Wednesday, November 27, 2024
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Home नए साल में रोने वाले हैं चीन-पाकिस्‍तान, मौज लेंगे भारत और जापान… ऐसा भी क्‍या होने वाला है?

नए साल में रोने वाले हैं चीन-पाकिस्‍तान, मौज लेंगे भारत और जापान… ऐसा भी क्‍या होने वाला है?

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नई दिल्‍ली: नया साल चीन और पाकिस्‍तान जैसे उसके पिछलग्‍गुओं को रुलाने वाला साबित होगा। मॉर्गन स्टैनली की नई रिपोर्ट से इसका संकेत मिलता है। इसके मुताबिक, अमेरिका के नवनिर्वाच‍ित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से भारत और जापान को ज्‍यादा फर्क नहीं पड़ेगा। इन दोनों एशियाई देशों की मजबूत अर्थव्यवस्था और अच्छी नीतियों की वजह से टैरिफ का असर कम होगा। कुल मिलाकर भारत और जापान टैरिफ जोखिमों से सुरक्षित दिख रहे हैं। हालांकि, चीन पर इसकी सबसे ज्‍यादा गाज गिरने वाली है।

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि जापान के लगभग 70 फीसदी उत्पादों को अमेरिकी टैरिफ से छूट मिली हुई है। इन उत्पादों को आसानी से बदला नहीं जा सकता। इस छूट से जापान को अमेरिकी टैरिफ के बुरे असर से बचने में मदद मिलेगी।

दूसरी तरफ, ट्रंप ने भारत को सबसे ज्‍यादा टैरिफ लगाने वाला देश बताया है। उनका कहना है कि भारत अमेरिका से आने वाले सामानों पर काफी ज्‍यादा टैरिफ लगाता है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत की ओर से अमेरिकी आयात पर टैरिफ दर 9.5% तक बढ़ गई थी। हालांकि, सितंबर 2023 में भारत ने सेब और अन्य कृषि उत्पादों जैसे प्रमुख अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ वापस ले लिए हैं।

भारत पर टैर‍िफ का क‍ितना पड़ेगा असर?

मॉर्गन स्टैनली भारत की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना चाछरा का अनुमान है कि अगर भारत से आयात पर 10% टैरिफ बढ़ाया जाता है तो भारत की विकास दर में 0.30% की कमी आ सकती है। हालांकि, इस अनुमान में टैरिफ बढ़ने से कंपनियों के विश्वास और पूंजीगत व्यय (कैपेक्‍स) पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है। यह चिंता ट्रंप के उस बड़े वादे के बीच उभर कर आई है, जिसमें उन्होंने अमेरिका के तीन सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर्स – चीन, कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने की बात कही है।

अगर ऐसा होता है तो प्रस्तावित टैरिफ तेल, प्राकृतिक गैस, कृषि और मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सहित कई उद्योगों को प्रभावित करेंगे। ऐसे उपायों से लंबे समय से चले आ रहे ट्रेड पैटर्न और ग्‍लोबल सप्‍लाई बाधित हो सकते हैं। इससे न केवल चीन बल्कि अन्य प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं भी प्रभावित होंगी।

अमेरिकी बाजार पर निर्भर रहना दोधारी तलवार

मॉर्गन स्टैनली ने यह भी कहा है कि जैसे-जैसे अमेरिका अपने व्यापारिक संबंधों को नए सिरे से बनाने की कोशिश कर रहा है, एशियाई देशों का अमेरिकी बाजार पर निर्भर रहना दोधारी तलवार है। एक तरफ तो इस क्षेत्र को अमेरिका को निर्यात में अच्छी ग्रोथ से फायदा हो रहा है, लेकिन दूसरी तरफ व्यापार विवादों और टैरिफ नीतियों से जोखिम भी बढ़ रहा है। विशेष रूप से वियतनाम, जापान, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे बड़े ट्रेड सर्पलस वाले एशियाई देशों के लिए टिकाऊ ग्रोथ बनाए रखने के लिए इन बदलते व्यापारिक हालातों के साथ तालमेल बैठाना जरूरी होगा। लिहाजा, एशियाई नीति निर्माताओं को अपने व्यापारिक भागीदारों में विविधता लाने और अमेरिका पर निर्भरता कम करने के तरीके खोजने होंगे ताकि टैरिफ के कारण आर्थिक मंदी के जोखिम से बचा जा सके।

जापान को टैरिफ से राहत मिलने की मुख्य वजह यह है कि उसके 70 फीसदी उत्पाद ऐसे हैं जिनका विकल्प आसानी से नहीं मिल सकता। यह छूट जापान के लिए काफी फायदेमंद है। इससे जापान अमेरिकी टैरिफ के बुरे प्रभावों से बच सकता है। दूसरी ओर, भारत की स्थिति अलग है। ट्रंप ने भारत को ‘सबसे ज्‍यादा टैरिफ लगाने वाला’ देश कहा है।

भारत पर टैरिफ का असर कितना होगा, इस बारे में उपासना चाछरा का अनुमान है कि 10% टैरिफ बढ़ने से भारत की विकास दर 0.30% तक कम हो सकती है। लेकिन, इस अनुमान में कंपनियों के विश्वास और पूंजीगत व्यय पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष प्रभाव को शामिल नहीं किया गया है। ट्रंप के चीन, कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने के वादे से वैश्विक व्यापार पर बड़ा असर पड़ सकता है।

अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे में

अमित शुक्‍ला

पत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।… और पढ़ें

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