सागर के लाखा बंजारा झील (तालाब) के चकराघाट पर गुरुवार को आस्था और विश्वास का महापर्व छठ मनाया गया। शहर में सागर में बिहार, झारखंड समेत अन्य प्रांतों के रहने वाले भक्तों ने छठ महापर्व मनाया। चकराघाट घाट पर भक्तों ने पूजा-पाठ कर ढलते हुए सूरज को
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त्योहार को देखते हुए नगर निगम ने सुरक्षा के बंदोबस्त रखे है। महिलाओं ने बताया कि छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य की उपासना की जाती है। छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें 36 घंटे का उपवास रखना पड़ता है। इसके अलावा छठ पूजा में कई कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है।
तालाब में खड़ी होकर पूजन करती व्रती महिला।
छठ पूजा में डूबते सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अस्त होते समय भगवान सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। ऐसे में इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर होती हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं, ढलता सूर्य हमें बताता है कि हमें कभी भी हार नहीं मानना चाहिए क्योंकि रात होने के बाद एक उम्मीद भरी सुबह भी जरूर आती है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है। इतना ही नहीं व्यक्ति को सफल जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है।
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घाट पर पूजा के लिए तैयारियां की गई।
बड़ी संख्या में व्रती महिलाएं तालाब के घाट पर पहुंचीं।
पूजन करती हुई व्रती महिला।