Haryana Chunav: न जाट न ओबीसी, हरियाणा में इस जाति को टार्गेट कर रही भाजपा, CM फेस की भी चर्चा!
राजनीति के जानकार हरियाणा विधानसभा चुनाव को ओबीसी बनाम जाट वोट बैंक के नजरिये से देखते हैं. लेकिन, इस बार के विधानसभा चुनाव में कुछ बड़ा खेल होने जा रहा है. दोनों प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है. लेकिन, आम आदमी पार्टी और बसपा-इनेलो गठबंधन की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता. ये दोनों भी कुछ सीटों पर नतीजों में उलट-फेर लाने की ताकत रखते हैं.
राजनीतिक पंडित यह बता रहे हैं कि इस बार हरियाणा में चुनाव पूरी तरह बंटा हुआ. कांग्रेस जाट वोटर्स के साथ दलित और ओबीसी को साधने में लगी है. वहीं भाजपा अपने परंपरागत ओबीसी और पंजाबी वोटरों के सहारे है. लेकिन, इस चुनाव में एक और जाति समूह है जो बड़ा खेल कर सकता है. वो है ब्राह्मण. राज्य में इस जाति समूह की आबादी ठीक ठाक है. एक अनुमान के मुताबिक राज्य में करीब 27 फीसदी जाट हैं तो ओबीसी समुदाय की आबादी करीब 42 फीसदी है. लेकिन, 12 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कई इलाकों में ब्राह्मण वोटर्स भी काफी प्रभावी हैं.
भाजपा इस चुनाव में ओबीसी-पंजाबी-ब्राह्मण वोटर्स का एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग तैयार करने में जुटी है. उसने टिकट बंटवारे में इस सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखा है. 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए भाजपा ने केवल 16 सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं जबकि उनकी आबादी करीब 27-30 फीसदी है. ये करीब 40 सीटों पर बेहद प्रभावी हैं. पार्टी ने सबसे ज्यादा ओबीसी समुदाय को टिकट दिया है. हालांकि इनकी आबादी भी अधिक है. पार्टी ने 22 सीटों से ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं.
फिर बारी आती है ब्राह्मण उम्मीदवारों की तो पार्टी उनको आबादी के अनुपात में अच्छी-खासी सीटें दी हैं. भाजपा ने 12 सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं. इतनी ही सीटों पर पंजाबी उम्मीदवार भी उतारे गए हैं.
ब्राह्मण वोटरों को साधने की चाल
राज्य में भाजपा का टार्गेट ब्राह्मण वोटर्स हैं. इसके लिए उसने अपने बड़े ब्राह्मण नेता अनिल विज को मैदान में उतार दिया है. अनिल विज ने कहा है कि अगर राज्य में पार्टी सत्ता में आती है तो वह सीएम पद की दावेदारी करेंगे. वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. वह राज्य के गृह मंत्री हैं. उनके इस बयान को सीधे ब्राह्मण वोटर्स को लुभाने का तरीका बताया जा रहा है. दरअसल, भाजपा पहले ही कह चुकी है कि वह मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है.
सीएम के लिए वह पार्टी के चेहरा हैं. सैनी को फेस पेश करने के पीछे की राजनीति करीब 42 फीसदी ओबीसी वोटर्स हैं. लेकिन, इसके साथ ही भाजपा ब्राह्मण समुदाय को भी यह संदेश देना चाहती है कि उनके लिए संभावना खत्म नहीं हुई है. यानी एक साथ वह ओबीसी और ब्राह्मण दोनों समुदायों को साधने के जुगत कर रही है.
मीडिया से बातचीत में छह बार के विधायक अनिल विज ने कहा कि उन्होंने कभी भी पार्टी से कुछ नहीं मांगा. उन्होंने कहा कि अगर चुनाव में भाजपा की जीत होती हो तो वह अपनी वरिष्ठता के आधार पर सीएम पद की दावेदारी करेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य की जनता मुझसे मिल रही है और कह रही है कि मुझे सीएम पद की दावेदारी करनी चाहिए. यहां तक कि अंबाला में जनता ने कहा कि मैं एक सीनियर नेता हूं और मुझे राज्य के सीएम का पद संभालना चाहिए.
Tags: Anil Vij, Assembly elections, Haryana election 2024
FIRST PUBLISHED :
September 15, 2024, 16:53 IST