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महाभारत से संबंध, मंदिर 2, मूर्ति एक, भीम की वजह यहां हुई थी मां की स्थापना

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Navratri Special 2024: महाभारत से संबंध, मंदिर 2, मूर्ति एक, भीम की वजह यहां हुई थी मां भीमेश्वरी देवी की स्थापना

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Navratri Special 2024: महाभारत से संबंध, मंदिर 2, मूर्ति एक, भीम की वजह यहां हुई थी मां भीमेश्वरी देवी की स्थापना

Navratri Special 2024: महाभारत से संबंध, मंदिर 2, मूर्ति एक, भीम की वजह यहां हुई थी मां भीमेश्वरी देवी की स्थापना

देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु माता के मंदिर में शीश नवाने पहुंचने लगे हैं.
देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु माता के मंदिर में शीश नवाने पहुंचने लगे हैं.

झज्जर. हरियाणा के झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित विश्व प्रसिद्ध मां भीमेश्वरी देवी मंदिर में अश्विन नवरात्रि पर्व आज से शुरू हो गया है. इस अवसर पर महाभारत कालीन माता भीमेश्वरी देवी मंदिर में मेले का भी आयोजन किया जा रहा है. देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु माता के मंदिर में शीश नवाने पहुंचने लगे हैं. नवरात्रि के पहले दिन यहां माता भीमेश्वरी देवी के दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना भी यहां की गई. माता भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को खास तरह के लाल रंग की रत्न जड़ित पोशाक और स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया.

दरअसल, झज्जर जिले के बेरी कस्बे में स्थित इस मंदिर का इतिहास महभारत कालीन है. कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने पाण्डु पुत्र भीम को कुलदेवी मां से विजय श्री का आशीर्वाद लेने के लिए भेजा था. मां भीम के साथ चलने को तो तैयार हो गईं, लेकिन शर्त रखी कि रास्ते में कहीं उतारना नहीं होगा, लेकिन जब भीम बेरी पहुंचे तो उन्हें लघुशंका जाने के लिए कुलदेवी की प्रतिमा को नीचे रख दिया. तभी से माँ भीमेश्वरी देवी यहां विराजमान हैं. मां की पूजा अर्चना का सिलसिला महाभारत काल से ही चला आ रहा है. यहाँ के मंदिर को महाभारत काल में स्थापित किया गया था.

जानकारी के अनुसार, बेरी में स्थित मां भीमेश्वरी देवी मंदिर की एक ओर बात भी इसे अन्य मंदिरों से खास बनाती है. यहाँ माँ की प्रतिमा तो एक है, लेकिन मंदिर दो. जी हां, मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को रोजाना सुबह 5 बजे बेरी कस्बे से बाहर स्थित मंदिर में लाया जाता है, जहां श्रद्धालु माता के दर्शन कर पूजा अर्चना करते हैं. दोपहर 12 बजे प्रतिमा को पुजारी अंदर वाले मंदिर में लेकर जाते हैं, जिसके बाद अंदर वाले मंदिर में मां आराम करती हैं. इस बार माता भीमेश्वरी देवी की पोशाक कोलकाता से बनकर आई है. चांदी के सिंहासन पर विराजमान मां के भव्य रूप का दर्शन करने के लिये देशभर से श्रद्धालुओं बेरी पहुंचने लगे हैं.

मंदिर में गुरुवार को लगी भीड़.

अश्विन नवरात्र में माँ की पूजा अर्चना से विशेष फल मिलता है. एक तरफ जहां पुजारी कुलदीप  ने बताया कि नवविवाहित जोड़े माता के दर्शन कर बेहतर भविष्य की कामना करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ, श्रद्धालु अपने नवजात शिशुओं के सिर का मुंडन करा कर बाल माता पर चढ़ाते हैं, ताकि उनके बच्चों के सिर पर माँ की कृपा बनी रहे.

Tags: Haryana news live, Haryana News Today, Jhajjar news, Navratri Celebration

FIRST PUBLISHED :

October 3, 2024, 10:07 IST

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