उद्धव ठाकरे की अक्ल आ गई ठिकाने, करारी हार के बाद रिवर्स गियर में राजनीतिक ट्रेन, याद आने लगे हनुमान जी
मुंबई. चुनावों के नतीजे से विजयी दलों का उत्साह जहां चरम पर पहुंच जाता है, वहीं हारने वाला दल खुद को फिर से संगठित करने में जुट जाता है. खामियों को दूर करने की कोशिशें भी शुरू कर दी जाती हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद ऐसी ही तस्वीर उभरने लगी है. चुनाव में करारी शिकस्त के बाद अब उद्धव ठाकरे की पार्टी पुरानी राजनीति की ओर लौटने के संकेत देने लगी है. फिर चाहे वह बाबरी मस्जिद विध्वंस हो या बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार या भगवान हनुमान मंदिर की ‘रक्षा’ का मामला हो, शिवसेना (UBT) हिन्दुत्व की पुरानी राह पर लौटने के ठोस संकेत दे दिए हैं. बता दें कि महाविकास अघाड़ी का हिस्सा बनने के बाद उद्धव ठाकरे के सुर नरम पड़ गए थे. अब उनकी पार्टी फिर से उग्र हिन्दुत्व का तेवर दिखाने के लिए बेचैन दिख रही है.
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 20 नवंबर को हुए चुनाव में मिली करारी हार के बाद कुछ दिनों से अपने मूल एजेंडे हिंदुत्व पर लौटने के संकेत दिए हैं. पार्टी ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में अगस्त में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद वहां हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के लिए केंद्र पर कड़ा हमला किया. अब वह मुंबई के दादर स्टेशन के बाहर स्थित 80 साल पुराने हनुमान मंदिर की रक्षा के लिए आगे आई है, जिसे रेलवे द्वारा ध्वस्त करने का नोटिस दिया गया है. शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने हिंदुत्व के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी को घेरने की अपनी मंशा का संकेत देते हुए मंदिर में महाआरती की.
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बाबरी मस्जिद का मामला
इससे पहले 6 दिसंबर को पार्टी ने कुछ सहयोगियों की नाराजगी तब बढ़ा दी थी, जब उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी और विधानपरिषद के सदस्य मिलिंद नार्वेकर ने सोशल मीडिया एक्स पर बाबरी मस्जिद विध्वंस की एक तस्वीर शेयर की थी. उन्होंने इसके साथ ही शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का आक्रामक बयान भी पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मुझे उन लोगों पर गर्व है जिन्होंने यह किया. इस कदम से असहज समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू आजमी ने कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (एमवीए) से अलग हो रही है. बता दें कि एमवीए में शिवसेना (UBT) के अलावा कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी शामिल है.
बांग्लादेश में हिन्दुओं की रक्षा का मुद्दा
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों और पर्यवेक्षकों का कहना है कि नार्वेकर ने पार्टी नेतृत्व की जानकारी के बिना संदेश साझा नहीं किया होगा. उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया था और जानना चाहा था कि पड़ोसी देश में समुदाय की सुरक्षा के लिए भारत ने क्या कदम उठाए हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये कदम शिवसेना (UBT) की नीति में एक और बदलाव का संकेत है, जिसने 2019 में अपने लंबे समय की सहयोगी भाजपा से नाता तोड़ लिया था और कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिला लिया था. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को विधानसभा चुनावों में मिली हार और नगर निकाय चुनावों से पहले उठाया गया है. राज्य में मुंबई सहित महाराष्ट्र के अधिकांश शहरों में निकाय चुनाव होने हैं. एमवीए गठबंधन के तहत 95 सीट पर लड़ने के बावजूद शिवसेना (उबाठा) को 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में केवल 20 सीट पर जीत मिली है.
मुंबई नगर निगम पर नजर
एशिया के सबसे अमीर नगर निकायों में से एक बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर 1997 से 2022 तक लगातार 25 सालों तक अविभाजित शिवसेना का नियंत्रण था. साल 2017 में बीएमसी चुनाव में, शिवसेना और भाजपा के बीच मुकाबला हुआ और दोनों दलों को 84 और 82 सीट मिलीं. इस साल संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मुंबई की 6 में से 4 सीट पर जीत दर्ज की, लेकिन आंकड़ों का बारीकी से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि उसने अपने पारंपरिक मतदाता आधार वाली सीटों पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. आदित्य ठाकरे की अपनी वर्ली विधानसभा सीट पर पार्टी की बढ़त सात हजार मतों से कम थी.
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FIRST PUBLISHED :
December 15, 2024, 23:21 IST