सुनक के जाने के बाद अब कैसे होंगे भारत से ब्रिटेन के संबंध, कश्मीर पर PM स्टार्मर की यह बात क्या कर रही इशारा
हाइलाइट्स
लंदन में सरकार बदलने से भारत के प्रति ब्रिटेन की नीतियों में बदलाव होने की संभावना नहीं. नए ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भारत के साथ मजबूत संबंध बना सकते हैं.फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होगी संबंधों की नई कसौटी.
नई दिल्ली. ब्रिटेन के मतदाताओं ने लेबर पार्टी को भारी जीत दिलाई है, ऐसे में प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की अगुवाई वाली नई सरकार अतीत की परेशानियों के बावजूद व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने और भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए बेहतर स्थिति में हो सकती है. 650 सदस्यीय हाउस ऑफ कॉमन्स में लेबर पार्टी ने 412 सीटें जीतीं. जिससे कंजरवेटिव पार्टी की सत्ता पर 14 साल की पकड़ खत्म हो गई. स्टारमर अब ऋषि सुनक की जगह लेंगे, जो पहले ब्रिटिश एशियाई प्रधानमंत्री थे. जिन्होंने भारत को अपने पक्ष में किया और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए बातचीत को आगे बढ़ाने की कोशिश की. जो बाजार पहुंच और ऑटोमोबाइल और शराब पर टैरिफ जैसे मुद्दों पर मतभेदों के कारण मुश्किल में पड़ गया था.
नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं
ऋषि सुनक का भारत से गहरा संबंध था. उनका जन्म 1980 में साउथेम्प्टन में भारतीय मूल के माता-पिता के घर हुआ था, जो पूर्वी अफ्रीका से ब्रिटेन चले आए थे. उनकी शादी अक्षता मूर्ति से हुई है, जो आईटी सेवा कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं. वहीं 2015 से संसद के सदस्य और मानवाधिकार वकील स्टार्मर ने इंग्लैंड और वेल्स के लिए लोक अभियोजन निदेशक के रूप में काम किया है. इस मामले से परिचित लोगों के मुताबिक लंदन में सरकार बदलने से भारत के प्रति ब्रिटेन की समग्र नीतियों में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है. खासकर रक्षा और रणनीतिक सहयोग तथा व्यापार और निवेश संबंधों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कोई बड़ा बदलाव होने के आसार नहीं हैं.
नई नीतियों वाली लेबर पार्टी
वैसे भी लेबर पार्टी ने सुनक द्वारा चुनाव घोषित किए जाने से पहले ही भारत को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया. छाया विदेश सचिव डेविड लैमी और छाया व्यापार और व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स जैसे प्रमुख नेताओं को मंत्रियों और व्यापार नेताओं से बातचीत करने के लिए हाल ही में फरवरी में नई दिल्ली भेजा गया था. लेबर पार्टी के तहत भारत-यूके संबंधों की संभावनाएं अच्छी हैं. क्योंकि यह एक नई लेबर पार्टी है, न कि जेरेमी कॉर्बिन के वक्त की लेबर पार्टी. यह स्टार्मर के नेतृत्व में केंद्र की ओर अधिक आगे बढ़ी है और अधिक व्यावहारिक पार्टी है.
पहले लेबर पार्टी ने कश्मीर मुद्दे को उठाया था
अतीत में लेबर पार्टी ने मानवाधिकार उल्लंघन और कश्मीर मुद्दे जैसे मामलों को भारत के साथ अन्य ब्रिटिश राजनीतिक दलों की तुलना में अधिक जोरदार तरीके से उठाया है. लेकिन लोगों ने स्टार्मर के हाल ही में भारतीय प्रवासियों से संपर्क करने के साथ-साथ पार्टी द्वारा कॉर्बिन को दरकिनार करने की ओर इशारा किया. जिनके नेतृत्व में लेबर ने सितंबर 2019 में अपने वार्षिक सम्मेलन में कश्मीर की स्थिति पर एक आपातकालीन प्रस्ताव पारित किया था. बाद में लेबर पार्टी ने इस कदम से पैदा हुए विवाद का जवाब देते हुए खुद को प्रस्ताव से अलग कर लिया था. उसने कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मामला बताया था जिसमें पार्टी हस्तक्षेप नहीं करेगी.
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FIRST PUBLISHED :
July 6, 2024, 07:06 IST