कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शिक्षकों एवं स्कूली शिक्षा से जुड़े अन्य कर्मियों की भर्ती में घोटाले को सही पाते हुए जिस तरह 25 हजार से अधिक नियुक्तियां रद करने का आदेश दिया, वह बंगाल सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका है। यह उन शिक्षकों-कर्मियों के लिए भी आघातकारी है, जिन्होंने रिश्वत या सिफारिश के बिना नौकरी पाई होगी। ऐसे कितने लोग हैं, इसका पता तो हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में होने वाली जांच से ही चलेगा, लेकिन आम चुनाव के मध्य आया यह फैसला ममता बनर्जी का राजनीतिक संकट बढ़ा सकता है।
इसलिए और भी, क्योंकि हाई कोर्ट ने नौकरी पाने वालों को वेतन लौटाने का भी आदेश दिया है। इसके अलावा उसने उस पूरे पैनल को रद कर दिया है, जिसकी देखरेख में भर्तियां हुई थीं। हालांकि ममता ने उच्च न्यायालय के फैसले को गलत बताते हुए उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने को कहा है, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि सीबीआइ की जांच वाले इस भर्ती घोटाले में कई नेता और अधिकारी जेल में हैं। इनमें भर्ती प्रक्रिया के समय शिक्षा मंत्री रहे पार्थ चटर्जी भी हैं, जिनकी महिला मित्र के यहां से करोड़ों रुपये की नकदी बरामद हुई थी।
इसके अलावा कई शिक्षकों की नौकरी तभी चली गई थी, जब कुछ वर्ष पहले उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने असंतुष्ट अभ्यर्थियों की याचिका की सुनवाई करते हुए भर्ती में धांधली के आरोप को सही पाया था। करीब दस वर्ष पहले शुरू की गई इस भर्ती प्रक्रिया से अंसतुष्ट अभ्यर्थी यह शिकायत लेकर उच्च न्यायालय पहुंचे थे कि न केवल कम अंक वालों का नाम सूची में ऊपर कर दिया गया, बल्कि ऐसे आवेदक भी नौकरी पा गए, जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी थी।
एकल पीठ के फैसले पर तो ममता के पास यह कहने का अवसर था कि फैसला सुनाने वाले जज भाजपा के करीबी हैं। यह सही है कि बाद में वह जज त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी भी बन गए, लेकिन अब तो दो सदस्यीय पीठ ने भी भर्ती में घोटाले की पुष्टि कर दी। देखना है कि ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिल पाती है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की शीघ्र सुनवाई करने के साथ यह भी देखना होगा कि क्या 25 हजार से अधिक सभी अभ्यर्थियों ने गलत तरीके से नौकरी पाई?
यदि धांधली में केवल तत्कालीन मंत्री और अधिकारी ही भागीदार पाए जाते हैं, समस्त अभ्यर्थी नहीं, तो फिर ममता बनर्जी के लिए अपनी साख बचाना और कठिन होगा। वैसे यह पहली बार नहीं, जब कोई इतना बड़ा भर्ती घोटाला सामने आया हो और नियुक्त लोगों की नौकरियों पर संकट छाया हो। यह शर्मिंदगी का विषय है कि अन्य राज्यों में भी ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।