अब ट्रेनों में मस्ती से चद्दर तानकर सो जाइए… साफ कंबल-बेडशीट की टेंशन न लीजिए, रेलवे ने उठाया यह कदम
ट्रेनों में सफर करना आरामदायक होता है. एसी में सफर करना तो और भी. एसी कोच में चादर और कंबल भी मिलते हैं. इससे लोगों को घर से कुछ ले जाने की जरूरत नहीं होती. हालांकि, बहुत से लोग ऐसे हैं, जो ट्रेनों में मिलने वाले कंबल और चादर का यूज नहीं करते. वजह है उनका साफ-सुथरा न होना. कुछ यात्री तो ट्रेनों में साफ कंबल न मिलने पर झगड़ा भी करने लग जाते हैं. मगर अब आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं है. अब आपको ट्रेनों में साफ कंबल-चादर मिलेंगे. अब हर ट्रिप के बाद कंबलों को साफ किया जाएगा. इस प्रक्रिया को कहते हैं यूवी सैनिटाइजेशन.
जी हां, भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए व्यापक कोशिश कर रही है. यात्रियों को नई आरामदायक लेनिन की ज्यादा चौड़ी-लंबी चादर, अच्छी गुणवत्ता के साफ-सुथरे कंबल और खाने से लेकर तमाम चीजें इनमें शामिल हैं. अब रेलवे ने हर ट्रिप के बाद यूवी सेनेटाइजेशन प्रक्रिया शुरू की है. उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंचार अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय के मुताबिक, रेलवे में उपयोग होने वाले लेनिन की सफाई हर उपयोग के बाद की जाती है. लेनिन की सफाई विशेष रूप से मैकेनिकल लॉन्ड्री में होती है, जो पूरी तरह से निगरानी में होती है, जिसमें सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं और पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जाती है. इसके अलावा, समय-समय पर अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की ओर से आकस्मिक निरीक्षण भी किया जाता है. मीटर से सफेदी की जांच करने के बाद ही लेनिन को आगे यात्रियों को दिया जाता है.
उत्तर रेलवे के मुताबिक, उत्तर रेलवे की ओर से गुणवत्ता सुधार के लिए नए मानक लागू किए जा रहे हैं. इस समय यह सुधार राजधानी, तेजस जैसी विशेष और प्रतिष्ठित ट्रेनों में पायलट आधार पर लागू किया जा रहा है. ये नई प्रकार की लेनिन बेहतर गुणवत्ता की हैं, इनके आकार बड़े हैं और फैब्रिक भी ज्यादा अच्छा है, जिससे यात्री बेहतर अनुभव कर सकते हैं और ज्यादा संतुष्ट हो सकते हैं. ब्लैंकेट की सफाई को लेकर साल 2010 से पहले सफाई का प्रोटोकॉल था कि उसे हर दो या तीन महीने में एक बार साफ किया जाता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया हर महीने में दो बार की जा रही है. जहां लॉजिस्टिक समस्याएं होती हैं, वहां इसे महीने में कम से कम एक बार साफ किया जाता है. इसके अलावा, उत्तर रेलवे हर 15 दिन में नेफ्थलीन वेपर हॉट एयर क्रिस्टलाइजेशन का प्रयोग करता है, जो एक बहुत प्रभावी और समय-परीक्षित तरीका है. इस प्रक्रिया से यात्रियों को एक बेहतर सफाई और सुविधा प्रदान की जाती है.
आगे बताया गया कि अभी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यूवी सैनिटाइजेशन की शुरुआत की गई है, जिसमें हर राउंड ट्रिप पर अब ब्लैंकेट को यूवी किरणों से सैनिटाइज किया जाएगा. यह एक बहुत ही उन्नत और आधुनिक तकनीक है, जो आजकल व्यापक रूप से इस्तेमाल की जा रही है. इस प्रक्रिया को फिलहाल दो राजधानी ट्रेनों, जम्मू राजधानी और डिब्रूगढ़ राजधानी में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है. इस प्रयोग से मिले अनुभवों के आधार पर इसे भविष्य में अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा.
वहीं, उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार, सभी चद्दरों और पिलो कवर को प्रत्येक उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है ताकि यात्रियों को स्वच्छ बैडरोल देकर उनकी आरामदायक, स्वच्छता के साथ सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने बताया कि उदयपुर, अजमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर और बाड़मेर में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रिंया स्थापित की गई है. इनकी क्षमता में लगातार वृद्धि की जा रही है. उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2023 में इन लॉन्ड्री में धुलाई की जाने वाले कपड़ों की क्षमता को 20 टन प्रति दिन से बढ़ा कर 56 टन प्रति दिन किया गया है. इस क्षमता में जनवरी 2025 में 10 तथा मार्च 2025 में 14 टन प्रतिदिन की ओर वृद्धि की योजना है. (इनपुट एजेंसी से)
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FIRST PUBLISHED :
December 1, 2024, 07:36 IST