आगरा में सर्दियों में गले और कान में इंफेक्शन के मरीज बढ़ गए हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में 12 बजे के बाद भीड़ बढ़ती है। डॉक्टर्स लोगों को सर्दी में न निकलने की सलाह दे रहे हैं। बुजुर्गों और बच्चों को सर्दी से ज्यादा परेशानी हो रही है।
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ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. अखिल प्रताप सिंह का कहना है कि सर्दियों में ठंडी हवा और ओस से गर्दन दर्द के मरीज बढ़ जाते हैं। इससे ही कान के दर्द के मरीजों में भी वृद्धि होती है। कान से शुरू होकर ये दर्द नाक तक पहुंच सकता है। कान के अंदर का स्ट्रक्चर बेहद नाजुक होता है। इसकी नसें हमारे दिमाग और गले से होकर गुजरती हैं। जुकाम के बाद भी कान में दर्द होने लगता है। सर्दी में इंफेक्शन की वजह से कान का दर्द बढ़ जाता है और कान बहता भी है। गले में किसी तरह के जमाव की वजह से भी दर्द बढ़ जाता है।
बढ़ जाते है 20 परसेंट मरीज डॉ. सिंह का कहना है कि सर्दी-जुकाम में खांसने और छींकने से कान के अंदरूनी हिस्से पर दबाव पड़ता है। कान की नसों में दबाव पड़ने अक्सर दर्द शुरू हो जाता है। सर्दी में ओपीडी में कान और गले दर्द के मरीजों में 15-20 प्रतिशत वृद्धि हो जाती है।
इन बातों का रखें ध्यान सर्दी में कान में ठंडी हवा लगने से कान की नसों पर फौरन असर पड़ता है। सर्दियों में बाहर निकलने से पहले, कान और नाक को कवर जरूर करें। बुजुर्ग और बच्चे सुबह और शाम को घर से बाहर न निकलें। 12 साल के छोटे और 50 साल से ज्यादा उम्र वालों को खास ध्यान रखने की जरूरत है। ओपीडी में इस उम्र के मरीजों की ही संख्या ज्यादा है।