Friday, November 29, 2024
Home हिंदू से बना मुस्लिम और किया भाभी का कत्ल, 4 साल तक झोंकी आंखों में धूल! नारियल के पेड़ ने कैसे पकड़वाया कातिल

हिंदू से बना मुस्लिम और किया भाभी का कत्ल, 4 साल तक झोंकी आंखों में धूल! नारियल के पेड़ ने कैसे पकड़वाया कातिल

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नई दिल्ली: एक कातिल, जिसने अपनी ही सगी भाभी और उसके तीन साल के मासूम बच्चे का कत्ल कर दिया। महज एक सोने के हार के लिए उसने दो जिंदगियों को खत्म कर डाला। कत्ल के बाद चार साल तक पुलिस उसकी तलाश में भटकती रही, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। उसके हाथों में पुलिस की हथकड़ी उस वक्त लगी, जब एक दूसरे मामले में कानून के शिकंजे से बचने के लिए वह एक नारियल के पेड़ पर चढ़ गया। आखिर कौन था ये कातिल और क्या थी कत्ल की पूरी कहानी?

तारीख थी 2 अगस्त 2008 और जगह, कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़ जिले का सिरिबागिलु गांव। यहां 23 वर्षीय सौम्या नाम की महिला और उनके 3 साल के बेटे जिशनू की लाश घर के अंदर मिली। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और जब तफ्तीश हुई तो पता चला कि सौम्या का सोने का हार गायब है। पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने सौम्या के देवर जयेश उर्फ शाकिर को घर से बाहर निकलते हुए देखा था।

पड़ोसियों के बयान और घर के अंदर के हालात इशारा कर रहे थे कि जयेश ने ही अपनी भाभी का कत्ल किया है। कत्ल के बाद उसने सौम्या का सोने का हार भी चुरा लिया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जयेश इस परिवार का वो सदस्य था, जिसने 17 साल की उम्र में इस्लाम धर्म अपनाकर अपना नाम शाकिर रख लिया था। जयेश को पकड़ने के लिए पुलिस ने तहकीकात शुरू की और उसके एक करीबी दोस्त समीर से पूछताछ की।

कैसे मिला जयेश का सुराग

समीर ने बताया कि जयेश ने उसे एक सोने का हार बेचने के लिए कहा था। इसके बाद समीर की मां रुक़िया बानो ने हार बेचने में मदद की, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यह हार चोरी का है। पुलिस ने सुनार की दुकान से वो हार बरामद कर लिया, लेकिन जयेश का कोई सुराग नहीं मिल पाया। धीरे-धीरे इस घटना को चार साल बीत गए और जब काफी कोशिशों के बाद भी उसके बारे में पता नहीं चला, तो मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

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इसी बीच अक्टूबर 2012 में केरल में एक ऐसी घटना घटी, जिसने केस को एक नया मोड़ दे दिया। केरल के अलाप्पुझा इलाके में दो दोस्तों को एक महिला के साथ मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, चकमा देकर इनमें से एक शख्स भाग निकला और पुलिस से बचने के लिए नारियल के एक पेड़ पर चढ़ गया।

पेड़ पर चढ़कर फंसा जयेश

अब पुलिस उसे पेड़ से नीचे उतारने की कोशिश में जुट गई और मीडिया पर इस घटना का लाइव टेलेकास्ट होने लगा। जब काफी कहने के बाद भी वह पेड़ से नीचे नहीं उतरा, तो पुलिस ने फायर ब्रिगेड की मदद ली और उसे पकड़ लिया। इस घटना की खबर कर्नाटक पुलिस को भी मिली और तुरंत उनके दिमाग में चार साल पहले का वो डबल मर्डर केस घूम गया, जिसका कातिल अभी तक फरार था।

पुलिस ने न्यूज क्लिप देखीं और तुरंत एक टीम केरल के लिए रवाना हो गई। वहां पहुंचकर जब उससे पूछताछ हुई तो पुष्टि हो गई कि ये शख्स कोई और नहीं, बल्कि वही जयेश है जो अपनी भाभी और उनके बेटे का कत्ल कर पिछले चार साल से फरार था। पूछताछ में पता चला कि कत्ल के बाद जयेश उर्फ शाकिर केरल भाग गया था और यहां एक मजदूर के तौर पर काम करने लगा।

क्यों किया था भाभी का कत्ल?

कुछ वक्त बाद उसे एक मुस्लिम लड़की से प्यार हुआ, जिससे शादी कर जयेश यहीं पर बस गया। बाद में उसकी पत्नी ने एक बच्चे को भी जन्म दिया। इस मामले का पर्दाफाश करने वाले उस समय के इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि अगर केरल वाली घटना केवल एक महिला के साथ मारपीट की होती, तो मीडिया ने शायद इसे हाईलाइट नहीं किया होता। मामला हाईलाइट इसलिए हुआ, क्योंकि वह नारियल के पेड़ पर चढ़ गया था।

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उन्होंने बताया कि अगर जयेश पेड़ पर ना चढ़ता, तो शायद उसकी गिरफ्तारी कभी नहीं हो पाती। पुलिस ने जब उससे सौम्या के कत्ल की वजह पूछी, तो उसने बताया कि उसे पैसों की जरूरत थी और इसीलिए सोने का हार लूटने के लिए उसने अपनी भाभी का कत्ल कर दिया। जब उससे पूछा गया कि उसने जिशनू को क्यों मारा गया, तो उसने कहा कि बच्चे ने उसे कत्ल करते हुए देख लिया था और वह कोई सबूत नहीं छोड़ना चाहता था।

जज के ऊपर चप्पल फेंकी

मामले में पुत्तूर ग्रामीण पुलिस ने 15 सबूतों और 27 लोगों के बयान वाली चार्जशीट फाइल की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 9 अगस्त 2016 को जयेश को मौत की सजा सुनाई। इंस्पेक्टर सुरेश ने बताया कि मुकदमे के अंत तक जयेश को एहसास हो गया था कि अब वह कानून से बच नहीं सकता। ऐसे में उसने अजीबोगरीब हरकतें करनी शुरू कर दीं।

एक दिन उसने सुनवाई के दौरान जज पर चप्पलें फेंकी और दूसरी बार कोर्ट से भागने की कोशिश की। बाद में जयेश ने कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 13 अक्टूबर 2017 को उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। इसी साल जून के महीने में जयेश एक बार फिर उस वक्त सुर्खियों में आया, जब एक मामले में कोर्ट में पेशी के दौरान उसने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए।

धर्मेंद्र कुमार

लेखक के बारे में

धर्मेंद्र कुमार

दिल्ली यूनिवर्सिटी साउथ कैंपस से 2010 में पत्रकारिता करने के बाद अमर उजाला डिजिटल से करियर की शुरुआत की। अमर उजाला में करीब साढ़े पांच साल की लंबी पारी के बाद हिंदी वनइंडिया में न्यूज डेस्क को लीड किया। इस समय नवभारत टाइम्स में क्राइम सेक्शन को संभाल रहा हूं। साथ ही राजनीतिक मुद्दों पर लिखने में भी दिलचस्पी है।… और पढ़ें

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