महबूबनगर/ मल्काजगिरी: महबूबनगर में मुकाबला भले ही किसी के भी बीच हो रहा हो, लेकिन यह चुनाव यहां के एक बेटे-बेटी के बीच नाक का सवाल बन चुका है। यह कहना था एक रिटायर्ड प्रोफेसर पी कृष्ण रेड्डी का। कैसे? के जवाब में वह कहते हैं कि यह लड़ाई खुद को यहां का बेटा कहने वाले राज्य के सीएम रेवंत रेड्डी और बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजशेखर रेड्डी सरकार में मंत्री रही डी के अरुणा के बीच है, जो खुद महबूबनगर जिले की बेटी हैं। वह यहां की नारायणपेट असेंबली सीट से आती हैं। यह चुनाव दो हैवीवेट चैंपियंस के बीच प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। दरअसल, महबूबनगर में बीजेपी की डीके अरुणा के सामने कांग्रेस के चल्ला वम्शीचंद्र रेड्डी और बीआरएस के मन्ने श्रीनिवास रेड्डी मैदान में हैं। रोचक है कि यही तीनों उम्मीदवार पिछली बार भी इन्हीं पार्टियों के टिकट पर मैदान में थे।
हालांकि कांग्रेस के लिए एक राहत की बात यह है कि महबूबनगर संसदीय क्षेत्र की सभी सातों असेंबली सीटें फिलहाल कांग्रेस के पास ही हैं। तेलंगाना के चुनाव को अभी छह महीने भी पूरे नहीं हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस मान रही है कि इन सात सीटों की जीत मौजूदा चुनाव में एक मजबूत शुरुआत देने का काम करेगी। हालांकि तेलंगाना की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले प्रशांत कुमार मानते हैं कि बीजेपी ने महबूबनगर और मल्काजगिरी दोनों ही चुनावी इलाकों में अपने दो बड़े चेहरों डीके अरुणा और इटाला राजेंद्र को उतार कर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को घेरने की भरपूर कोशिश की है। प्रशांत का कहना था कि वैसे तो रेवंत रेड्डी पर पूरे राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की दबाव है, लेकिन महबूबनगर और मल्काजगिरी उनकी अपनी प्रतिष्ठा दांव पर है।
यही वजह रही कि महबूबनगर में रेवंत रेड्डी चुनाव से पहले आकर लगातार सभाएं और मीटिंग करते रहे। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेवंत रेड्डी लगातार यहां आकर लोगों को अपने स्थानीय होने की बात कह कर और ईश्वर का वास्ता देकर खुद को यहां का माटी पुत्र बताकर लोगों से कांग्रेस उम्मीदवार वम्शी चंद्र रेड्डी के लिए यह कहकर वोट मांग रहे हैं कि आप अपने बेटे को निराश नहीं करेंगे। जबकि डी के अरुणा महबूबनगर इलाके में सीएम के लगातार हुए दौरो को उनकी घबराहट व डर करार दे रही हैं। दूसरी और अपनी मां के प्रचार अभियान में अहम जिम्मेदारी निभा रही डीके अरुणा की बेटी स्निग्धा कांग्रेस पर आरोप लगाती है कि वह बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में तो आ गई, लेकिन उसने उन वादों पर काम नहीं किया। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले रेवंत रेड्डी ने कोडंगल में 4000 करोड़ की लागत वाले मक्तल नारायनपेट कोडंगल लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। माना जा रहा है कि यह महबूबनगर और इसके आसपास के इलाके में लंबे समय से चली आ रही पानी की जबरदस्त किल्लत को दूर करेगा।
रेवंत रेड्डी पर ये आरोप
