नई दिल्ली. चंडीगढ़ नए भारत के इतिहास में नया पन्ना जोड़ने वाला पहला प्रशासनिक इलाका बन गया है. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम चंडीगढ़ में पूरी तरह लागू हो गए हैं. इस तरह देश में न्याय प्रणाली से अंग्रेजी छाप पूरी तरह से हटने लगी है. तीन दिसंबर को चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों की समीक्षा की और कहा कि तीनों नए कानून भारतीय संविधान में निहित आदर्शों को साकार करने की दिशा में ठोस कदम हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अब तारीख पर तारीख के दिन लद गए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि नए कानूनों की मदद से आतंकवाद से असरदार युद्ध और मजबूती से लड़ा जा सकेगा. प्रधानमंत्री के मुताबिक अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आपराधिक कानून भारतीय नागरिकों पर अत्याचार और शोषण का जरिया थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए स्वर्णिम दिन बताते हुए जानकारी दी कि उपरोक्त नए कानून अगले तीन साल में देश भर में पूरी तरह लागू कर दिए जाएंगे. इन कानूनों की मदद से लोगों को जल्द इंसाफ मिलने में मदद मिलेगी.
विकलांग नहीं, दिव्यांग
तीन दिसंबर को ही अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में उठाए गए खास कदमों और कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला. साल 2014 से पहले शारीरिक रूप से असामान्य लोगों के लिए विकलांग शब्द का इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उनके लिए दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल कर उन्हें खास तौर पर तवज्जो दी. उन्होंने दिव्यांग शब्द दे कर ऐसे लोगों का स्वाभिमान बढ़ाया. इसके बाद ही नेत्रहीनों या दृष्टिहीनों के लिए दृष्टिबाधित जैसे शब्दों के चलन की प्रवृत्ति बढ़ी. कोई कुदरती तौर पर असामान्य शरीर के साथ पैदा होता है या किसी दुर्घटना की वजह से अंग खो देता है, तो उसे हीनता बोध से मुक्ति दिला कर मुख्य धारा से जोड़े रखने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी था.
गरिमा में इजाफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक विकलांग को दिव्यांग कहना केवल शब्द का बदलाव नहीं था, बल्कि इसने समाज में दिव्यांगजनों की गरिमा में इजाफा किया और उनके योगदान को भी बड़ी स्वीकृति दी. इस निर्णय ने यह संदेश दिया कि सरकार ऐसा समावेशी माहौल चाहती है, जहां किसी व्यक्ति के सामने उसकी शारीरिक चुनौतियां दीवार न बनें और उसे उसकी प्रतिभा के मुताबिक पूरे सम्मान के साथ राष्ट्र निर्माण का मौका मिले.
सुगम्य भारत योजना
प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक दिव्यांगजनों के जीवन को सहज, सरल बनाने के इरादे से उनकी सरकार ने नौ साल पहले सुगम्य भारत योजना की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत दिव्यांगजनों को ताकतवर बनाने में खासी मदद मिली. सुगम्य भारत ने दिव्यांगों की राह में आने वाली रुकावटें दूर कीं, साथ ही उन्हें सम्मान और समृद्धि का जीवन भी दिया.
दिव्यांग ऊर्जा के प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि पहले की सरकारों की नीतियां दिव्यांगजनों के विकास में रुकावट थीं. उन नीतियों की वजह से दिव्यांग लोग नौकरियों और पढ़ाई-लिखाई के मामले में सामान्य जनों से पीछे रह जाते थे. लिहाजा नीतियां बदली गईं. पिछले 10 साल में दिव्यांगजनों के कल्याण पर खर्च होने वाला बजट तीन गुना बढ़ाया गया. मोदी के मुताबिक इन फैसलों ने दिव्यांगजनों के लिए अवसरों और उन्नति के नए रास्ते खोल दिए. अब दिव्यांगजन राष्ट्र निर्माण के कामों में बढ़-चढ़ कर जुटे हैं. पैरालंपिक में भारत के दिव्यांग खिलाड़ियों ने देश को जो सम्मान दिया है, वह इस ऊर्जा का ही प्रतीक है.
दिव्यांग अधिकार कानून
मोदी कहते हैं कि दिव्यांग भाई-बहनों का जीवन सरल, सहज और स्वाभिमानी हो, यही सरकार का मूल सिद्धांत है. इस लक्ष्य को पाने के लिए ही सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम लागू किया. इस अधिनियम के तहत दिव्यांग व्यक्ति की परिभाषा में सात श्रेणियों को बढ़ा कर 21 किया गया. एसिड अटैक सर्वाइवरों को भी इस कैटेगिरी में जोड़ा गया. भारत में ऐसा पहली बार किया गया.
शिक्षा, खेल या फिर स्टार्टअप सबमें आगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक शिक्षा हो, खेल हो या फिर स्टार्टअप दिव्यांगजन हर रुकावट को तोड़ कर नई ऊंचाई छू रहे हैं और देश के विकास में भागीदार बन रहे हैं. मोदी को पूरा विश्वास है कि जब देश आजादी का 100वां वर्ष मना रहा होगा, तब देश के दिव्यांग साथी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा पुंज बने दिखाई देंगे. जब कोई भी सपना और लक्ष्य असंभव होगा, तब ही जा कर हम सही मायनों में समावेशी और विकसित भारत का निर्माण कर पाएंगे.
बुजुर्गों को खास सहूलियत
न सिर्फ दिव्यांगों, बल्कि बुजुर्गों के लिए मोदी सरकार ने पूरी संवेदनशीलता के साथ काम किया है. हाल ही में दीपावली के मौके पर मोदी ने देश के 70 या उससे ज्यादा साल के बुजुर्गों के लिए पीएम आयुष्मान योजना लागू की है. इसमें हर कैटेगिरी के बुजुर्गों को शामिल किया गया है. इसके अलावा पैंशन पाने वाले बुजुर्गों को भी मोदी सरकार ने ही नई संजीवनी दी है.
बुजुर्गों को घर बैठे सुविधा
पहले हर साल उन्हें जीवित होने का प्रमाण पत्र देने के लिए सरकारी कार्यालयों या बैंकों तक पहुंचना होता था. इसमें उन्हें खासी दिक्कत होती थी. उनके लिए आना-जाना, सीढ़ियां उतरना या चढ़ना आसान नहीं था. ऐसे बुजुर्गों के घर वालों को हर साल खासी मशक्कत करनी पड़ती थी. जिन बुजुर्गों के बेटे-बेटियां या दूसरे परिवारीजन नहीं होते थे, उन्हें तो खुद को जीवित साबित करने में खासी परेशानी होती थी. लेकिन मोदी सरकार ने व्यवस्था कर दी है कि अब चलने-फिरने में असमर्थ बुजुर्गों को खुद को जीवित बताने के लिए सरकारी दफ्तरों में जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि वे इंटरनेट के माध्यम से खुद की उपस्थिति घर बैठे ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
December 6, 2024, 13:18 IST