Smriti Irani Defeat in Amethi: न मंत्री, न विधायकों का चला जादू, सपा के बागियों का साथ भी नहीं आया काम, पढ़ें अमेठी में स्मृति ईरानी की हार की पूरी वजह
हाइलाइट्स
अमेठी से बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी 2024 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार के एक करीबी के हाथों बुरी तरह से हार गईं अमेठी लोकसभा सीट पर बीजेपी विधायक और सपा के बागियों ने भी बहुत कोशिश की लेकिन स्मृति ईरानी की हार कई सवाल उठा रही है
अमेठी. देश की हाई प्रोफाइल सीट में शुमार अमेठी लोकसभा 2019 में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को चुनाव हराने वाली केंद्रीय मंत्री और बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी 2024 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार के एक करीबी के हाथों बुरी तरह से पराजय मिली हैं. कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा ने स्मृति ईरानी को 1,67,196 वोटों से हरा दिया. अपने विधानसभा में दबदबा रखने वाले जिले के बीजेपी विधायक और मंत्री अपनी विधानसभा में स्मृति ईरानी को जीत नहीं दिलवा सके. यहां तक कि बीजेपी के लिये प्रचार करने वाले सपा के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह और महाराजी देवी के विधानसभा क्षेत्र से भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा.
बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश अग्रहरी के जिला पंचायत क्षेत्र से भी पार्टी को करारी हार मिली. चुनाव में अपने विधानसभा में बीजेपी के लिए लगातार कैम्पेन करने वाले तिलोई विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह की विधानसभा में बीजेपी 18818 वोटों से पराजित हुई. सलोन विधानसभा में बीजेपी विधायक अशोक कोरी ने भी कड़ी मेहनत की, लेकिन इस विधानसभा में भी बीजेपी को सबसे बड़ी हार 52318 वोटों से मिली. जगदीशपुर विधानसभा में मौजूदा विधायक सुरेश पासी भी कोई कमाल नही कर सके और इस विधानसभा में स्मृति ईरानी को 15425 वोटों से मात खानी पड़ी. गौरीगंज विधानसभा में सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह का जादू नहीं चला और यहां स्मृति ईरानी की 30318 वोटों से हार मिली.
स्मृति ईरानी को सबसे बड़ी बार यहां से मिली
स्मृति ईरानी को सबसे बड़ी हार अमेठी में मिली जहां चुनाव के पहले बीजेपी का प्रचार करने वाली सपा विधायक महाराजी प्रजापति और उनके परिवार के बड़ा रिएक्शन देखने को मिले थे. इस विधानसभा सीट से स्मृति ईरानी को 46689 वोटों से बड़ी हार मिली. स्मृति ईरानी को सबसे बड़ी हार सलोन और अमेठी विधानसभा में मिली. पूरे चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा मेहनत करने वाले जिला पंचायत अद्यक्ष राजेश अग्रहरी का भी जादू नहीं चला. उनके जिला पंचायत क्षेत्र में भी बीजेपी को बड़ी हार मिली बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी को मिली हार पूरे लोकसभा में चर्चा का विषय बानी हुई है. राजनीतिक पंडित बताते है कि स्मृति ईरानी के लिए अपने मन के व्यक्ति को रखकर जिले की कमान देना दुर्भाग्यपूर्ण रहा. इसके साथ जिले के अपराधी सेफ जोन की तलाश में बीजेपी में शामिल हो गए, जिन्हें बढ़ावा मिला.
पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी पड़ी भारी
इसके अलावा पार्टी के जो पुराने कार्यकर्ता थे उसको नजरअंदाज करके उनका मानमर्दन करना और पुराने बीजेपी कार्यकर्ताओं का किराना करना हार का प्रमुख कारण रहा. स्मृति ईरानी ने अपनों पर भरोसा नहीं किया, नए आने वाले नेताओं कि खूब आवभगत की और चुनाव में अपनों को भूल गई. इसी कारण पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता पार्टी से दूर होते गए. पार्टी ने इन कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के बजाय बाहर से आये नेताओं को ज्यादा तवज्जो दिया. जो स्मृति ईरानी की हार का मुख्य कारण रहा.
बागियों का साथ नहीं आया जनता को रास
राजनीतिक जानकर बताते है कि चुनाव के पहले गौरीगंज सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह और अमेठी विधायक महाराजी प्रजापति को अपने पाले में लाना स्मृति ईरानी की सबसे बड़ी भूल साबित हुई. राकेश समेत उनका पूरा परिवार बीजेपी का प्रचार और वोट देने की अपील करता रहा, लेकिन लोगों ने पूरी तरह से उन्हें नकार दिया. ऐसा ही कुछ अमेठी विधानसभा में भी नहीं देखने को मिला जहां जेल में बंद गायत्री प्रजापति की विधायक पत्नी महाराजी देवी और उनका पूरा परिवार भाजपा को वोट देने की अपील करता रहा, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया और अमेठी विधानसभा में स्मृति ईरानी को बड़ी हार मिली. 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन के प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा पर जातिगत समीकरण समीकरण भी रहा हावी रहा.
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FIRST PUBLISHED :
June 5, 2024, 13:18 IST