Saturday, November 30, 2024
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Home यूपी के स्टेट कैपिटल रीजन में आते ही बढ़ी बाराबंकी में जमीनों की डिमांड, औद्योगिक हब में सर्किल रेट जान लीजिए

यूपी के स्टेट कैपिटल रीजन में आते ही बढ़ी बाराबंकी में जमीनों की डिमांड, औद्योगिक हब में सर्किल रेट जान लीजिए

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बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के अयोध्या और पूर्वांचल का गेट कहे जाने वाले बाराबंकी जिले में विकास कार्य को लेकर योगी सरकार ने ताकत झोंक दी है। राज्य राजधानी के हिस्सों में जुड़े (SCR) यानी स्टेट कैपिटल रीजन बनने के बाद यहां की 6 तहसीलों में विकास योजनाओं की प्रक्रिया तेज हो गई। इसे मेट्रो सिटी के तर्ज पर सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इससे लोग यहां रहने के लिए जमीन तलाश रहे हैं। जमीनों के अनियमित सर्किल रेट बढ़ने से रजिस्ट्री विभाग में जमीन बैनामा कराने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है। जमीनों के खरीद फरोख्त से भू-राजस्व कोष में भारी वृद्धि हो रही है। दूसरी ओर औधोगिक क्षेत्रों और कुछ गांवों में जमीनों के सर्किल रेट न बढ़ने पर किसान नुकसान होने की बात कह रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राजधानी लखनऊ और अयोध्या के बीच बाराबंकी जिले का तेजी से विकास हो रहा है। एससीआर बनने के साथ लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, गोंडा, बहराइच, सुल्तानपुर, जौनपुर, सहित अन्य दूर दराज जिलों के लोग शहर के आस-पास यहां आकर रहने के लिए भारी संख्या में लोग जमीन खरीद रहे हैं। साथ ही उद्योग और व्यापार से जुड़ी कंपनिया भी बड़े पैमाने पर अपनी इंडस्ट्री लगा रहे हैं।

शासन के स्तर पर भूमि आवंटित

जिले के चारों ओर चौड़ी सड़कें, ओवरब्रिज, रिंग रोड़, एक्सप्रेसवे के साथ जिला प्रशासन लोगों की सुविधाओं को देखते हुए साफ-सफाई के साथ सुगम आवागमन एवं जल निकासी के उचित प्रबंध किए जा रहे हैं। कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ सड़कों की मरम्मत और एक दूसरे इलाकों को जोड़ने के लिए नई सड़कों के निर्माण का प्रस्ताव बनाया है। सुरक्षा को लेकर बाराबंकी के माती और सूरतगंज में नए पुलिस थानों के लिए शासन स्तर से भूमि भी आवंटित की जा चुकी है।

बढ़े जमीनों अनियमित सर्किल रेट

नवाबगंज सदर तहसील क्षेत्र में शहर क्षेत्र के निवासी सिविल कोर्ट के अधिवक्ता श्याम सुंदर कश्यप बताते हैं कि नगर पालिका परिषद के विस्तारित क्षेत्र सहित ग्रामीण और नगर पंचायतों में जमीनों का अलग–अलग अनियमित सर्किल रेट तय है। शहर क्षेत्र से जुड़े इलाके सफेदाबाद, सरथरा, मोहम्मदपुर चौकी, मोहम्मदपुर परेठिया, गदिया, दलियानपुर, दारापुर, भुहेरा, भिटौरा, सुल्तानपुर, कुरौली, धरसानिया, असेनी समेत अन्य आस पास गांवों के इलाकों में 9 हजार रुपये से लेकर 9800 रुपये तक वर्ग मीटर निर्धारित है।

वहीं 9 मीटर से ज्यादा चौड़ी या पक्की सड़क, नाली के साथ कार्नर की जमीन है तो 14000 रुपये वर्ग मीटर सर्किल रेट के हिसाब से जमीन खरीदनी पड़ेगी। बिना आबादी और सड़क के खेत का 1 करोड़ 20 लाख रुपये प्रति (101 ऐरी) यानी एक बीघा खेत का मूल्य निर्धारित है। वहीं आबादी से लगे खेत को का सर्किल रेट 2 करोड़ 20 लाख रुपए निर्धारित है, यदि पक्की सड़क और नाली है तो 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ जमीन के पैसे खर्च करने पड़ेंगे। शहर से सटी बंकी नगर पंचायत में 8000 से 8800 प्रति वर्ग मीटर की दर के जमीनों के सर्किल रेट हैं।

बड़ेल, ओबरी, कोठीडीह, पल्हरी,फैजुल्लागंज, पैसार, बाराबंकी देहात, बनवा आदि इलाकों में 12000 से 16000 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से जमीन के सर्किल रेट निर्धारित हैं। वहीं इन इलाकों में खेती योग्य भूमि के 1 करोड़ 50 लाख प्रति हेक्टेयर या आबादी से सटी भूमि है तो 3 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर सर्किल रेट निर्धारित है। रसौली, मोहमदाबाद, सफदरगंज पल्हरी, कमरावां, नानमऊ, हरख, सतरिख इलाके में 6000 से 8000 रुपए प्रति वर्ग मीटर सर्किल रेट तय हैं। वहीं जैदपुर और मसौली के आसपास क्षेत्र में जमीनों का सर्किल रेट 3500 से 5000 रुपए वर्ग मीटर निर्धारित है। इसके अलावा देवा क्षेत्र के रेंदुआ पलहरी में 1 करोड़ 10 से बढ़ कर 1 करोड़ 80 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर सर्किल रेट निर्धारित हैं।

