बुरहानपुर के लोनी गांव की 6 महिलाओं ने कचरे को कमाई में बदलने का अनूठा तरीका खोज निकाला है। ये महिलाएं सड़कों पर फेंके गए गुटखा के खाली पाउच से चटाई, आसन, झूमर और टिफिन रखने की थैली जैसी कलात्मक वस्तुएं बना रही हैं।
.
गांव की शारदा बाई धुंदले, सिंधु बाई प्रकाश, जाकिर बाई हुसैन, कौशल्या सोनवणे और वच्छला बाई अपने घरेलू और खेती के कामों के बीच समय निकालकर यह काम कर रही हैं। इन महिलाओं द्वारा बनाई गई वस्तुएं न केवल सुंदर हैं बल्कि मजबूत भी हैं, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों में इनकी अच्छी मांग है।
इन महिलाओं की यह पहल पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है। प्लास्टिक के पाउच जो पहले कचरे के रूप में सड़कों पर फैले रहते थे और पशुओं के लिए खतरनाक थे, अब उपयोगी वस्तुओं में तब्दील हो रहे हैं। महिलाओं ने बताया कि एक सामान को बनाने में कई दिन लगते हैं, लेकिन इससे मिलने वाली आय से वे अपने परिवार की आर्थिक मदद कर पा रही हैं।

800 रुपए में बिकती है बड़ी चटाई
उनके द्वारा बनाई गई बड़ी चटाई 700-800 रुपए में, छोटी चटाई 200-300 रुपए में बिकती है। इसके अलावा आसन 150 रुपए, झूमर 150-200 रुपए और टिफिन की थैली 200 रुपए में बेची जाती है।
भीम आर्मी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दत्तू मेढ़े ने महिलाओं के काम की सराहना करते हुए उनकी बनाई वस्तुएं खरीदीं। उन्होंने बताया कि यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है।