Lalu Yadav Vs Mayawati: बिहार लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बसपा लालू यादव का गेम खराब कर देगी। लालू यादव अति-पिछड़ा, यादव-मुस्लिम और दलितों के भरोसे अपनी सियासत करते रहे हैं। बिहार में लालू यादव को इन वर्गों का सबसे ज्यादा समर्थन मिलता है। मायावती की पार्टी की एंट्री से कई जगहों पर लालू के उम्मीदवारों को नुकसान उठाना पड़ेगा। मायावती की पार्टी ने 11 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
हाइलाइट्स
- बसपा के 11 उम्मीदवारों की सूची जारी
- बक्सर से अनिल कुमार चौधरी को टिकट
- सासाराम से मैदान में उतरे संतोष कुमार
पटना: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने गुरुवार को उम्मीदवारों के नामों की एक और सूची जारी कर दी। इस लिस्ट में पार्टी ने 11 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। बसपा की ओर से जारी लिस्ट में जहानाबाद सीट से पूर्व सांसद अरुण कुमार, बक्सर से अनिल कुमार चौधरी, सासाराम से संतोष कुमार, काराकाट से धीरज कुमार सिंह, वैशाली से शंभु कुमार सिंह, मधुबनी से विकास कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से डॉ. विजयेश कुमार, सारण से डॉ. अविनाश कुमार, हाजीपुर से शशि स्वराज, पूर्वी चंपारण से सत्यम यादव और शिवहर से विजेंदर ठाकुर को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा गया है।
लालू यादव को घाटा
इससे पहले बसपा ने बिहार की 19 लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की। बता दें कि बसपा ने बिहार में सभी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र कहते हैं कि मायावती के उम्मीदवार सबसे ज्यादा लालू यादव की पार्टी को नुकसान पहुंचाएंगे। मायावती का बेस वोट हमेशा दलित रहे हैं। दो चरण के चुनाव हो चुके हैं। एनडीए को उतना खतरा नहीं है। जितना लालू यादव को है। यदि बक्सर में बीजेपी और स्थानीय उम्मीदवार आईपीएस आनंद की लड़ाई में आरजेडी उम्मीदवार सुधाकर सिंह को सफलता मिलती। मायावती के उम्मीदवार उतारने से अब उसकी संभावना कम है। वोट डिवाइड होने के बाद सुधाकर की सफलता निश्चित नहीं है। उससे पूर्व ये अनुमान लगाया जा रहा था कि कहीं सुधाकर सिंह बाजी न मार लें।
जानकारों की राय
वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार पांडेय कहते हैं कि काराकाट से मायावती ने धीरज कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है। यहां पर महागठबंधन के उम्मीदवार राजाराम को इसका घाटा होगा। इसका सीधा फायदा उपेंद्र कुशवाहा को होगा। उपेंद्र कुशवाहा के पक्ष में वोट एकमत हो जाएंगे। जनता में ये संदेश जाएगा कि पवन सिंह से लेकर बाकी उम्मीदवार एकमात्र उपेंद्र कुशवाहा के विरोध में मैदान में हैं। दूसरी ओर जहां तक सारण लोकसभा सीट का सवाल है। सारण में लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य चुनाव लड़ रही हैं। बसपा के उम्मीदवार उतारने से आरजेडी को पूरी तरह घाटा होगा। वोट पूरी तरह बंट जाएंगे और राजीव प्रताप रूडी का रास्ता आसान हो जाएगा। बसपा ने इंडिया ब्लॉक के समझौते के तहत कोई काम नहीं किया है। बहन जी अकेले चलने में विश्वास रखती हैं। बहन जी की वजह से अब इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को परेशानी होगी।
तनाव में आरजेडी
जानकारों की मानें, तो मायावती ने 11 प्रत्याशियों के लिए उन सीटों का चुनाव किया है, जहां आरजेडी को लगता था कि सीधे फाइट बीजेपी से है। एनडीए से है। अब ऐसा नहीं है। मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से बसपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। इतना ही नहीं हाजीपुर से शशि स्वराज को मैदान में उतार दिया है। पूर्वी चंपारण से सत्यम यादव मैदान में हैं। ये सभी लोग कुल मिलाकर इंडिया ब्लॉक का ही नुकसान करेंगे। आम जनता को यह लगेगा कि बीजेपी के कैंडिडेट को हराने के लिए सारे लोग खड़े हो रहे हैं। इस बीच जनता एकजुट होकर बीजेपी को मतदान कर सकती है। इससे घाटा सिर्फ और सिर्फ लालू यादव की पार्टी को ही होगा। बसपा की रणनीति आगे क्या होगी, ये कहना मुश्किल है। लेकिन बहन जी की रणनीति फिलहाल बीजेपी विरोधी पार्टियों को टेंशन में डालने के लिए काफी है।