रोजगार के लिए बनाया जा रहा ‘औद्योगिक हब’

डीएम सत्येंद्र कुमार के मुताबिक देवा, कुर्सी, और फतेहपुर के बाद लखनऊ से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे हैदरगढ़ तहसील क्षेत्र के सतरही, बम्हरौली, घरकुंइया, पचेरूवा और सीठूमऊ में औद्यौगिक क्षेत्र के विकास के लिए प्रशासन ने जमीनों की खरीद का काम तेज किया है। अयोध्या सीमा पर रामसनेहीघाट तहसील के सनौली व कंधाईपुर की करीब 72 हेक्टेअर जमीन यूपीसीडा के नाम राजस्व रेकॉर्ड में दर्ज करते हुए हैंडओवर की गई है।

यूपीसीडा अब इसे नए औद्योगिक विकास क्षेत्र के रूप में विकसित करेगा। साथ ही इस इलाके सरकारी जमीन पर उद्योग की लगाने के साथ उद्यमियों को प्लाटों के आंवटन का काम भी शुरू होगा। युवाओं के रोजगार के लिए इंडस्ट्री लगा कर औधोगिक हब बनाने की तैयारी की जा रही है। इधर रामनगर तहसील क्षेत्र में पौराणिक लोधेश्वर महादेवा धाम में पर्यटन और राजस्व टीमों के साथ आर्किटेक्ट ने सर्वे कर लिया है। 14 हेक्टेयर भूमि पर काशी विश्वनाथ की तर्ज पर कॉरिडोर के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो गई है।

बढ़े सर्किल रेट पर किसानों से नही ली जा रही भूमि

किसानों का आरोप है कि विकास की रफ्तार में अफसर जमीनों के अधिग्रहण पर उन्हें मौजूदा सर्किल रेट नहीं दिया जा रहा। भारतीय किसान यूनियन के हैदरगढ़ तहसील अध्यक्ष अशोक सिंह ने बताया कि यहां पुर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे सतरही, बम्हरौली, घरकुंइया, दौलतपुर समेत आधा दर्जन गांवों के किसान पुराने सर्किल रेट के विरोध में 70 से 80 किसानों ने कोर्ट की शरण ली है।

भाकियू जिलाध्यक्ष अनुपम वर्मा बताते हैं कि जिले में की तहसीलों में जमीनों के अलग अलग सर्किल रेट निर्धारित हैं। विकास योजनाओं के लिए अधिग्रहण की जा रही है। किसानों की जमीन का मूल्य प्रशासन महज 85 हजार से 1 लाख 10 हजार रुपये बिसवा के हिसाब से दे रही है। जो कि साल 2017 में लागू सर्किल रेट है, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

327.27 प्रतिशत बढ़ गया जमीनों के सर्किल रेट

रजिस्ट्री कार्यालय के वकील के मुताबिक ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में जमीनों के सर्किल रेट तकरीबन एक कर दिया गया है। जानकार बताते हैं कि वर्ष 2023 में ग्रामीण इलाकों का सर्किल रेट 75 लाख रुपए प्रति हेक्टयर निर्धारित था, जो 25 जनवरी 2024 से बढ़ा कर 1 करोड़ 80 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है। तुलनात्मक तौर पर जमीनों के सर्किल रेट में 327.27 प्रतिशत वृद्धि की गई है।

सदर तहसील के उपनिबंधक कर्यालय में तैनात सब रजिस्ट्रार हरीश चतुर्वेदी ने बताया कि बीते 6 महीनों में जमीनों की रजिस्ट्री में तकरीबन 20 प्रतिशत इजाफा हुआ है, साथ ही विभाग को 30 प्रतिशत आय में भी वृद्धि हुई है। आने वाले समय में इससे अधिक इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

धीरेंद्र सिंह

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धीरेंद्र सिंह

नवभारत टाइम्स डिजिटल में सीनियर कंटेंट प्रोड्यूसर हूं। यूपी और उत्तराखंड से जुड़ी राजनीतिक समेत अन्य खबरों पर काम करने की जिम्मेदारी है। इससे पहले की बात की जाए तो दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। 2014 से करियर की शुरूआत हुई और 8 साल से अधिक का अनुभव हो चुका है। इस दौरान दिल्ली, यूपी और जम्मू कश्मीर में रिपोर्टिंग करने का भी मौका मिला। टाइम्स ग्रुप से पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला, राजस्थान पत्रिका (डिजिटल), नवोदय टाइम्स, हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी समेत कुछ अन्य संस्थानों में काम किया है। अखबार और डिजिटल जर्नलिज्म की दुनिया में लिखने पढ़ने का काम जारी है।… और पढ़ें

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