नई दिल्ली: भाजपा दिल्ली में 27 साल से सत्ता से दूर है. क्या भाजपा यह सत्ता का यह सूखा खत्म कर पाएगी? पार्टी इस चुनौती का सामना करने के लिए कई रणनीतियां बना रही है. उसे लगता है कि आम आदमी पार्टी के दस साल के शासन के खिलाफ ‘सत्ता विरोधी लहर’ है. उसे यह भी लग रहा है कि आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार और कुशासन का मुद्दा अब जनता तक पहुंच गया है. इस बार भाजपा का चुनाव प्रचार भी पूरी तरह से स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित है. प्रधानमंत्री मोदी नालियों, जलभराव वाली सड़कों और डीटीसी बसों के बेड़े के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं. यह भाजपा की ओर से अतीत में दिल्ली में चलाए गए ‘राष्ट्रीय’ मुद्दों पर आधारित चुनाव प्रचार से एकदम अलग है.
भाजपा की कोशिश आम दिल्लीवासी के रोज़ाना के मुद्दों पर उसकी नब्ज टटोलने की है. भाजपा की रणनीति पांच राजनीतिक स्तंभों पर टिकी हुई है. इसकी झलक पिछले हफ्ते दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो भाषणों में साफ देखने को मिली.
- दिल्ली में एक बार फिर पीएम मोदी ही भाजपा का चेहरा हैं और पार्टी किसी भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को आगे नहीं कर रही है.
- प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री के आलीशान आवास को लेकर ‘शीशमहल’ अभियान चलाकर ‘आप’ पर हमला कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि यह ‘आप’ की कमजोर कड़ी है.
- भाजपा यमुना नदी की हालत से लेकर वायु प्रदूषण तक, ‘आप’ के कुशासन को उठाकर चुनाव प्रचार को ‘स्थानीय’ बनाए रखने की कोशिश कर रही है. पार्टी का कहना है कि दिल्ली को भाजपा द्वारा संचालित ‘डबल इंजन’ वाली सरकार की जरूरत है.
- भाजपा ‘आप’ के दो बड़े हथियारों- मुफ्त बिजली और महिलाओं से किए गए 2,100 रुपये के वादे – का तोड़ निकालने की योजना बना रही है. भाजपा ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए, जो कि एक बड़ा वोट बैंक हैं, एक बड़ा दांव चला है. पीएम मोदी ने कहा है कि सबको पक्का मकान मिलेगा.
- भाजपा को उम्मीद है कि कांग्रेस और बसपा कई सीटों पर ‘आप’ के वोटों में सेंध लगाएंगी और इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है.
मोदी ही फेस
बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे हैं. 2020 में भी ऐसा ही हुआ था, जब बीजेपी हार गई थी. 2015 में बीजेपी ने किरण बेदी को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया था, लेकिन वह एक आपदा में बदल गया क्योंकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीत ली थीं. अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी बीजेपी पर तंज कस रहे हैं और पूछ रहे हैं कि इन चुनावों में उनका “दूल्हा” कौन है?
लेकिन बीजेपी को लगता है कि इस चुनाव में सीएम चेहरे से भी बड़े मुद्दे हैं. 2023 में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बिना किसी सीएम चेहरे के जीत से उसका हौसला बढ़ा है. बीजेपी ने अब तक जो दो पोस्टर जारी किए हैं, उनमें सिर्फ मोदी ही चेहरा हैं. बीजेपी को लगता है कि आम आदमी पार्टी ने यह कहकर अपनी ही रणनीति को जटिल बना दिया है कि अगर AAP जीतती है तो केजरीवाल सीएम के तौर पर आतिशी की जगह लेंगे. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देते समय उन पर कड़ी शर्तें लगाई हैं.
‘शीशमहल’ पर आप बैकफुट पर?
2020 के विधानसभा चुनावों के उलट इस बार आम आदमी पार्टी के लिए ‘भ्रष्टाचार’ बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि जिस तरह से पीएम मोदी और अमित शाह ने ‘शीशमहल’ के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को घेरा है, उससे आप को बड़ा नुकसान हो सकता है. शुक्रवार को एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘मैंने कभी अपने लिए घर नहीं बनाया…मैं भी शीशमहल बनवा सकता था लेकिन मेरा सपना रहा है कि गरीबों को पक्का मकान मिले.’
हाल ही में कैग की एक रिपोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण और नवीनीकरण पर भारी भरकम खर्च पर सवाल उठाए गए हैं. हालांकि यह रिपोर्ट अभी तक दिल्ली विधानसभा में पेश नहीं की गई है. पीएम मोदी ने इस रिपोर्ट को लेकर भी अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जब दिल्ली कोरोना से जूझ रही थी, उस समय केजरीवाल ‘शीशमहल’ बनवाने में व्यस्त थे.
