Shivdeep Lande: किस क्राइम पैटर्न को लेकर टेंशन में हैं शिवदीप लांडे, 16 से 22 साल के यंगस्टर्स क्या कहा?
हाइलाइट्स
शिवदीप वामनराव लांडे ने संभाला पूर्णिया रेंज के आईजी का पदभार. सीमावर्ती जिलों की चुनौतियों पर विशेष ध्यान देंगे IG शिवदीप लांडे. 16 से 22 साल के युवाओं के क्राइम पैटर्न पर शिवदीप लांडे को चिंता.
पूर्णिया. बिहार के चर्चित पुलिस अधिकारी आईपीएस शिवदीप वामनराव लांडे ने पूर्णिया प्रक्षेत्र के आईजी के रूप में को पदभार ग्रहण कर लिया. डीआईजी विकास कुमार से उन्होंने शुक्रवार को चार्ज लिया. गार्ड ऑफ ऑनर के बाद आईजी शिवदीप लांडे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके लिए यह इलाका पुराना है क्योंकि वो पूर्व में अररिया और पूर्णिया के भी एसपी के चार्ज में रह चुके हैं. इसके साथ ही सहरसा प्रमंडल के डीआईजी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि आईजी की जो भूमिका होती है उसमें वह सदैव अपने अधिकारियों के साथ खड़े रहेंगे. उन्होंने कहा कि यह इंटरनेशनल बॉर्डर भी है इसलिए इसकी चुनौतियां भी हैं, लेकिन उन्हें इसका अनुभव है. मीडिया से बातचीत में उन्होंने क्राइम पैटर्न के बदलाव के बारे में गंभीर बातें बताईं और इसकी जद में 16 से 22 साल के युवाओं के आने और इसके नकारात्मक प्रभाव पर रोशनी डाली.
शिवदीप लांडे ने कहा कि उन्होंने अभी चार्ज लिया और इसके बाद चारों जिलों-पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज के पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करेंगे. सभी जिलों में जाएंगे भी और वहां के हालात को देखेंगे. अब क्राइम का तरीका बदल गया है, खासकर 16 से 22 वर्ष के उम्र के युवा स्मैक के चक्कर में भटक रहे हैं. वह क्राइम करते हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं रहता है कि वह किस तरह का क्राइम कर रहे हैं. उसको कंट्रोल करना मेरी प्राथमिकता होगी.
शिवदीप लांडे ने कहा कि यहां एक दशक पहले आया था. हर जिले का क्राइम का पैटर्न देखना पड़ेगा. क्राइम कंट्रोल के साथ-साथ क्राइम के नए ट्रेंड्स देखने पड़ेंगे. कुछ नए क्रिमिनल्स के गैंग्स आए हैं, वह देखने पड़ेंगे. जिलों में जाऊंगा और सारी चीजों को देखूंगा. मैं हमेशा संस्थाओं को ताकत देने में विश्वास करता हूं. एसपी, डीएसपी और थानेदार, ये सभी अलग-अलग संस्था हैं, मैं हरसंस्था को मजबूती दूंगा. लॉ एंड ऑर्डर को लेकर मैं इन संस्थाओं के साथ खड़ा रहूंगा. मेरी भूमिका अभिभावक की तरह उनको दिशा देना होगा.
इंटर डिस्ट्रिक्ट कोपरेशन और कोआर्डिनेशन का काम करना होगा. सीमावर्ती क्षेत्र में काम करने का काफी अच्छा एक्सपीरियंस रहा है. सहरसा में भी था तो सुपौल बॉर्डर था. अभी भी मुजफ्फरपुर से आया हूं तो वहां सीतामढ़ी का बॉर्डर था. मेरे लिए नई बात नहीं है. समय के साथ बहुत सारे बदलाव हुए हैं. 16 साल से 22 साल तक के जो नए लड़के हैं कहीं ना कहीं स्मैक पीकर अपराध को अंजाम देते हैं. यह एक काफी एक सेंसिटिव इश्यू है.
शिवदीप लांडे ने कहा कि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि जो क्रिमिनल जिन्होंने क्राइम किया है, नशे में जब आपने उसका इंट्रोगेशन किया और डिटेल से बात करने पर पता चलता है कि उसको भी नहीं पता रहता है कि उसने क्या किया है. यह एक डेंजरस चीज है. पहले जो क्राइम होता था उसका मोटिव पता होता था कि गोली चला रहा हूं तो उसका क्या होने वाला है, कौन मारा जाएगा. लेकिन अब स्मैकियर क्रिमिनल्स को सेंस ही नहीं है कि वह क्या करने जा रहा है, इसलिए यह और डेंजरस है. हमारे लिए इसकी सतर्कता के साथ इसके इंप्रूवमेंट के लिए काम करना है.
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FIRST PUBLISHED :
September 7, 2024, 12:37 IST