Sunday, January 12, 2025
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Home कोड़ा दंपती की प्रतिष्ठा दांव पर, सोनाराम सिंकू बोले-‘राजनीति में मेरा कोई गॉडफादर नहीं’

कोड़ा दंपती की प्रतिष्ठा दांव पर, सोनाराम सिंकू बोले-‘राजनीति में मेरा कोई गॉडफादर नहीं’

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जगन्नाथपुरः झारखंड की जगन्नाथपुर विधानसभा सीट आगामी चुनावों में सबसे चर्चित सीट बन गई है। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनकी पत्नी गीता कोड़ा के लिए यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा और राजनीतिक भविष्य की दिशा तय करेगा। सोनाराम सिंकू, जिन्हें कोड़ा दंपती ने आगे बढ़ाया था, अब वे ही उनके सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़े हैं।

मधु कोड़ा ने निर्दलीय विधायक के रूप में रचा था इतिहास

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने एक निर्दलीय विधायक के रूप में झारखंड के मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया था। वे और उनकी पत्नी गीता कोड़ा सिंहभूम लोकसभा सीट से सांसद भी रहे। हालांकि, इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी गीता कोड़ा को हार का सामना करना पड़ा। अब गीता कोड़ा आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी परंपरागत जगन्नाथपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार नजर आ रही हैं। यह चुनाव कोड़ा दंपत्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनकी राजनीतिक ताकत और भविष्य तय करेगा।

कांग्रेस के सोनाराम सिंकू कोड़ा दंपती को देंगे टक्कर

पिछले विधानसभा चुनाव में कोड़ा दंपत्ति ने अपने करीबी सोनाराम सिंकू को कांग्रेस के टिकट पर जगन्नाथपुर से चुनाव लड़ाया था और उन्हें जीत भी मिली थी। लेकिन अब विधायक सोनाराम सिंकू कोड़ा दंपती को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं। हाल ही में विधायक सिंकू ने यह कहकर सियासी पारा चढ़ा दिया कि- ‘राजनीति में मेरा कोई गॉडफादर नहीं है’।

मधु कोड़ा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित

कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में मधु कोड़ा को दोषी ठहराते हुए उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी गीता कोड़ा को सांसद बनाकर जिले की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी। कांग्रेस में शामिल होने और गीता के सांसद बनने के बाद राज्य की राजनीति में भी कोड़ा दंपत्ति का प्रभाव बढ़ गया था।

मधु कोड़ा ने अपने करीबी सोनाराम सिंकू को मैदान में उतारा

सोनाराम सिंकू को मधु कोड़ा की ओर से विधायक बनाए जाने के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है। दरअसल, मधु कोड़ा खुद चुनाव लड़ने की अनुमति के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुके थे। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें अनुमति मिल जाएगी और वे सोनाराम सिंकू से इस्तीफा लेकर खुद जगन्नाथपुर से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन समय बीतता गया और अब सोनाराम सिंकू ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। अब वो दूसरी पारी के लिए पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं और उन्हें जनता का समर्थन भी मिल रहा है।

लोकसभा चुनाव 2024 में 21 हजार से पिछड़ना बड़ा झटका

लोकसभा चुनाव में जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र में गीता कोड़ा को २० से ज्यादा वोटों से पिछड़ना कोड़ा दंपती के लिए एक झटका था। इसके बाद से ही उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वे पिछले कई महीनों से वन पट्टा, बंद खदानों को फिर से शुरू करने जैसे मुद्दों को लेकर लगातार क्षेत्र में पदयात्राएं और जनसंपर्क कर रहे हैं।

2024 लोकसभा चुनाव में जगन्नाथपुर सीट में जेएमएम को बढ़त

उम्मीदवार का नाम पार्टी प्राप्त मत
जोबा मांझी जेएमएम 70082
गीता कोड़ा भाजपा 49105

सोनाराम सिंह की सीट पर जेएमएम की दावेदारी

दूसरी ओर, मौजूदा विधायक सोनाराम सिंकू के खिलाफ समय-समय पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। झामुमो का आरोप है कि सोनाराम सिंकू कोड़ा दंपती के करीबी हैं और चुनाव में वे गीता कोड़ा को जिताने का काम करेंगे। इससे इंडिया गठबंधन का एक सीट कम हो जाएगा। झामुमो ने इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए जिला अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन और पूर्व विधायक मंगलसिंह बोबोंगा ने कमर कस ली है।

सोनाराम सिंकू बोले-‘राजनीति में कोई गॉडफादर नहीं’

