श्रीलंका के लिए खुल गया खजाना! कम हो जाएगी दिसानायके की मुश्किल, खुद चलकर आ रही हजारों करोड़ की मदद
हाइलाइट्स
श्रीलंका सरकार को आईएमएफ से 3 अरब डॉलर का कर्ज मिलना है. पड़ोसी देश पर अभी करीब 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लदा है. भारत, जापान और फ्रांस ने भी श्रीलंका को भारी-भरकम कर्ज दिया है.
नई दिल्ली. पड़ोसी देश श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की मुश्किलें काफी हद तक कम हो सकती हैं. दिसानायके के सत्ता संभालते ही उनके सामने 4 बड़ी आर्थिक चुनौतियों से निपटने की मुश्किल थी. फिलहाल उन्हें आईएमएफ की तरफ से खुद ऑफर मिला है और ऐसा माना जा रहा कि इस कदम से उनकी मुश्किलें काफी हद तक कम हो सकती हैं.
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को कहा कि वह श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की नई सरकार के साथ काम करने को लेकर उत्साहित है और जल्द ही देश के ऋण कार्यक्रम की अगली समीक्षा के समय पर चर्चा करेगा. आईएमएफ के अनुसार, ‘हम राष्ट्रपति दिसानायके और उनके दल के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं. इससे कड़ी मेहनत से हासिल की गई उन उपलब्धियों को आगे बढ़ाया जा सकेगा. हमारी इस कोशिश से श्रीलंका को 2022 में अपने सबसे खराब आर्थिक संकटों में से बाहर निकालने में मदद मिली है.’
3 अरब डॉलर का मिल सकता है कर्ज
आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रॉनिल विक्रमसिंघे की सरकार ने जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा के समय 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर की तीसरी किस्त जारी करने के लिए आईएमएफ के साथ बातचीत शुरू की थी. तीसरी समीक्षा के बाद करीब 36 करोड़ अमरीकी डॉलर के वितरण की उम्मीद थी, जिसे आईएमएफ ने पिछले सप्ताहांत हुए चुनाव के अंत तक रोक दिया था.
अब आगे जाएगी बातचीत
वॉशिंगटन स्थित आईएमएफ ने कहा, ‘हम अपने कार्यक्रम की तीसरी समीक्षा के समय पर यथाशीघ्र नए प्रशासन के साथ चर्चा करेंगे. इससे पहले श्रीलंका में सोमवार को मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और इसी के साथ ही नई सरकार का गठन हुआ. आर्थिक संकट से जूझ रहे इस द्वीप राष्ट्र को आईएमएफ से मदद मिलने के बाद 2022 और 2023 के बीच भारत ने भी चार अरब डॉलर की सहायता की है.
अभी बदतर हैं हालात
आईएमएफ की मदद के बाद भी श्रीलंका की मुश्किलें कम नहीं होंगी. देश पर 51 अरब डॉलर का कर्ज लदा है, जो उसकी जीडीपी का 100 फीसदी है. बेरोजगारी दर भी 9 फीसदी के ऊपर चल रही तो महंगाई 2022 में 70 फीसदी पहुंच गई थी. सबसे ज्यादा संकट छोटे-मझोले उद्यमों और खाद्यान्न उत्पादन पर है. लिहाजा आईएमएफ की ओर से नया कर्ज मिलने के बावजूद दिसानायके को फिलहाल चुनौतियों से राहत मिलती नहीं दिख रही.
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FIRST PUBLISHED :
September 24, 2024, 11:12 IST