Excise policy case: आपने कोई डॉक्यूमेंट नहीं लगाया… अरविंद केजरीवाल केस की फाइल जैसे ही जज के पास आई, कोर्ट ने लगा दी डेट, CBI को क्या कहा?
नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केस की आवाज लगने के बाद दिल्ली की अदालत ने अगली तारीख दे दी. असल में सीबीआई ने अरविंद कजरीवाल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. उस पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी. इस सुनवाई के दौरान सीबीआई के द्वारा दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लेने या न लेने के मामले में 12 अगस्त तक सुनवाई को टाल दिया है.
स्पेशल जज कावेरी बावेजा की कोर्ट में जैसे ही अरविंद केजरीवाल केस की फाइल आई तो जज ने देखा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोपपत्र के स्पोर्ट करने वाले डॉक्यूमेंट जमा नहीं किए हैं. दिल्ली शराब घोटाले मामले में अपनी जांच पूरी करते हुए सीबीआई ने सोमवार को केजरीवाल और अन्य के खिलाफ मामले में अपना अंतिम आरोपपत्र दाखिल किया. सीबीआई ने पहले इस मामले में एक मुख्य आरोपपत्र और चार पूरक आरोपपत्र दाखिल किए थे, जिसमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तेलंगाना एमएलसी के कविता और अन्य को भी आरोपित किया गया है.
एजेंसी ने कहा कि सोमवार को दाखिल किया गया आरोपपत्र मामले में उसका अंतिम आरोपपत्र है. एजेंसी ने कविता के खिलाफ अपने आरोपपत्र में कहा कि टीडीपी सांसद और शराब व्यवसायी मगुंटा श्रीनिवासलु रेड्डी ने 16 मार्च, 2021 को दिल्ली सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में केजरीवाल से मुलाकात की और उनसे राष्ट्रीय राजधानी में अपने शराब कारोबार में सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया, ताकि उस समय बन रही आबकारी नीति 2021-22 में बदलाव किया जा सके. सीबीआई ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने रेड्डी को सहायता का आश्वासन दिया और उनसे कविता से संपर्क करने को कहा, क्योंकि वह दिल्ली की आबकारी नीति पर उनकी टीम के साथ काम कर रही थीं.
इसके बदले में केजरीवाल ने कथित तौर पर रेड्डी को अपनी राजनीतिक पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) को धन मुहैया कराने के लिए कहा. सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि दक्षिण भारत के शराब कारोबार से जुड़े कुछ लोगों ने सह-आरोपी विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और दिनेश अरोड़ा के माध्यम से 2021-22 की आबकारी नीति में बदलाव करने के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपये की रिश्वत दिल्ली में सत्तारूढ़ आप के कुछ नेताओं और अन्य लोक सेवकों को अग्रिम रूप से दी थी. एजेंसी ने आरोप लगाया कि ये रिश्वत बाद में एल-1 लाइसेंस रखने वाले थोक विक्रेताओं के लाभ मार्जिन से विभिन्न तरीकों से उन्हें वापस कर दी गई, जैसे अतिरिक्त क्रेडिट नोट जारी करना, बैंक हस्तांतरण और दक्षिण लॉबी के कुछ षड्यंत्रकारियों द्वारा नियंत्रित कंपनियों के खातों में बकाया राशि छोड़ना.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उक्त नीति के तीन हितधारकों – शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं – के बीच प्रावधानों का उल्लंघन करके और नीति की भावना के खिलाफ एक कार्टेल बनाया गया था. सभी षड्यंत्रकारियों ने कथित तौर पर उक्त आपराधिक साजिश के अवैध उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्रिय भूमिका निभाई.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि इसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और साजिश में शामिल लोक सेवकों और अन्य आरोपियों को अनुचित आर्थिक लाभ हुआ.
Tags: Arvind kejriwal, Delhi liquor scam
FIRST PUBLISHED :
July 30, 2024, 19:12 IST