कानपुर के बिठुर थानाक्षेत्र के प्रतापपुर हरी गांव निवासी ओमप्रकाश ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि चार मार्च 2009 को उसकी बहन गोपी की शादी शुक्लागंज के रहमतनगर निवासी राजेश निषाद के साथ हुई थी।
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शादी के बाद से राजेश दहेज की मांग को लेकर परिजनों के साथ बहन से मारपीट करता था। मारपीट से तंग आकर बहन मायके वापस लौट आई थी। इस पर 27 अप्रैल 2014 को राजेश अपनी मां बेलापती के साथ उसके घर आया और बहन को साथ लेकर चला गया।
दहेज हत्या समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की
चार मई 2014 को जानकारी मिली की राजेश ने मां बेलावती, भाई अनिल व फूफा चुन्नीलाल के साथ मिलकर बहन पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। बहन की चीख पुकार सुनकर मोहल्ले वाले वहां पहुंचे।
बहन को गंभीर हालत में कानपुर के उर्सला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां आठ मई 2014 की शाम उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। तहरीर के आधार पर पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ दहेज हत्या समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी।
बेलापति को सभी आरोपों से बरी कर दिया
विवेचना के दौरान भाई अनिल व फूफा चुन्नीलाल पर लगाए गए सभी आरोप निराधार पाए गए। इस पर मामले के विवेचक मनोज कुमार अवस्थी ने राजेश व बेलापति के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था।
मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान न्यायाधीश स्वतंत्र प्रकाश ने अधिवक्ता यशवंत सिंह की दलील व साक्ष्य के आधार पर आरोपी राजेश को दोषी मानकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं साक्ष्य के अभाव में बेलापति को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।