अपने खिलाफ फैलाई जा रही अफवाहों का जवाब देते हुए सोनाराम सिंकू ने साफ कर दिया है कि ‘राजनीति में मेरा कोई गॉडफादर नहीं है’। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान विधायक होने के नाते वे ही महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे।

कल्पना सोरेन के समर्थन से सोनाराम सिंकू का बढ़ा मनोबल

29 सितंबर को जगन्नाथपुर में आयोजित ‘मांझी सम्मान यात्रा सभा’ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और विधायक कल्पना सोरेन ने सोनाराम सिंकू को एक लोकप्रिय विधायक बताते हुए उनकी प्रशंसा की। अन्य नेताओं द्वारा भी कार्यक्रम में सोनाराम सिंकू को महत्व दिया जाना उनके खिलाफ उठ रही अटकलों पर विराम लगाता है।

कोड़ा दंपती के करीबी सिंकू ने सभी को चौंकाया

जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र में पिछले दो दशक से मधु कोड़ा और गीता कोड़ा का दबदबा रहा। लेकिन इस बीच 2019 के चुनाव में गीता कोड़ा के सांसद बन जाने और मधु कोड़ा के चुनाव नहीं पड़ जाने के कारण उन्होंने अपने करीबी सोनाराम सिंकू को कांग्रेस उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में सोनाराम सिंकू ने बड़ी जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया। दूसरे स्थान पर झाविमो के मंगल सिंह बोबोंगा रहे। जबकि 2014 और 2019 में बीजेपी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे।

2019 में जगन्नाथपुर सीट का चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नाम पार्टी प्राप्त मत
सोना राम सिंकू कांग्रेस 32499
मंगल सिंह बोबोंगा झाविमो 20893

2014 में जगन्नाथपुर सीट का चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नाम पार्टी प्राप्त मत
गीता कोड़ा जेबीएसपी 48546
मंगल सिंह सुरेन भाजपा 23935

2009 में जगन्नाथपुर सीट का चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नाम पार्टी प्राप्त मत
गीता कोड़ा जेबीएसपी 37145
सोनाराम बिरुआ भाजपा 11695

चार बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को मिली

जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र के 1967 में अस्तित्व में आने के बाद सबसे पहले कांग्रेस उम्मीदवार पी. पारेया की जीत हुई। जिसके बाद 1972, 1985 और 2019 में कांग्रेस को जीत मिली। जबकि बीजेपी को सिर्फ वर्ष 2000 में एक बार जीत मिली।

वर्ष 1967 से 2019 तक जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से निर्वाचित विधायक

वर्ष उम्मीदवार का नाम पार्टी
1967 वी पारेया कांग्रेस
1969 मंगल सिंह लगाई निर्दलीय
1972 सिदू हेम्ब्रम कांग्रेस
1977 बारजू हांसदा जेएनपी
1980 मंगल सिंह लगाई निर्दलीय
1985 अंकूरा हो होबारूबुरू कांगेस
1990 मंगल सिंह लगाई जनता दल
1995 मंगल सिंह लगाई जेपीपी
2000 मधु कोड़ा भाजपा
2005 मधु कोड़ा निर्दलीय
2009 गीता कोड़ा जेबीएसपी
2014 गीता कोड़ा जेबीएसपी
2019 सोना राम सिंकू कांग्रेस

कोड़ा दंपती को मिलेगी राजनीति जमीन या सिंकू बनाएंगे अलग पहचान

कुल मिलाकर, जगन्नाथपुर विधानसभा सीट पर होने वाला चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोड़ा दंपती अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापिस पाते हैं या सोनाराम सिंकू अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब होते हैं!

रवि सिन्हा

लेखक के बारे में

रवि सिन्हा

नवभारत टाइम्स डिजिटल के बिहार-झारखंड टीम में कार्यरत। राजस्थान पत्रिका में दिसंबर 2005 से लेकर अप्रैल 2020 तक झारखंड प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने का मौका मिला। दूरदर्शन रांची और आकाशवाणी केंद्र के प्रादेशिक समाचार एकांश में आकस्मिक सहायक संपादक के रूप में 17 साल का सफर। रांची एक्सप्रेस, आज, देशप्राण समेत कई अन्य हिन्दी और उर्दू अन्य समाचार पत्रों और वेबपोर्टल के लिए लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से लेखन। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 2000 में संवाद समिति एक्सप्रेस मीडिया सर्विस से पत्रकारिता की शुरुआत के बाद 2001 से झारखंड की राजधानी रांची अब कर्मस्थल। देश-विदेश की सामाजिक और राजनीतिक खबरों में विशेष रूचि। पत्रकारिता की हर विधा को सीखने की लगन और चाहत।… और पढ़ें

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