एएमयू के म्यूजियम में महात्मा गांधी की अलीगढ़ आने की फोटो और उनके पत्र जैसी सारी यादें सुरक्षित रखी गई हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अलीगढ़ से अलग ही स्नेह रहा है। बापू का लगाव अलीगढ़ से इतना था कि वह आजादी से पहले 3 बार अलीगढ़ आए थे और यहां के युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित भी किया था।
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इतना ही नहीं, महात्मा गांधी ने एएमयू के पूर्व छात्रों को समय-समय पर पत्र भी लिखे और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने को कहा। यह पत्र भी आज एएमयू में सुरक्षित हैं और यूनिवर्सिटी की धरोहर के रूप में म्यूजियम में संजोकर सुरक्षित रखे गए हैं। जो आज भी आजादी के पहले के उन पलों को याद दिलाते हैं।
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महात्मा गांधी के हाथों से लिखा यह पत्र एएमयू के म्यूजियम में सुरक्षित है।
पहली बार 1916 में अलीगढ़ आए थे बापू
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार 1916 में अलीगढ़ आए थे। पहली बार वह ट्रेन से अलीगढ़ पहुंचे थे और यहां पर युवाओं और छात्रों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। इसके बाद वह दो और बार अलीगढ़ आए। हर बार वह छात्रों से जरूर मिले और उन्हें संबोधित किया।
लेखक चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ‘स्वतंत्रता संग्रामों की अमर गाथा’ के अनुसार 1916 में जब बापू अलीगढ़ आए तो उन्हें देखने के लिए लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा। छात्रों और युवाओं में गजब का उत्साह था। गांधीजी अपनी गुजराती वेशभूषा में थे और धोती, अंगरखा पहले थे। सिर पर पगड़ी भी पहनी हुई थी।
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बापू समय-समय पर पत्र लिखकर युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ने के लिए प्रेरित करते थे।
हिंदू-मुस्लिम एकता पर दिया था भाषण
बापू जब पहली बार अलीगढ़ आए तो स्टेशन से ही हजारों लोगों की भीड़ उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़ी थी। उन्हें स्टेशन से मालवीय पुस्तकालय तक जुलूस के साथ ही लाया गया था, जिसके बाद उन्होंने मैदान पर लोगों को संबोधित किया था। उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता पर जोरदार भाषण दिया था।
गांधीजी ने एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की बात को भी अपने भाषण में दोहराया था और कहा था कि हिंदू और मुस्लिम, इस देश की दो आंखें हैं। इसलिए जब तक हिंदू और मुस्लिम एक नहीं हो जाएंगे, देश को आजादी नहीं मिलेगी। खचाखच भरे मैदान में उनके भाषण को सुनने हजारों लोग उमड़े थे।
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यह पत्र महात्मा गांधी ने छात्रसंघ के पूर्व सचिव अब्दुल बारी को लिखा था।
एएमयू छात्रसंघ की मिली थी आजीवन सदस्यता
महात्मा गांधी दूसरी बार असहयोग आंदोलन के दौरान 12 अक्टूबर 1920 को अलीगढ़ आए थे। इस बाद उन्होंने एएमयू में भाषण दिया था और एएमयू के तात्कालीन हबीब बाग (वर्तमान मे एकेडमिक स्टाफ कालेज) में ही ठहरे थे। एएमयू में उन्हें पूरा सम्मान देते हुए उनकी आवभगत की गई थी।
तब उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंदर छात्रों के बीच में भाषण दिया था। उनका भाषण एएमयू के स्ट्रेची हॉल के सामने हुआ था। बापू के भाषण के बाद छात्र उनसे इतना प्रभावित हुए थे कि उन्हें यूनियन हॉल में ले जाकर छात्र संघ की पहली आजीवन सदस्यता भी दी थी। उस समय भी बापू ने छात्रों को आजादी के संग्राम से जुड़ने को कहा था।

गांधी जयंती के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर को प्रदर्शनी लगाई गई है। जिसमें बापू से जुड़ी सारी चीजें लोगों के लिए ओपन रखी जाएंगी।
तीसरी बार पत्नी भी आई थी बापू के साथ
महात्मा गांधी तीसरी बार 5 नवंबर 1929 में अलीगढ़ आए थे। इस बाद उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी उनके साथ अलीगढ़ आर्इ थी और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। उस समय बापू ने युवाओं से खादी का इस्तेमाल करने की अपील की थी।
बापू की अपील से युवा इतना प्रेरित हुए थे कि उन्होंने विदेशी कपड़ों की होली जलानी शुरू कर दी थी। कैंपस के अंदर भी छात्रों ने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार कर इसे जलाया था। एएमयू के ही पूर्व छात्र मुहम्मद हरसत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन का हवा दी थी।
म्यूजियम में सुरक्षित हैं बापू के पत्र
अलीगढ़ आने के अलावा महात्मा गांधी एएमयू के छात्रों और छात्र नेताओं से लगातार संपर्क करते रहते थे। युवाओं को वह प्रेरित करते थे कि वह ज्यादा से ज्यादा आजादी के लिए आवाज उठाए और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आजादी के आंदोलन को आगे बढ़ाएं।
एएमयू की लाइब्रेरियन प्रो. निशहत फातिमा ने बताया कि बापू ने एएमयू के छात्र अब्दुल मजीद ख्वाजा और छात्रसंघ के पूर्व सचिव अब्दुल बारी को पत्र भी लिखे थे। यह पत्र आज भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मौलाना आजाद लाइब्रेरी के म्यूजियम में संरक्षित हैं।इसके अलावा गांधीजी के बारे में हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, अरबी में लिखी गई 600 से ज्यादा पुस्तकें भी लाइब्रेरी में हैं।