अकबर नगर में एक बार वहां बने आवास को खाली कराने का अभियान तेज किया जाएगा। शुक्रवार को पीएससी के जवानों ने इलाके का दौरा किया। हालांकि इस दौरान किसी से कुछ कहा नहीं। लेकिन जवानों के दौरे से पूरे इलाके में चर्चा तेज हो गई है। दूसरी तरफ एलडीए की तरफ से
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कुकरैल बंधे से आस- पास सौंदर्यीकरण के काम और अवैध कब्जे की वजह से अकबर नगर को खाली कराया जा रहा है। मामला कोर्ट भी पहुंचा लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिला। अब उनको खाली कराया जाएगा। हालांकि इस दौरान लोगों में इसको लेकर काफी नाराजगी है।
500 मीटर के दायरे में 90 फीसदी लोगों का कामकाज
इमरान रजा बताते हैं कि करीब 90 फीसदी लोगों का रोजगार 500 मीटर के दायरे में है। करीब 25 से 30 हजार की आबादी है। यहां से शिफ्ट होने के बाद उनके ऊपर सबसे ज्यादा रोजगार का संकट आ जाएगा। लेकिन यह भी जिम्मेदार लोग नहीं देख रहे है। फ्लैट भी बेचा जा रहा है। जहां कोई खरीदने वाला नहीं था। अब एलडीए अपनी तिजोरी भरने के लिए अलग अलग पॉलिसी अपना रहा है।
यहां करीब 90 फीसदी लोगों को रोजगार अकबर नगर के आस- पास ही है।
1984 में भूखंड देने के लिए सूची भी बनी
स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां साल 1984 में स्थानीय लोगों को जमीन देने के लिए एलडीए ने खुद ही सूची तैयार किया था। 1973 में एलडीए जब अस्तित्व में आया तो यहां के लिए सर्वे के काम उसी समय शुरू हो गया है। लोगों की सूची के दस्तावेज भी स्थानीय लोग दिखाते हैं। हालांकि इसकी पुष्टी एलडीए और सरकार के अधिकारी ही कर सकते है।
चुनाव के बाद तीन महीने का समय
सुप्रीम कोर्ट में एलडीए ने यहां से लोगों को हटाने के लिए 3 महीने का समय मांगा है। हालांकि इस दौरान यह भी कहा गया है कि जब तक सभी लोगों के रहने की व्यवस्था नहीं हो जाती है यहां से किसी को हटाया नहीं जाएगा। ऐसे में हटाये जाने का समय में बढ़ भी सकता है। अकबरनगर के लोगों के लिए प्रशांत भूषण जैसे बड़े वकील ने पैरवी की थी। लोगों ने बताया कि लोगों की मजबूरी सुनने के बाद उन्होंने अपनी फीस भी बहुत कम कर दी थी। लेकिन हमें बचाया नहीं जा सका।