Monday, January 20, 2025
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Home शरद का गुरुमंत्र नहीं भूले अजित पवार, फडणवीस का समर्थन कर किए कई ‘शिकार’

शरद का गुरुमंत्र नहीं भूले अजित पवार, फडणवीस का समर्थन कर किए कई ‘शिकार’

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मुंबई: महाराष्ट्र में महायुति की जीत के 72 घंटे बीत चुके हैं, मगर अभी तक नए सीएम का फैसला नहीं हुआ है। देवेंद्र फडणवीस की दावेदारी से एकनाथ शिंदे असहज हैं। महायुति के नेता दिल्ली में केंद्रीय नेताओं के साथ मीटिंग कर इस पर आखिरी फैसला करेंगे। इस मीटिंग से पहले ही 132 सीट जीतने वाली बीजेपी को महायुति के दूसरे पार्टनर अजित पवार ने बिना शर्त समर्थन का ऐलान कर दिया है। इस दांव से अजित पवार ने एक साथ कई चाल चल दीं। सरकार बनने से पहले उन्होंने बीजेपी को टेंशन फ्री कर दिया, साथ ही फडणवीस के साथ गलबहियां कर अपनी स्थिति मौजूद कर ली। उन्होंने यह भी तय कर दिया कि इस बार वह सरकार में नंबर दो रहेंगे। शिवसेना की तरफ से डिप्टी सीएम बनने वाले का कद उनसे छोटा ही रहेगा।

फडणवीस ने कराई थी अजित की महायुति में एंट्री
अजित पवार की महायुति में एंट्री देवेंद्र फडणवीस ने उस समय कराई थी, जब बीजेपी-शिवसेना के पास विधानसभा में पर्याप्त बहुमत था। अजित गुट को एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम, वित्त और सिंचाई जैसे बड़े मंत्रालय भी दिए गए। लोकसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी के कई नेताओं ने अजित पवार को बोझ बताकर पल्ला झाड़ने का माहौल बनाया। इसके बाद भी देवेंद्र फडणवीस अपने फैसले से नहीं डिगे। उन्होंने आरएसएस और केंद्रीय नेताओं को भी गठबंधन में एनसीपी के बने रहने के लिए राजी किया। अब बिना शर्त समर्थन देकर उन्होंने पुराना हिसाब चुकता कर दिया और मलाईदार विभागों के लिए अपने रास्ते खोल लिए। एनसीपी के प्रवक्ता छगन भुजबल ने कहा कि उनके पास देवेंद्र फडणवीस के विरोध करने का कोई विकल्प नहीं है।

सरकार बनी तो सीनियॉरिटी के आधार पर होंगे नंबर 2
अजित पवार शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बने। इसके बाद उन्होंने कई मौके पर बयान दिया था कि राजनीति में एकनाथ शिंदे उनके जूनियर हैं, मगर संख्याबल के कारण उन्हें डिप्टी सीएम पद स्वीकार करना पड़ा। दूसरी ओर, 2019 में जब देवेंद्र फडणवीस ने तीन दिनों के लिए सीएम पद की शपथ ली थी, तब भी अजित पवार डिप्टी चीफ मिनिस्टर बने थे। हालांकि बाद में वह एमवीए सरकार में चले गए। अब अजित पवार के पास 41 विधायक है और पहले से मजबूत होकर उभरे हैं। अगर शिंदे दोबारा सीएम बनते हैं तो उनकी स्थिति 2023 वाली ही रहेगी, जबकि फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद वह नंबर दो जाएंगे।

शरद पवार से सीखा कि गठबंधन से कैसे करते हैं डील?
अजित पवार यह जानते हैं कि बीजेपी के पास इतने विधायक हैं, जिससे वह हर परिस्थिति में सरकार बना सकती है। ऐसे में फडणवीस का विरोध करना राजनीतिक सूझबूझ में कमी मानी जाएगी। अगर शिंदे सेना नखरे बढ़े तो वह किंगमेकर का ताज ले सकते हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि अजित पवार ने अपने राजनीतिक गुरु चाचा शरद पवार से गठबंधन की सरकारों से डील करना सीखा है। शरद पवार केंद्र और राज्य में अपने दांव के बदले बिग डील हासिल करते रहे। पिछले दो दशक में शरद पवार किंगमेकर बने और राजनीति को अपने इशारों पर घुमाया। कांग्रेस हो या महायुति, हर सरकार में एनसीपी के नेता महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री बनते रहे। विधानसभा में जीत के बाद अब अजित पवार इसी राह पर आगे बढ़ रहे हैं।

अचलेंद्र कटियार

लेखक के बारे में

अचलेंद्र कटियार

अचलेंद्र कटियार ने जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली से पढ़ाई की है। इसके बाद मेरठ, कानपुर और दिल्ली के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचार पत्रों में काम किया। जून, 2020 से गुजरात की राजनीति और संस्कृति को समझने के लिए सक्रिय हैं।… और पढ़ें

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