‘फेल गवर्नेंस मॉडल’
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के गवर्नेंस मॉडल को घेरने के लिए बीजेपी यमुना नदी की हालत और राष्ट्रीय राजधानी में लगातार बनी रह रही वायु प्रदूषण की समस्या को भी भुना रही है. पीएम ने आप को दिल्ली के लिए ‘आप-दा’ यानी आफत करार दिया है. एक तरफ जहां ‘आप’ दिल्ली में अपने स्वास्थ्य और शिक्षा मॉडल को दिखा रही है. वहीं बीजेपी लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही है कि ‘आप’ सीवेज सिस्टम और पानी की कमी जैसे प्रमुख प्रशासनिक मुद्दों पर विफल रही है. इतना ही नहीं, ‘आप’ हमेशा केंद्र सरकार से उलझी रहती है, जिससे दिल्ली का विकास बाधित हो रहा है.
दरअसल, बीजेपी मतदाताओं से ‘आप’ की मुफ्तखोरी की संस्कृति के बजाय ‘विकास’ के मॉडल पर वापस लौटने की अपील कर रही है. यह ठीक वैसा ही है जैसा कि शीला दीक्षित के दौर में था, जब केंद्र और राज्य दोनों जगह कांग्रेस की सत्ता थी. बीजेपी दिल्ली के मतदाताओं से आग्रह कर रही है कि वे दिल्ली में फिर से बीजेपी की ‘डबल इंजन’ सरकार चुनें, ताकि दिल्ली में विकास कार्य बिना किसी रूकावट के आगे बढ़ सके.
पीएम ने रविवार को रोहिणी में कहा, ‘यह जरूरी है कि दिल्ली, भारत के विकास यात्रा के साथ कदम से कदम मिलाकर चले. यह महत्वपूर्ण है कि बीजेपी केंद्र और दिल्ली दोनों जगह सत्ता में रहे.’ उन्होंने कहा कि दिल्ली में सारे बड़े काम केंद्र सरकार कराती है और उसने दिल्ली को 75,000 करोड़ रुपये दिए हैं. पिछले हफ्ते दिल्ली में प्रधानमंत्री की दो रैलियां दिल्ली के लिए ‘विकास के तोहफे’ पर केंद्रित रहीं और अब यह बीजेपी का सबसे बड़ा फोकस है. पीएम मतदाताओं से यह भी विचार करने का आग्रह कर रहे हैं कि जिस पार्टी के शीर्ष नेता भ्रष्टाचार के विभिन्न घोटालों में जेल जा चुके हैं, वह विकास पर कैसे ध्यान केंद्रित कर सकती है? शीशमहल के अलावा, एक्साइज घोटाला बीजेपी के लिए एक और बड़ा चुनावी मुद्दा है. पीएम मोदी ने रविवार को दिल्ली में हुए विभिन्न घोटालों का जिक्र करते हुए कहा कि ‘आप’ के कई वरिष्ठ नेताओं पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे हैं और वे जेल जा चुके हैं.
आप को क्या एडवांटेज?
दिल्ली में दो मामलों में आम आदमी पार्टी का पलड़ा भारी दिख रहा है. पहला मुफ्त बिजली पर उनका फोकस. इसने ही 2015 और 2020 में बड़ी जीत दिलाई थी. दूसरा अगर वो सत्ता में लौटते हैं तो इस बार महिलाओं के लिए 2,100 रुपये देने का वादा, जो दूसरे राज्यों में बीजेपी, कांग्रेस और जेएमएम जैसी कई पार्टियों के लिए जीत का फॉर्मूला साबित हुआ है. न्यूज18 को पता चला है कि बीजेपी अपने घोषणापत्र में कुछ वादों के साथ इन दोनों ही बातों का पुरजोर तरीके से मुकाबला कर सकती है. अब तक, बीजेपी ‘आप’ के महिलाओं के लिए योजना के वादे में खामियां निकालने की कोशिश करती रही है. उनका कहना है कि ‘आप’ पंजाब में लगभग तीन साल से इसे लागू करने में विफल रही है.
हालांकि, बीजेपी जानती है कि मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए उसे और भी बहुत कुछ करना होगा. खासकर, क्योंकि बीजेपी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इसी तरह की महिला योजना लागू कर रही है. पीएम ने रोहिणी में इसी ओर इशारा किया था. उन्होंने कहा था कि बीजेपी महिलाओं के जीवन को आसान बनाने के लिए कदम उठाएगी.
आप को कहां घाटा?
कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) दिल्ली की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. ये दोनों पार्टियां ‘आप’ के वोट बैंक में सेंध लगा सकती हैं और बीजेपी को फायदा पहुंचा सकती हैं. यह बीजेपी के लिए एक वाइल्डकार्ड फायदा साबित हो सकता है. कांग्रेस ‘आप’ के खिलाफ आक्रामक है, जिसने कांग्रेस को ‘चुनौती नहीं’ करार दिया है. अरविंद केजरीवाल और आतिशी जैसी प्रमुख सीटों पर होने वाले त्रिकोणीय मुकाबलों में कांग्रेस ने यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूत चेहरे खड़े किए हैं कि कोई भी जीत आसान न हो. यह सब सुनकर बीजेपी खुश हो रही है. क्या यह बीजेपी के लिए दिल्ली में चमत्कार करने के लिए काफी होगा? बीजेपी नेताओं का कहना है कि पिछले साल हरियाणा की जीत के बाद कुछ भी नामुमकिन नहीं है.
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FIRST PUBLISHED :
January 6, 2025, 12:21 IST