उत्तर प्रदेश में जय प्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर अखिलेश यादव को जेपीएनआईसी में प्रवेश से रोका गया। सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर ने बताया कि अखिलेश की सुरक्षा देखते हुए यह कदम उठाया गया। उन्होंने सपा मुखिया पर कई आरोप भी लगाए। वहीं कांग्रेस ने सरकार के इस क़दम की आलोचना की।
लखनऊः उत्तर प्रदेश में लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती पर बवाल मचा हुआ है। सपा मुखिया अखिलेश यादव लखनऊ के गोमतीनगर में स्थित जेपीएनआईसी में जय प्रकाश की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने जाना चाहते थे लेकिन जेपीएनआईसी के गेट को टीन शेड लगाकर ढक दिया गया था। इसको लेकर सपा मुखिया ने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं, पहले अखिलेश के साथी रहे और वर्तमान में योगी सरकार में मंत्री सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने बताया कि अखिलेश यादव की सुरक्षा को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है।
क्या बोले ओपी राजभर
ओपी राजभर ने बताया कि जेपीएनआईसी में प्रवेश न मिलने में अखिलेश यादव की ही भलाई है। राजभर ने कहा कि योगी सरकार अखिलेश यादव की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। यह बारिश का मौसम है और JPNIC की सफाई नहीं हुई है। ऐसे में कुछ भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर अखिलेश कहते हैं कि एनडीए सरकार महान हस्तियों का सम्मान नहीं करती है तो 4 बार सपा सत्ता में रही है… क्या वह सिर्फ एक तस्वीर दिखा सकते हैं जहां राजा सुहेलदेव या संत रविदास की मूर्तियाँ स्थापित की गई हों। वह नहीं दिखा सकते। राजभर ने कहा कि एनडीए सरकार में सरदार वल्लभभाई पटेल, राजा सुहेलदेव और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्तियाँ स्थापित की गईं हैं। राजभर ने तंज कसते हुए कहा कि अभी अखिलेश पाकिस्तान का पानी पीकर आए हैं और इसलिए उनको सिर्फ विरोध दिखता है। सरकार के काम नहीं दिखते हैं।
कांग्रेस ने बीजेपी पर बोला हमला
बता दें कि जेपी कन्वेशन सेंटर जाने से रोके जाने के बाद अखिलेश यादव ने घर में लगी जय प्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि समाजवादी धारा के बड़े नेता मुलायम सिंह यादव जेपी आंदोलन के अग्रणी नेताओं में गिने जाने जाते थे। अखिलेश यादव को उनकी मूर्ति पर जाने से रोकना लोकतंत्र और संविधान का गला घोंटने जैसा है। इसकी हम लोग निंदा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार संविधान को बदलने पर तुली हुई है। ऐसे में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के विवेक पर निर्भर करता है कि वह भाजपा के साथ रहना चाहते हैं या नहीं। यह उन्हीं के विवेक पर छोड़ा जाना चाहिए।
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