पटना: 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने से रोक दिया गया। इस घटना के बाद बिहार की राजनीती गरमा गई है। अखिलेश यादव ने नीतीश कुमार से NDA से नाता तोड़ने और मोदी सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग की है। कांग्रेस ने भी नीतीश कुमार को NDA में जाने पर नसीहत दी है।
विवाद यूपी में और सियासी भूचाल बिहार में
जयप्रकाश नारायण की जयंती पर हुए इस विवाद ने बिहार की राजनीती में भूचाल ला दिया है। 11 अक्टूबर को यूपी में अखिलेश यादव जब जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने जा रहे थे, तो उन्हें रोक दिया गया। इस घटना के बाद अखिलेश यादव ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला और NDA से नाता तोड़ने की मांग की।
कांग्रेस ने गजब बात कह दी
कांग्रेस ने भी नीतीश कुमार को नसीहत देते हुए कहा है कि उन्हें NDA में जाना ही नहीं चाहिए था। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि ये तो बेहद अफसोस करने वाली बात है कि अखिलेश यादव जैसे समाजवादी नेता को जयप्रकाश नारायण की मूर्ति के पास जाने से रोका जाता है। ये भारत के संविधान और प्रजातंत्र दोनों का ही अपमान है। देश के लोग देख रहे हैं कि कौन क्या कर रहे हैं। उन सबको जवाब मिल जाएगा।
नीतीश को NDA में नहीं जाना चाहिए था- कांग्रेस
BPCC अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने समर्थन वापसी पर कहा कि ये तो नीतीश कुमार के स्वविवेक पर निर्भर करता है। लेकिन उन्हें उस तरफ (BJP, NDA) नहीं जाना चाहिए था। वैसे तो ये गलत है लेकिन जब वो उधर चले ही गए हैं तो फैसला उन पर ही छोड़ देना चाहिए। कुल मिलाकर इस बयान से कांग्रेस ने एक बार फिर से BJP को घेरा लेकिन साथ ही सीएम नीतीश को सेफ गार्ड देकर ये जताने की कोशिश की है कि वो जदयू की हितैषी है।
JDU का कांग्रेस पर पलटवार
इस पूरे मामले पर JDU ने भी पलटवार किया है। JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि जो समाजवादी पार्टी जेपी के आदर्शों पर चलती है, जिन्होंने कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ बिगुल फूंका। जिन जेपी को कांग्रेस सरकार ने ही जेल में डाल दिया। ऐसे में समाजवादी पार्टी को सोचना चाहिए कि वो उसी कांग्रेस से कैसा रिश्ता बना कर रखे हुए है। अखिलेश यादव का बयान हैरत में डालने वाला है, आखिर उन्होंने जेपी का कौन का मूल्य-सिद्धांत अपने जीवन में अपनाया। उनकी खुद की पार्टी में समाजवाद नहीं है। पूरी समाजवादी पार्टी एक परिवार के हाथ में है। ऐसे में अगर अखिलेश जेपी की बात करते हैं तो कांग्रेस को ही उनसे संबंधों पर एक बार फिर से सोचना चाहिए।