Haryana Exit Poll: अपने ही आंगन में चारों खाने चित केजरीवाल, सरकार तो छोड़िए हरियाणा एग्जिट पोल में मिला लड्डू
नई दिल्ली: हरियाणा में शनिवार को विधानसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान हुआ. अब सभी को परिणाम का इंतजार है. राज्य के शीर्ष नेताओं की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई. उनके भाग्य का फैसला 8 अक्टूबर को सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती के साथ सामने आएगा. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पहलवान से नेता बनीं विनेश फोगट और अन्य सहित कई दलों के कई शीर्ष नेता मैदान में हैं. कांग्रेस, भाजपा और AAP मुख्य दल हैं, जिनमें से प्रत्येक अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि शनिवार शाम को आए एग्जिट पोल के नतीजे चौंकाने वाला रहा, खासकर आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए. अरविंद केजरीवाल की पार्टी, जो दिल्ली और पंजाब पर सरकार चलाने के बाद हरियाणा में अपनी पकड़ बनाने की उम्मीद कर रही थी, राज्य में अपना खाता खोलने में भी विफल हो सकती है.
एग्जिट पोल अक्सर गलत साबित हो सकते हैं. AAP ने हरियाणा की 90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन अरविंद केजरीवाल समेत इसके प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति के कारण इसका प्रचार अभियान बाधित रहा. दिल्ली शराब मामले में गिरफ्तार किए गए केजरीवाल और उनके करीबी सहयोगी मनीष सिसोदिया को चुनाव से ठीक पहले जमानत मिल गई. वैसे, 2019 में भी आप हरियाणा में खाता नहीं खोल पाई थी. लेकिन छह राज्यों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने और “राष्ट्रीय पार्टी” का तमगा हासिल करने के बाद पार्टी को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी.
कैसे अपने आंगन में चित हो गए केजरीवाल?
हरियाणा, अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य है, वह यहीं से आते हैं. पार्टी को उम्मीद थी कि वह यहां अच्छा करेंगे. लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों में AAP को बड़ा झटका लगता दिख रहा है. एग्जिट पोल ने कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी की है, जबकि भाजपा को 32 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी. चार एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस हरियाणा की 90 सीटों में से 55 सीटें जीतेगी – जो कि 45 के आधे से काफी आगे है. गणित के अनुसार, हरियाणा में भाजपा को 24 सीटें मिल सकती हैं. लेकिन AAP को एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही है.
कांग्रेस ने नहीं बन पाई बात तो…
2019 में, AAP ने जिन 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उन सभी पर हार गई और उसे NOTA से भी कम वोट मिले. लेकिन इस बार, उसे कई सीटों पर लोकसभा चुनाव में अपने बेहतर प्रदर्शन के आधार पर विधानसभा चुनाव में बेहतर नतीजे की उम्मीद थी. लेकिन शुरुआत में ही, दोनों पक्षों में विश्वास की कमी के कारण AAP की कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातचीत विफल हो गई.
राज्य कांग्रेस के नेताओं को लगा कि गठबंधन से पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि राज्य में ज्यादातर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई देखी गई है. राज्य के नेताओं को लगा था कि गठबंधन से भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 6, 2024, 06:15 IST