Monday, February 24, 2025
Monday, February 24, 2025
Home देश ‘जिससे चाहे कोई विवाह करे या न करे’, CJI चंद्रचूड़ ने क्‍यों कही यह बात

‘जिससे चाहे कोई विवाह करे या न करे’, CJI चंद्रचूड़ ने क्‍यों कही यह बात

by
0 comment

कोलकाता. भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि संवैधानिक नैतिकता सरकार पर एक निरोधक कारक है जो उन स्थितियों को निर्मित होने देती है जो विविधता का सम्मान करती है. साथ ही समावेश और सहिष्णुता को बढ़ावा देती है. CJI चंद्रचूड़ ने शादी को लेकर भी बड़ी बात कही है. उन्‍होंने कहा कि कोई भी व्‍यक्ति जिससे चाहे शादी करे या फिर वह फिर विवाह ही न करे. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि हमलोग संविधान के सेवक हैं, स्‍वामी नहीं.

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के सबसे छोटे गांव और सबसे छोटे तालुका तक फैला हुआ है. उन्‍होंने कहा कि नैतिकता से इतर संवैधानिक नैतिकता सरकार पर एक निरोधक कारक है. नेशनल ज्‍यूडिशियल एकेडमी (पूर्वी क्षेत्र) के दो-दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता समाज के हर घटक का समाधान करती है और ऐसी स्थितियों को निर्मित होने देती है, जो विविधता का सम्मान करती है, समावेश और सहिष्णुता को बढ़ावा देती है. CJI ने कहा कि यह सरकार का यह कर्तव्य भी निर्धारित करता है कि वह उस समाज के निर्माण में सहायता करे, जिसकी परिकल्पना संविधान में की गई है. उन्होंने कहा कि संविधान में नैतिकता शब्द का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन संवैधानिक नैतिकता शब्द का नहीं.

‘आप राहुल द्रविड़ हैं’, भावुक CJI चंद्रचूड़ ने किनके लिए कहा- आप सुप्रीम कोर्ट के मिस्‍टर डिपेंडेबल

विवाह पर क्‍या बोले CJI
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान नैतिकता सहित विभिन्न आधारों पर स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार पर कानून द्वारा पाबंदी लगाने की अनुमति देता है. संविधान यह भी विचार करता है कि गठजोड़ बनाने की स्वतंत्रता के अधिकार पर नैतिकता के आधार पर पाबंदी लगायी जा सकती है. CJI ने आगे कहा कि एक स्तर पर संवैधानिक नैतिकता उन मूल्यों पर आधारित है जो संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित हैं. CJI चंद्रचूड़ के अनुसार, यह एक एकीकृत संवैधानिक नैतिकता प्रदान करता है, ताकि प्रत्येक भारतीय नागरिक अपनी इच्छानुसार सोच और बोल सके, अपनी इच्छानुसार उपासना कर सके, जिसका चाहे अनुसरण कर सके, जो चाहे खा सके और जिससे चाहे विवाह कर सके या विवाह ही न करे.

ऑनर…लॉर्डशिप…लेडीशिप पर क्‍या बोले
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि जब जस्टिस को ‘ऑनर’, ‘लॉर्डशिप’ या ‘लेडीशिप’ कहकर संबोधित किया जाता है, तो इसका गंभीर खतरा पैदा हो जाता है कि हम स्वयं को मंदिरों के देवताओं के रूप में देखने लगें, क्योंकि लोग कहते हैं कि अदालत न्याय का मंदिर है. उन्होंने कहा कि वह न्यायाधीश की भूमिका को जनता के सेवक के रूप में पुनः स्थापित करना चाहेंगे, जिससे करुणा और सहानुभूति की भावना सामने आएगी. CJI ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता की ये अवधारणाएं न केवल उच्चतर न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जिला न्यायपालिका के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आम नागरिकों की भागीदारी इसी स्तर पर शुरू होती है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह चीज तेजी से देखी जा रही है कि न्यायाधीश निर्णयों में अपनी विचारधाराओं के बारे में लिखते हैं. उन्होंने कहा कि किसी न्यायाधीश की व्यक्तिगत धारणा कि क्या सही है या क्या गलत है, संवैधानिक नैतिकता पर हावी नहीं होनी चाहिए. CJI ने कहा, ‘कृपया याद रखें कि हम संविधान के सेवक हैं, संविधान के स्वामी नहीं हैं.’

Tags: Justice DY Chandrachud, National News

FIRST PUBLISHED :

June 29, 2024, 22:26 IST

You may also like

Leave a Comment

About Us

Welcome to janashakti.news/hi, your trusted source for breaking news, insightful analysis, and captivating stories from around the globe. Whether you’re seeking updates on politics, technology, sports, entertainment, or beyond, we deliver timely and reliable coverage to keep you informed and engaged.

@2024 – All Right Reserved – janashakti.news/hi

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.