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‘जब तक जीवित हूं कुत्तों के लिए… हमेशा टीटो और टैंगो के साथ रहते थे रतन टाटा

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Ratan Tata: जब तक जीवित हूं कुत्तों के लिए मेरा प्यार बना रहेगा, हमेशा टीटो और टैंगो के साथ रहते थे रतन टाटा

नई दिल्ली. टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. उनके पास कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मान थे, जिनमें दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण, भी शामिल है. लेकिन इन सबके अलावा, उनके मानवीय गुण विशेष रूप से उभर कर सामने आते थे, जिनमें कुत्तों के प्रति उनका प्रेम, गरिमा के साथ चुपचाप संघर्ष करने की उनकी क्षमता और कर्मों को शब्दों से अधिक महत्व देने की उनकी आदत शामिल है. टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए एक बयान में कहा, “यह अत्यंत दुख के साथ है कि हम श्री रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं, एक असाधारण नेता जिनके असीम योगदान ने न केवल टाटा समूह को बल्कि हमारे देश की बुनियाद को भी आकार दिया है.”

टाटा 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा संस के चेयरमैन रहे, जो टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है. 29 दिसंबर 2012 से, टाटा को टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के चेयरमैन एमेरिटस का मानद खिताब दिया गया. उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के मोस्ट एक्सीलेंट ऑर्डर के नाइट ग्रैंड क्रॉस की उपाधि से सम्मानित किया गया और रॉकफेलर फाउंडेशन ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा. उन्होंने भारत और विदेश की कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.

टाटा अपने दो कुत्तों, टीटो (जर्मन शेफर्ड) और टैंगो (गोल्डन रिट्रीवर) के साथ रहते थे. उनकी सादगी तब झलकी जब उन्होंने अपने पालतू कुत्तों की मौत के बारे में बात की और बताया कि इसका उन पर कितना गहरा असर पड़ा. हाल ही में टाटा रिव्यू को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मेरा कुत्तों के प्रति प्यार हमेशा मजबूत रहेगा और जब तक मैं जीवित हूं, यह प्यार बना रहेगा.”

उन्होंने कहा, “हर बार जब मेरे पालतू जानवरों में से एक की मौत होती है, तो मैं उस दुख से गुजरता हूं, जिसे शब्दों में नहीं लिखा जा सकता. फिर मैं तय करता हूं कि मैं इस प्रकार की विदाई को फिर से नहीं सह सकता. और फिर भी, दो-तीन साल बाद, मेरा घर बहुत खाली और बहुत शांत हो जाता है, जिससे मैं उनके बिना नहीं रह सकता, इसलिए एक और कुत्ता मेरी स्नेह और ध्यान का पात्र बन जाता है, ठीक पिछले वाले की तरह.”

उनका बॉम्बे हाउस हेडक्वॉर्टर आवारा कुत्तों की देखभाल करता है, जिसमें खाना, पानी, खिलौने और खेलने का इलाका शामिल है. यह परंपरा जमशेदजी टाटा के समय से चली आ रही है. उन्होंने पीपल फॉर एनिमल्स, बॉम्बे एसपीसीए और एनिमल राहत जैसी पशु कल्याण संगठनों को भी सपोर्ट किया है.

Tags: Ratan tata, Special Project

FIRST PUBLISHED :

October 10, 2024, 03:33 IST

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