न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: नितिन गौतम Updated Sat, 25 Jan 2025 11:20 AM IST
मुंबई हमले से पहले डेविड हेडली ने मुंबई में ताज महल होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसी प्रमुख जगहों की रेकी की थी। हेडली, तहव्वुर राणा की इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म का कर्मचारी था। जांचकर्ताओं का मानना है कि हेडली ने तहव्वुर राणा के इशारे पर ही ये काम किया।
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विस्तार
अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया है। पाकिस्तानी-कनाडा मूल का आतंकी तहव्वुर राणा साल 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने का आरोपी है। तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए काफी कोशिश की और अपने प्रत्यर्पण को विभिन्न कानूनी तरीकों से चुनौती दी, लेकिन अमेरिकी अपीलीय कोर्ट सहित कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाइयों में हारने के बाद अब उसके भारत आने का रास्ता साफ हो गया है।
कौन है तहव्वुर राणा
तहव्वुर हुसैन राणा (63 वर्षीय) पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। राणा, पाकिस्तानी सेना में भी काम कर चुका है और सेना में डॉक्टर रहा। हालांकि 90 के दशक में राणा कनाडा चला गया और फिर उसने वहीं की नागरिकता ले ली थी। कनाडा से तहव्वुर राणा अमेरिका पहुंचा और वहां उसने शिकागो में एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म खोली। मुंबई हमले का दोषी डेविड हेडली, तहव्वुर राणा का दोस्त था। दावा है कि तहव्वुर राणा ने ही डेविड हेडली को अपराध की दुनिया में धकेला। हेडली ने ही 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए रेकी की। हेडली को बाद में अमेरिका से गिरफ्तार किया गया था। हेडली से पूछताछ में ही तहव्वुर राणा की मुंबई हमले में संलिप्तता का खुलासा हुआ था। राणा को साल 2009 में अमेरिकी जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
मुंबई हमले की साजिश रचने का आरोपी
मुंबई हमले से पहले डेविड हेडली ने मुंबई में ताज महल होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसी प्रमुख जगहों की रेकी की थी। हेडली, तहव्वुर राणा की इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म का कर्मचारी था। जांचकर्ताओं का मानना है कि हेडली ने तहव्वुर राणा के इशारे पर ही ये काम किया। डेविड हेडली साल 2011 में पैगंबर मोहम्मद का विवादास्पद कार्टून प्रकाशित करने वाले डेनिश अखबार पर हमले की साजिश में भी शामिल था। अमेरिका में साल 2011 में, राणा पर अमेरिका में मुकदमा चलाया गया और उसे डेनिश अखबार पर हमला करने की साजिश में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को मदद पहुंचाने का दोषी ठहराया गया। हालांकि, अमेरिकी जूरी ने उसे मुंबई हमलों में शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया था। राणा को संघीय जेल में 14 साल की सजा सुनाई गई, इसके बाद उसे पांच साल तक निगरानी में रखने का निर्देश दिया गया।
भारत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए एक दशक तक लड़ी कानूनी लड़ाई
साल 2008 में मुंबई में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने घुसकर शहरभर में हमले किए थे। इन बर्बर हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे। मुंबई हमले के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने तहव्वुर राणा, डेविड हेडली, लश्कर ए तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और आतंकी संगठन के अन्य शीर्ष सदस्यों के खिलाफ आरोप तय किए। भारत सरकार एक दशक से अधिक समय से राणा के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही थी। मई 2023 में, कैलिफोर्निया के एक जिला न्यायालय ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी, लेकिन राणा की कानूनी टीम ने इस निर्णय के खिलाफ अपील की। अमेरिकी सरकार ने भी राणा के भारत प्रत्यर्पण को दोनों देशों के बीच की संधि के तहत वैध माना। राणा के बचाव पक्ष ने तर्क दिया था कि हमलों में उसकी भूमिका के लिए उसे पहले ही अमेरिकी अदालत में दोषी ठहराया जा चुका है और उसे प्रत्यर्पित करने से उसे ‘दोहरी सजा’ होगी, जो एक कानूनी सिद्धांत का उल्लंघन होगा, जो किसी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा चलाने से रोकता है। हालांकि अमेरिका ने इन तर्कों को नहीं माना।
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