प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद रेवंत पहली बार अपने चुनावी क्षेत्र में आए थे। उनके आलोचक इसे चुनावी स्टंट करार देते हैं। पर्यावरण मुद्दों को लेकर काम करने वाले एक स्थानीय कार्यकर्ता के विजय कुमार का कहना था कि मुख्यमंत्री को नया प्रोजेक्ट शुरू करने की बजाय अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने पर जोर देना चाहिए। दरअसल उनका इशारा केसीआर सरकार के समय में शुरू हुआ पालामूर रंगारेड्डी लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट की ओर था, जो इस चुनाव में यहां एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। मजे की बात है कि पालामूर रंगारेड्डी प्रोजेक्ट का मुद्दा इस चुनाव में मौजूदा तीनों ही पार्टियों न सिर्फ उठा रही हैं, बल्कि एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी जगा रही हैं। केसीआर सरकार के समय में शुरू हुई इस परियोजना को लेकर बीआरएस जहां एक और केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है तो वहीं बीजेपी बीआरएस सरकार पर समय पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट न देने और बार-बार डीपीआर बदलने का आरोप लगा रही है। वह बीजेपी की केंद्र सरकार पर इस परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा न देने के लिए भी घेर रही है।
‘मोदी सरकार के आने के बाद तेलंगाना का विकास हुआ’
महबूबनगर रेलवे स्टेशन इलाके में मेडिकल शॉप चलाने वाले कृष्णा राजू मानते हैं कि केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद तेलंगाना का विकास हुआ है। खासकर यहां हाइवेज और औद्योगिक क्षेत्र के विकास पर तेजी से काम हुआ है। पब्लिक एरियाज में महिलाओं के टॉयलेट्स जैसी सुविधाएं पिछले कुछ सालों में बढ़ी हैं। वहीं पास के गांव से आकर टीशॉप पर काम करने वाली लक्ष्म्मा का कहना था कि सरकार हर महीने जो फ्री राशन दे रही है, उससे गरीबों को वाकई राहत मिली है। उनकी बात को काटते हुए इंजीनियरिंग कर रहे साबिर अली कहते हैं, फ्री राशन से जिंदगी तो नहीं चलती ना। राशन देकर केंद्र सरकार बाकी चीजों से पल्ला झाड़ रही है। आज रोजगार सबसे बड़ी समस्या है। यूथ को नौकरी कहां है, पढ़लिख कर नौजवान खाली बैठे हैं। साबिर मानते हैं कि मोदी सरकार काम करने से ज्यादा प्रचार हो रहा है।
मल्काजगिरी के बारे में
मल्काजगिरी में भी रेवंत रेड्डी पूरा जोर लगा रहे हैं। दरअसल, सीएम बनने तक वह यहां के मौजूदा सांसद थे। महबूबनगर की तरह यहां भी उनके लगातार दौरे हो रहे हैं। हालांकि रेवंत रेड्डी के सामने चुनौती है कि देश की सबसे बड़ी संसदीय सीट मल्काजगिरी की सभी सातों असेंबली सीटों पर बीआरएस का कब्जा है। यहां मतदाताओं की संख्या लगभग 32 लाख है। संसदीय सीट की लगभग 93 फीसदी आबादी शहरी और सात फीसदी ग्रामीण है। ग्रेटर हैटराबाद में आने वाली यह सीट मिनी इंडिया कहलाती है, जहां आपको तेलुगु भाषी के अलावा तमिलियन, मलयाली, कन्नाडिगा से लेकर बांग्लाभाषी, मारवाड़ी, महाराष्ट्र, बिहार से आए लोगों सहित अन्य उत्तर भारतीय बड़ी तादाद में मिल जाएंगे।
कांग्रेस ने यहां से पट्नम सुनीता महेंदर रेड्डी को उताराकांग्रेस ने यहां से पट्नम सुनीता महेंदर रेड्डी को टिकट दिया है, जबकि उनके सामने बीजेपी के कद्दावर नेता इटाला राजेंदर और बीआरएस के रागिडी लक्ष्मा रेड्डी मुकाबले में हैं। सुनीता जहां चेवेल्ला से यहां आई हैं तो इटाला राजेंदर भी बाहरी उम्मीदवार हैं। ऐसे में लक्ष्मा रेड्डी खुद को स्थानीय उम्मीदवार बताकर बाकी दोनों को बाहरी करार देते हुए अपने लिए वोट मांग रहे हैं। हालांकि सुरेंद्र कहते हैं कि इटाला असेंबली चुनावों में दोनों ही सीटों से हार गए थे, इसलिए उनके लिए लोगों में सहानुभूति भी है। वहीं कोमपल्ली इलाके में रह रहीं रचना माणिक का कहना था कि मल्काजगिरी कॉस्मोपॉलिटन तो है, लेकिन यहां ट्रैफिक की समस्या से निपटने के लिए जो काम होना चाहिए, उसकी तरफ कोई भी सरकार ध्यान नहीं दे रही।