Monday, January 20, 2025
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क्या भारत के बिना ट्रंप का काम चलेगा? अमेरिकी राष्ट्रपति की शपथ से पहले समझ लीजिए उनके सामने क्या होंगी चुनौतियां

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लेखक: ललित मोहन बंसल
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डॉनल्ड ट्रंप का शपथ लेना कई मायनों में खास होगा। सभी की नजरें होंगी वाइट हाउस में उनके पहले दिन पर।

राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप जानलेवा हमले में बाल-बाल बचे थे, लेकिन उन्होंने हौसला बुलंद रखा। स्विंग स्टेट्स में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस को बड़े अंतर से हराया और दोनों सदनों में बहुमत हासिल किया। उन्होंने अमेरिका को फिर से महान बनाने और दुनिया में चल रहे युद्धों को खत्म करने का वादा किया है, जिससे माहौल खुशनुमा है। रिपब्लिकन इवेंजेलिकल समुदाय खास तौर पर खुश है, क्योंकि पनामा नहर जैसी महत्वपूर्ण धरोहर को हासिल करने की उम्मीद जगी है। हालांकि ट्रंप के ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाने वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आ रही है।

मस्क की भूमिका
ट्रंप ने अपनी टीम में चीन के प्रति नरम रुख रखने वाले इलॉन मस्क और विवेक रामास्वामी को रखा है। साथ ही, कूटनीति में तेज-तर्रार और चीन पर कड़ी टिप्पणियां करने वाले मार्को रुबियो को विदेश मंत्री बनाया है। मस्क पिछले साल भारत की यात्रा कैंसल कर चीन पहुंच गए थे। वहां उनकी खूब आवभगत हुई। इसके बाद भी यह कहना गलत होगा कि दो देशों के बीच मस्क विचौलिये की भूमिका निभा सकते हैं। जानकार बताते हैं कि ट्रंप अपने दोस्तों को एक सीमा तक ही छूट देते हैं।

क्वॉड को समर्थन
हिंद-प्रशांत महासागर में सुरक्षा और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ट्रंप क्वॉड देशों (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका) की नौसेना के संयुक्त अभ्यास को समर्थन देंगे। वह चाहते हैं कि दक्षिण चीन सागर में चीन के दबाव का सामना कर रहे वियतनाम, फिलीपींस, ब्रुनेई और मलेशिया जैसे देशों का मजबूत साथ दिया जाए। हालांकि, आसियान के कुछ देश चीन के प्रभाव में हैं।

सहयोगियों पर रुख
रूस के खिलाफ मजबूती के लिए ट्रंप ने नैटो के सहयोगी देशों को फिर याद दिलाया कि अपनी सुरक्षा पर GDP का कम से कम 5% खर्च करें। ट्रंप अफ्रीका के 12 मुस्लिम देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जबकि लैटिन अमेरिकी देशों के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंध मजबूत कर सकते हैं।

चीन की चुनौती
चीन ने समय के साथ सैन्य ताकत, आर्थिक नीति और कूटनीति के जरिए अपना दबदबा बढ़ाया है। आज वह सैन्य शक्ति में अमेरिका को टक्कर देने की स्थिति में है। उसने अपनी मुद्रा युआन का मूल्य दशकों तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कम रखा, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में फायदा हुआ। बेल्ट एंड रोड इनीशटिव के जरिए उसने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 100 से अधिक विकासशील देशों में पहुंच बनाई, कर्ज बांटे। इससे ग्लोबल साउथ के देशों में चीन का दबदबा बना है, तो यूरोपीय देशों के साथ भी मैत्रीपूर्ण संबंध कायम हुए। यूक्रेन युद्ध के दौरान उसने रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल और गैस खरीद कर उसकी अर्थव्यवस्था में मदद की।

दबदबा घट रहा
डॉनल्ड ट्रंप भले ही व्लादिमीर पुतिन के साथ दोस्ती का दावा करें लेकिन रूसी कब्जे में जा चुके यूक्रेनी इलाकों पर अपना दावा छोड़ने के लिए यूक्रेन को मनाना आसान नहीं होगा। ट्रंप ने शपथ ग्रहण के अगले ही दिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को बातचीत के लिए बुलाया है। आज वह वक्त नहीं है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति अंतरराष्ट्रीय नियम- कायदों को ताक पर रखते हुए अपनी बात मनवा सकें। रूस, चीन और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते कूटनीतिक रिश्तों से अब बहुध्रुवीय दुनिया आकार ले रही है।

भारत से उम्मीद
भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते मजबूत हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच भी अच्छी समझ है। दक्षिण – पूर्व एशिया में भू-राजनीतिक नजरिये से भारत की अहम भौगोलिक स्थिति के बारे में अमेरिका जानता है। उसे पता है कि भारत अपने दम पर आर्थिक ताकत बना है। चीन के बढ़ते दबाव को देखते हुए ट्रंप के पास एक ही चारा है, भारत के साथ व्यापार बढ़ाना और अमेरिकी कंपनियों का निवेश कराना।

साथ में विकासप्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व बंधुत्व की अवधारणा को जी -20 और ग्लोबल साउथ – 77 देशों के आयोजन में बड़ी सफलता मिली है। यह दिखाता है कि भारत और अमेरिका मिलकर संयुक्त राष्ट्र (UNO) और अन्य वैश्विक मंचों पर कैसे लाभ उठा सकते हैं।

अनुभव शाक्य

लेखक के बारे में

अनुभव शाक्य

2021 में IIMC से पत्रकारिता की पढ़ाई करके ज़ी न्यूज से पत्रकारिता में एंट्री की। यूपी के एटा में जन्म लिया लेकिन पढ़ाई-लिखाई अलीगढ़ में हुई। करीब डेढ़ साल वहां देश-दुनिया की खबरें लिखने के बाद अब नवभारत टाइम्स में न्यूज टीम में काम कर रहे हैं। राजनीति, टेक्नोलॉजी और फीचर में रुचि रखने के साथ-साथ लिखने पढ़ने के शौकीन हैं। फिल्में और वेबसीरीज देखना खूब भाता है। अपने अंदाज में लिखना और बात करना पसंद है।… और पढ़ें

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