हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियासुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा : सार्वजनिक इमारतों में नवजात शिशुओं को दूध पिलाने की अलग जगह के लिए बनाएं नीति
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा : सार्वजनिक इमारतों में नवजात शिशुओं को दूध पिलाने की अलग जगह के लिए बनाएं नीति
इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट भी एक मामले में यह फैसला दे चुका है कि दुग्धपान कराना एक मां का अधिकार है. उसी तरह नवजात बच्चे के लिए भी अपनी मां से दूध हासिल करना एक जरूरी अधिकार है.
By : निपुण सहगल | Edited By: Nidhi Vinodiya | Updated at : 19 Nov 2024 10:24 PM (IST)
भारतीय सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह नवजात बच्चों को स्तनपान कराने के लिए हर सार्वजनिक जगह में अलग से कमरे की व्यवस्था पर नीति बनाए. याचिका में कहा गया है कि इस तरह की सुविधा के अभाव में नवजात बच्चों और उनकी मांओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
‘मातृ स्पर्श’ नाम की संस्था की तरफ से दाखिल याचिका में बताया गया है कि कुछ अपवादों को छोड़ कर एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन जैसी महत्वपूर्ण इमारतों में भी नवजात शिशु की देखभाल के लिए जरूरी कमरा उपलब्ध नहीं करवाया जाता है. यह सुविधा इन इमारतों के अलावा सभी सार्वजनिक जगहों पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इससे शिशु आराम से मां का दूध पी सकेगा और उसकी माता को भी असहज स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा.
मानवाधिकार दिवस के दिन होगी सुनवाई
10 अक्टूबर 2022 को इस याचिका पर जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जे के माहेश्वरी की बेंच ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया था. जजों ने इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा कहा था. अब जस्टिस बी वी नागरत्ना और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह एक नीति तैयार करे. जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “हम 10 दिसंबर को सुनवाई करेंगे. उस दिन मानवाधिकार दिवस है. हम कोशिश करेंगे कि मामले का निपटारा कर दिया जाए.”
कर्नाटक हाई कोर्ट पहले दे चुका है फैसला
इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट भी एक मामले में यह फैसला दे चुका है कि दुग्धपान कराना एक मां का अधिकार है. उसी तरह नवजात बच्चे के लिए भी अपनी मां से दूध हासिल करना एक जरूरी अधिकार है. यह दोनों अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन के मौलिक अधिकार से सीधे जुड़े हुए हैं.
दिल्ली में बनाए जा रहे इन्फेंट केयर कक्ष
2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी एक मिलते-जुलते मामले में पर सुनवाई की थी. 2019 में हाई कोर्ट ने सरकार के इस जवाब के बाद मामले का निपटारा कर दिया था कि दिल्ली में कई जगहों पर इन्फेंट केयर (शिशु देखभाल) कक्ष बनाए जा रहे हैं. वह याचिका 9 महीने की उम्र के शिशु अव्यान रस्तोगी की तरफ से उसकी मां वकील नेहा रस्तोगी ने दाखिल की थी. 2022 में उन्होंने ही पूरे देश में यह व्यवस्था लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की.
Published at : 19 Nov 2024 10:23 PM (IST)
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