्य कवि प्रदीप नवीन ने गंभीर रचना पढ़ी ’एक वृक्ष जो कटा, सबका जीवन घटा।’
मंच पर बैठे वरिष्ठ रचनाकार
बेटी ने जन्म लिया, मां की ममता का उजियारा…
सुषमा शुक्ला ने ’देखो बेटी ने जन्म लिया, मां की ममता का उजियारा…’ बेटी के महत्व पर बात की। ओम उपाध्याय ने अपनी व्यंग्य रचना के माध्यम से खूब गुदगुदाया। उनकी पंक्तियां थीं – कर रहे हैं यात्रा जोखिम में जान डालकर लटक-लटक…। महेंद्र ने राजनीतिक कटाक्ष किया- मलाई बराबर-बराबर सभी मित्र बांट रहे हैं। कमल कुमार ने पारिवारिक जिम्मेदारी पर कविता पढ़ी। तराणेकर की भावपूर्ण कविता क्या तुम मेरे सपनों को स्वीकार करोगी तो वहीं संतोष मोहंती का प्रेमगीत ’जीवन की दुर्गम राहों में साथ तुम्हारा मिल ही गया, मेरे वीराने में प्रियवर पुष्प प्रेम का खिल गया।’ राजेन्द्र पांडे ने कहा पेड़ कटा अमृत घटा। इस अवसर पर शीला चंदन, अरविंद जोशी, दिलीप नीमा और हरेराम वाजपेयी ने भी रचनापाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के प्रबंधमंत्री घनश्याम यादव ने की। कार्यक्रम की रूपरेखा, अतिथि परिचय सचिव संतोष मोहंती ने दिया। अंत में आभार हरेराम वाजपेयी ने व्यक्त किया।