Friday, November 29, 2024
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Home इंदौर क्रिश्चियन कॉलेज के लापता प्रिंसिपल एक माह बाद लौटे:कहा-मैं समाज की मीटिंग के लिए बंगाल में था; किडनैपिंग के सवाल पर बोले- मैं इतना बड़ी आदमी नहीं

इंदौर क्रिश्चियन कॉलेज के लापता प्रिंसिपल एक माह बाद लौटे:कहा-मैं समाज की मीटिंग के लिए बंगाल में था; किडनैपिंग के सवाल पर बोले- मैं इतना बड़ी आदमी नहीं

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करीब एक महीने तक लापता रहे क्रिश्चियन कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अमित डेविड इंदौर लौट आए हैं। उन्होंने 1 अक्टूबर को ड्यूटी भी जॉइन कर ली। साथ ही बिना सूचना जाने, किडनैप, विवाद सहित सारे कारणों से इनकार किया। यह दावा किया कि मैं पूरे समय वेस्ट बंगाल में थ

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वहां ग्रामीण इलाके में नेटवर्क नहीं मिलता था इसलिए गफलत हुई। साथ ही कहा कि मैं इतना बड़ा व्यक्ति नहीं हूं, जिसे लेकर कई तरह की चर्चाएं हो।

डॉ. डेविड 31 अगस्त से कॉलेज नहीं आए थे। पूरे समय उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ रहा। नजदीकी लोगों के मुताबिक उन्होंने न तो अवकाश के लिए कोई आवेदन दिया था और न ही उच्च शिक्षा विभाग से अनुमति ली थी। उनका प्रभार प्रो. प्रकाश चौधरी को दिया गया। इसका भी कोई रिकॉर्ड नहीं था।

‘दैनिक भास्कर’ ने कई सवालों को लेकर उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि मैं समाज की मीटिंग लेने वेस्ट बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में गया था।

डॉ. अमित डेविड, प्रिंसिपल, क्रिश्चियन कॉलेज, 30 सितंबर को इंदौर लौट आए।

डॉ. अमित डेविड, प्रिंसिपल, क्रिश्चियन कॉलेज, 30 सितंबर को इंदौर लौट आए।

सवाल जवाब में जाने पूरा घटनाक्रम

आप एक माह से बिना सूचना दिए गायब रहे, आखिर क्या कारण है?

बिल्कुल गलत, मैं छुट्‌टी के आवेदन देने के साथ चेयरमैन की अनुमति के बाद ही लीव पर गया था?

आपने अपने अधीनस्थ प्रो. प्रकाश चौधरी को चार्ज दिया। इसका भी कोई प्रमाण नहीं है।

ऐसा नहीं है, उन्हें प्रमाण के साथ चार्ज दिया गया था प्रो. चौधरी दो साल पहले रिटायर्ड हो चुके हैं। वे एमिरेट्स हैं। उन्हें चार्ज देने का प्रावधान है। मैं लीव एप्लिकेशन, चार्ज देने के प्रमाण दे सकता हूं। सब रिकॉर्ड में है।

आपका मोबाइल पूरे समय ही बंद रहा?

मैं वेस्ट बंगाल में जहां-जहां भी था वहां नेटवर्क इश्यू था। नेटवर्क कभी मिलता था तो कभी नहीं मिलता था। इस कारण मैंने मोबाइल को स्विच ऑफ कर दिया था।

ऐसी चर्चाएं है कि आपको किसी गिरोह ने किडनैप किया था?

इसमें कोई सच्चाई नहीं है। मैं इतना बड़ी आदमी नहीं हूं।

पारिवारिक, जमीन बेचने संबंधी विवाद, समन, वारंट जैसा कोई मामला भी चर्चाओं में है।

ऐसा कुछ नहीं है। ट्रस्ट की अलग-अलग मीटिंग में शामिल होने गया था।

आजकल देश के अधिकांश हिस्सों में नेटवर्क आसानी से मिल जाता है। आपका कहना है कि नेटवर्क इश्यू था। अगर यहीं स्थिति आपके किसी स्टूडेंट की होती तो आप क्या करते?

अगर वह वेकेशन पर है तो कोई स्थिति नहीं बनती। अगर स्टूडेंट बिना बताए गया तो अलग बात है और बताकर गया तो अलग बात है। पहली बात तो यह कि मैं बिना बताए गया ही नहीं।

आपने उच्च शिक्षा विभाग को भी सूचना नहीं दी थी?

इसका उच्च शिक्षा विभाग से कोई सरोकार नहीं है। हमें पर्याप्त छुट्टियां मिलती है। अगर में चाहूं तो दो साल तक की लीव ले सकता हूं। इसके लिए मुझे शिक्षा विभाग को सूचित नहीं करना पड़ता। मैंने 10 से 28 सितम्बर तक लीव के लिए आवेदन दिया था। इसे गवर्निंग बॉडी की चेयरमैन डॉ. सीमा डेविड (पत्नी) ने अनुमति दी। यह आवेदन 9 सितम्बर को दिया था।

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