कर्नूल: आंध्रप्रदेश के कर्नूल जिले के पश्चिमी हिस्से के विभिन्न मंडलों में 25 दिसंबर से येलम्मा और मरेम्माला मेले शुरू हो गए. ये मेले 25 तारीख से पांच दिन तक अलग-अलग तरीकों से आयोजित किए जाएंगे. इस दौरान ग्रामीण इलाकों में एक खुशहाल और पर्व जैसा माहौल रहेगा. बता दें कि कर्नूल जिले के पश्चिमी हिस्से में किसान केवल कृषि पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि आय कमाने के लिए वे पशुपालन भी करते हैं. यहां के किसान मुख्य रूप से बकरियां, भेड़ें और बकरों को पालते हैं और इनको जिले के विभिन्न हिस्सों में हर शनिवार, रविवार या बुधवार को आयोजित होने वाले मेलों में बेचते हैं.
बैलगाड़ी प्रतियोगिताएं और बकरा दौड़
ग्रामीण मेलों का एक खास आकर्षण बैलगाड़ी की प्रतियोगिताएं और बकरा दौड़ होती हैं. इस प्रतियोगिता में भाग लेने और जीतने वाले को विभिन्न पुरस्कार दिए जाते हैं. इन पुरस्कारों में 50,000 रुपये से लेकर एक तोला सोने तक का पुरस्कार शामिल होता है. इस दौरान, रेयलसीमा क्षेत्र में बकरा पालन एक परंपरा बन चुका है, जैसे कि कोनासीमा में मुर्गा दौड़ का रिवाज है.
संक्रांति से पहले बकरों की बढ़ी मांग
संक्रांति के आसपास बकरों की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है. हाल ही में, कोसिगी में एक बकरा 1 लाख 36 हजार रुपये में बिका. यह बकरा अब चर्चा का विषय बन चुका है और लोग इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में जुट रहे हैं. चूंकि मरेम्मा देवी Dewara महोत्सव कोसिगी में 5 साल बाद हो रहा है, इसलिए बकरों की मांग और भी बढ़ गई है. इस दौरान, कोसिगी के टीडीपी टाउन अध्यक्ष चिंतलगेनी नरसा रेड्डी ने 1 लाख 36 हजार रुपये में बकरा खरीदकर एक रिकॉर्ड कायम किया.
10 हजार नहीं, 20 हजार नहीं, ₹1 लाख से भी ज्यादा की है ये साड़ी! कीमत सुनकर चौंक जाएंगे आप
पशुधन मेलों में बकरों की रिकॉर्ड कीमतें
इस साल के पशुधन मेलों में बकरों की भारी मांग रही है और कुछ बकरों ने रिकॉर्ड कीमतें प्राप्त की हैं. हाल ही में मंतऱालयम निर्वाचन क्षेत्र में आयोजित नीलामी में एक Dewara बकरा 1.26 लाख रुपये में बिका, जो कि बेहद चौंकाने वाला था.
Tags: Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED :
December 26, 2024, 12:07 IST